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100 से भी ऊपर देशों से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करती हैं सिर्फ ये 2 कंपनियां

Electricity Usage Of 2 Tech Giants : जिन 2 कंपनियों की बात हम कर रहे हैं उन्होंने पिछले साल के दौरान 48 TWh बिजली का इस्तेमाल किया था। बता दें कि 1 TWh (टेरावाट-घंटा) ऊर्जा की इकाई है जो एक घंटे में एक ट्रिलियन वाट बिजली उत्पादन के बराबर होता है। इतनी बिजली कई छोटे देशों को पूरे साल रोशन रख सकती है।
08:05 PM Jul 16, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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Electricity Consumption : जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस समय पूरी दुनिया में धूम मचा रही है। मेडिसिन से लेकर एजुकेशन, म्यूजिक, कंप्यूटिंग समेत शायद ही ऐसा कोई सेक्टर हो जिस पर इसका असर देखने को न मिला हो। इस बात में कोई शक नहीं है कि अब हम एआई पावर्ड चैटबॉट और इमेज जेनरेट करने वाले टूल्स से आगे निकल आए हैं। लेकिन, जैसे-जैसे एआई बेहतर और एडवांस हुआ है वैसे-वैसे इसकी डिमांड भी बढ़ी है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को काम करने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली की जरूरत होती है। ऐसे में एआई पर काम करने वाली 2 कंपनियों का इलेक्ट्रिसिटी यूज इतना ज्यादा बढ़ गया कि इन्होंने इस मामले में 100 से ज्यादा देशों को पीछे छोड़ दिया। ये कंपनियां हैं गूगल और माइक्रोसॉफ्ट। एक एनालिसिस के अनुसार साल 2023 में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने 48 TWh (टेरावाट-घंटा) बिजली कंज्यूम की थी। यह घाना-ट्यूनीशिया जैसे 100 से भी ज्यादा देशों से अधिक है।

क्यों बढ़ गया बिजली यूज?

एआई को लेकर एडवांसमेंट्स से होने वाली समस्याओं में पर्यावरण को नुकसान भी शामिल है। हालांकि, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट दोनों ही रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर एक्टिव हैं और वैकल्पिक पावर सोर्स की खोज में जुटी हुई हैं। इन दोनों कंपनियों के कई डाटा सेंटर हैं जो क्लाउड स्टोरेज और कंप्यूटिंग जैसी क्लाउड सर्विसेज को चलाते हैं। ये डाटा सेंटर बड़ी मात्रा में बिजली खाते हैं। समय के साथ इन दोनों ही कंपनियां का इलेक्ट्रिसिटी इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है।

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एलन मस्क की क्या है राय?

बिजली और टेक्नोलॉजी को लेकर टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क भी अपनी राय रख चुके हैं। मस्क के अनुसार हम इस समय एआई के साथ टेक्नोलॉजी के सबसे बड़े ब्रेकथ्रू के किनारे खड़े हैं लेकिन साल 2025 तक हमारे पास पर्याप्त पावर नहीं रह जाएगी। हालांकि, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के साथ एलन मस्क भी इस चुनौती को हल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कुछ एक्सपर्ट्सइसके लिए न्यूक्लियर फ्यूजन को सबसे अच्छा ऑप्शन बता रहे हैं।

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