क्या सच में चीन से हाथ मिलाएगा भारत? जानें पुतिन का खास प्लान जो खत्म कर सकता है रार

Nuclear Power Plant On Moon : रूस इस समय एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है जो दो बड़े दुश्मनों को एक साथ ला सकती है। ये दोनों देश हैं भारत और चीन। अर्थव्यवस्था से लेकर सीमाई मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ रहने वाले ये दोनों देश अब हाथ मिला सकते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग। (एएनआई)

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India China Relations : क्षेत्रफल के हिसाब से धरती का सबसे बड़ा देश रूस अब चांद के लिए बड़ी प्लानिंग कर रहा है। रूस की योजना चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की है। चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की खबर अपने आप में बहुत बड़ी है लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि कई मामलों में अलग रुख रखने वाले भारत और चीन रूस के इस पहल में साथ आ सकते हैं। एक दूसरे की सीधी आंख से न देखने वाले दोनों देश रूस के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। यह जानकारी EurAsian Times ने एक रिपोर्ट में रूस की न्यूज एजेंसी तास के हवाले से दी है। रिपोर्ट के अनुसार यह बात रूस की न्यूक्लियर एनर्जी कॉरपोरेशन रोसाटोम के चीफ अलेक्सी लिखाचेव ने कही है। रोसाटोम के भारत के साथ संबंध हैं।

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रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने रूस की इस पहल में रुचि दिखाई है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत ने स्पेस एक्सप्लोरेशन में तेजी लाने का फैसला लिया है। चंद्रयान-3 मिशन ने पहली बार चांद के दक्षिणी पोल की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। बता दें कि अभी तक चांद के इस हिस्से पर किसी भी देश ने लैंडिंग नहीं की थी। भारत की योजना साल 2035 तक अपना पहला स्पेस स्टेशन 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' सेटअप करने की है। इसके साथ ही भारत साल 2040 तक चांद पर इंसान को पहुंचाने की प्लानिंग भी कर रहा है। भारत के इस सपने को साकार करने में रूस की नई पहल काफी मदद कर सकती है। आइए जानते हैं क्या है रूस का प्लान और कैसे यह भारत-चीन के संबंधों की खटास खत्म कर सकता है।

क्या है रूस का प्रोजेक्ट?

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की कमान रोसाटोम संभाल रही है। रूस ने चीन के साथ चांद पर एक बेस बनाने के लिए भागीदारी की है और वहां पावर प्लांट बनाने का प्लान इसी प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है जो वहां बनाए जाने वाले बेस को पावर पहुंचाने का काम करेगा। यह प्रस्तावित पावर प्लांट तुलनात्मक रूप से छोटा होगा जो करीब आधा मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकेगा। चीन तो इस प्रोजेक्ट में रूस के साथ है लेकिन रोसाटों के चीफ का कहना है कि पावर प्लांट के प्रोजेक्ट में मॉस्को और नई दिल्ली दोनों पार्टिसिपेट करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों ही इस ग्राउंड ब्रेकिंग प्रोजेक्ट का निर्माण करने के लिए हमारे प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए बहुत इंटेरेस्ट दिखा रहे हैं।

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चीन-भारत आएंगे साथ?

उल्लेखनीय है कि साल 2021 में रूस और चीन ने ऐलान किया था कि वह चांद पर इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) का निर्माण करेंगे जो एक जॉइंट लूनर बेस होगा। इसे साल 2035 से 2045 तक पूरा करने की योजना बनाई गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत अमेरिका और रूस के साथ अपने डिप्लोमैटिक कार्ड्स सावधानी से खेल रहा है। चीन के साथ भारत के संबंध यूं तो बेहद तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन, स्पेस की फील्ड में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रूस के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए वह चीन के साथ हाथ मिला सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी। बता दें कि स्पेस के क्षेत्र में भारत की मजबूत होती छवि को अमेरिका समेत पूरी दुनिया ने स्वीकारा है।

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