'भारत के बिना दुनिया नहीं बढ़ सकती आगे', जर्मन के पूर्व राजदूत ने अपनी किताब में क्यों लिखा ऐसा?
Former German Ambassador Book On India Global Influence : अगर किसी देश पर किताबें छपने लगती हैं तो माना जाता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था तेजी से ग्रोथ कर रही है। जब 2000 के दशक की शुरुआत में चीन की ग्रोथ में तेजी आई थी तो कई किताबें ऐसी छपी थीं जो उसके आर्थिक उत्थान पर केंद्रित थीं। अब भारत पूरी दुनिया की नजरों में है तो स्वाभाविक रूप से इसके बारे में और जानने में दिलचस्पी है। ग्लोबल ऑडियंस को भारत के बारे में बताने के लिए राजनयिक वाल्टर जे लिंडनर से बेहतर कोई नहीं है, जो 2019 से 2022 तक भारत में जर्मन राजदूत थे। इससे पहले वे जर्मन विदेश मंत्रालय में पूर्व राज्य सचिव थे।
भारत के साथ उनका रिश्ता 1970 के दशक में एक बैकपैकिंग ट्रिप से शुरू हुआ और तब खत्म हुआ जब वे भारतीय मीडिया के निशाने पर आए। राजदूत को लाल रंग की एंबेसडर कार में दिल्ली की सड़कों पर देखा गया। वाल्टर जे लिंडनर एक ट्रेंड म्यूजिशियन भी हैं। उन्होंने एक किताब लिखी है, जिसमें बताया है कि पश्चिम को भारत से क्या सीखना चाहिए।
यह भी पढ़ें : Zambia: राष्ट्रपति को मारने के लिए गिरगिट और ताबीज, 2 गिरफ्तार, पुलिस ने किए ये चौंकाने वाले खुलासे
सॉफ्ट पावर के लिए जाना जाता है भारत
लिंडनर ने अपनी किताब के जरिए बताया कि भारत सॉफ्ट पावर के लिए जाना जाता है, जबकि वैश्विक मामलों में अधिक मुखर रहते हैं। भारत की आध्यात्मिकता, इतिहास, संस्कृति, धर्म, संगीत- इन सभी ने दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ी है। लेकिन अब इसकी आबादी दुनिया में सबसे बड़ी है, इसलिए इसका महत्व सिर्फ सॉफ्ट पावर से कहीं ज़्यादा है। यह एक ऐसा देश है, जिसकी राय और भागीदारी के बिना दुनिया वास्तव में आगे नहीं बढ़ सकती।
भारत संतुलन बनाने में सफल रहा
उन्होंने कहा कि अगर आपको प्लास्टिक के खिलाफ लड़ना है या बड़े शहरों को चलाना है या जल संकट का समाधान खोजना है तो ये सभी काम तभी हो सकते हैं जब आपको भारत में समाधान मिले। दुनिया में पिछले दो-तीन सालों में राजनीतिक उथल-पुथल, युद्ध और संघर्षों के बीच भारत महाशक्तियों के बीच, पूर्व और पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के बीच संतुलन बनाने में कामयाब रहा है।
यह भी पढ़ें : कभी पोर्न का विकल्प तो कभी फिजीकल रिलेशन की सलाह, पुतिन के अजीबोगरीब बयान
विदेश नीति में भारत को मिला महत्व
उन्होंने आगे कहा कि भारत ने विदेश नीति में बहुत महत्व प्राप्त किया। यह देश के महत्व का स्वाभाविक विकास है। यूक्रेन और गाजा ने दिखाया कि भारत उन कुछ देशों में से एक है, जिसकी सभी पक्षों तक अच्छी पहुंच है। भारत संतुलन बनाने में कामयाब रहा। पश्चिमी देशों में भारत को अपनी ओर खींचने और संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य स्थानों पर समान मतदान पैटर्न अपनाने के लिए दबाव डालने की प्रवृत्ति है। इसे लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम में दोहरा मापदंड है। आपको ऐसी चतुर राजनीति की आवश्यकता है, जो आपको गुटबाजी की सोच से दूर रखे और लगता है कि उन्होंने अच्छा किया है। दुनिया को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है, जो व्लादिमीर पुतिन, डोनाल्ड ट्रंप और यूरोपीय लोगों से बात कर सकें। ऐसे देशों की आवश्यकता है, जो चैनल खुले रखें और उन्हें लगता है कि भारत ने यह शानदार ढंग से किया है।