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9 साल की बेट‍ियां बनेंगी दुल्‍हन! इस मुस्‍ल‍िम देश ने आख‍िर क्‍यों बना डाला नया कानून?

Iraq New Marriage Law: एक मुस्लिम देश में नया वैवाहिक अधिनियम लागू किए जाने की तैयारी है। लेकिन इस कानून के लागू होने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। नए कानून को महिलाओं ने अपने अधिकारों का विरोध बताया है। इस कानून को शिया पार्टियों के गठबंधन ने तैयार किया है। जिसे लागू किए जाने की तैयारी है।
03:20 PM Aug 09, 2024 IST | Parmod chaudhary
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Iraq News: मुस्लिम देशों में महिलाओं को लेकर जो कानून बनाए जाते हैं। वे अक्सर चर्चा में रहते हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में मुस्लिम देशों में महिलाओं को सिर्फ नाम की ही आजादी है। अब इराक का नया कानून चर्चा में है। जिसका लागू होने से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। इस कानून के हिसाब से बेटियों की शादी की न्यूनतम उम्र 9 साल हो जाएगी। इराक की रूढ़िवादी शिया पार्टियों ने कानून का ड्राफ्ट इराकी संसद में पेश किया है। जो 9 साल की बच्चियों की शादी की इजाजत देगा। वहीं, महिला अधिकार संगठन इस कानून को लेकर चिंतित हैं। महिला और मानव अधिकार संगठनों के मुताबिक कानून लागू होने से इराक में पितृसत्तात्मकता का बढ़ावा मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक इराक में 1959 के व्यक्तिगत स्थिति कानून 188 में संशोधन किए जाने को लेकर विचार चल रहा है। यह कानून तत्कालीन अब्दुल करीम कासिम सरकार ने पास किया था। जिसमें महिलाओं के लिए कई सुधार किए गए थे।

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महिला कार्यकर्ताओं के अनुसार उस समय वकीलों, धार्मिक प्रमुखों और विशेषज्ञों की सलाह पर कानून लागू किया गया था। इस कानून को पश्चिम एशिया का अच्छा कानून माना जाता था। जिसमें महिला और पुरुषों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। इसमें पुरुषों को दूसरी शादी की अनुमति भी नहीं है। लेकिन रूढ़िवादी शिया इस्लामवादी पार्टियों का गठबंधन इसमें लगातार बदलाव की मांग कर रहा था। जो इराक का बड़ा गुट माना जाता है। नए कानून के अनुसार शादी से पहले जोड़े को शिया या सुन्नी समुदाय में किसी एक का चयन करना होगा। इस कानून का नाम छठे शिया इमाम जाफर अल सादिक के नाम पर रखा गया है।

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लड़का 15 साल की उम्र में कर सकेगा शादी

इसमें शादी, तलाक और गोद लेने के नियम अलग हैं। वहीं, लड़के की शादी की उम्र 15 साल न्यूनतम होगी। ये मसौदा निर्दलीय सांसद राएद अल मलिकी ने इराकी संसद में पेश किया है। महिला संगठनों ने कहा है कि अगर ये कानून लागू हुआ तो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह दोनों के लिए अपमानजनक कदम है। जिसको खारिज किया जाए। इराक में महिला स्वतंत्रता संगठन (OWFI) की अध्यक्ष यानार मोहम्मद का दावा है कि सरकार अपनी कमियों और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ऐसा कदम उठा रही है। ये कानून महिलाओं पर पुरातन इस्लामी शरिया जैसा है, जो उनको अधिकारों का हनन करता है।

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