किस तरह दोस्त से दुश्मन बन गए ईरान और इजराइल? 1979 की इस घटना ने बदली पूरी तस्वीर
Iran vs Israel : बीती 13 अप्रैल को पश्चिमी एशिया में पहले से चरम पर चल रहे तनाव में और इजाफा हुआ जब ईरान ने इजराइल पर 300 से ज्यादा मिसाइल और ड्रोन्स से हमला कर दिया। इस हमले को 1 अप्रैल को सीरिया में ईरानी दूतावास पर हुई एयर स्ट्राइक का जवाब माना जा रहा है जिसका आरोप ईरान ने इजराइल पर डाला है। इस घटना ने ईरान और इजराइल के संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ने का काम किया है। लेकिन आपको यह जानकर हैरत होगी कि ईरान और इजराइल के संबंध शुरुआती दौर में काफी मित्रवत हुआ करते थे।
साल 1948 में इजराइल एक देश के तौर पर अस्तित्व में आया था। तब ईरान के साथ उसके संबंध काफी करीबी थे। तुर्की के बाद ईरान दूसरा ऐसा मुस्लिम देश था जिसने इस यहूदी देश को मान्यता दी थी। उस समय ईरान पश्चिमी एशिया में सबसे बड़े यहूदी समुदाय का घर हुआ करता था। तब इजराइल अपना 40 प्रतिशत तेल ईरान को देता था और इसके बदले में उसे हथियार, टेक्नोलॉजी और कृषि उत्पाद मिला करते थे। इजराइल की मोसाद स्पाई एजेंसी ने ईरान के तत्कालीन शाह मोहम्मद रेजा पहलवी की सवाक सीक्रेट पुलिस को ट्रेनिंग भी दी थी।
फिर 1979 में हुई इस्लामी क्रांति
साल 1979 में ईरान में हुई इस्लामी क्रांति ने इजराइल और तेहरान के बीच स्थिति को बदल दिया। क्रांति में शाह मोहम्मद रेजा पहलवी की सत्ता चली गई और दोनों देशों की दोस्ती पर नाटकीय तरीके से पूर्ण विराम लग गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इजराइल ने ईरान में नए इस्लामी गणराज्य को मान्यता नहीं दी थी। इसके जवाब में अयातुल्लाह ने येरुशलम पर इजराइल के कब्जे को अवैध करार दे दिया था। बता दें कि ईरान में अयातुल्लाह रुहोल्लाह खामनेई के उदय के साथ अमेरिका को वहां 'बड़ा शैतान' और इजराइल को 'छोटा शैतान' कहा जाने लगा था।
इस तरह दुश्मनी में बदली दोस्ती
इस तरह एक समय में अच्छे दोस्त रहे इजराइल और ईरान अब एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए। साल 1982 में इजराइल ने लेबनान में फिलस्तीनी संगठनों के खिलाफ अभियान चलाया था। ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के गठन में मदद की थी। हिजबुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान में ईजराइली बलों पर जोरदार हमला किया था। इजराइल ने हिजबुल्लाह पर अर्जेंटाइना समेत अन्य देशों में हुए हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इन घटनाओं ने ईरान और इजराइल के बीच तनाव को और बढ़ाने का काम किया।
समय के साथ और बिगड़े संबंध
साल 2005 में संबंध और तल्ख हुए जब ईरान में चुनाव हुए और बेहद रूढ़िवादी नेता महमूद अहमजदीनेजाद का उदय हुआ। उन्होंने कई मौकों पर इजराइल को खत्म करने की बात कही थी। ईरान ने इसी साल इस्फहान में यूरेनियम संवर्धन का काम रिज्यूम किया। वैश्विक शक्तियों ने जब 2015 में ईरान न्यूक्लियर डील को अनुमति दी तब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसका विरोध किया था और इसे ऐतिहासिक गलती बताया था। 2018 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस डील से बाहर हुए तो उन्हें बधाई देने वाले पहले नेता नेतन्याहू ही थे।
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