क्या मोबाइल हैक कर हो सकता है ब्लास्ट, पेजर को टार्गेट करना आसान क्यों?
Lebanon Pager Attack: लेबनान की राजधानी बेरूत में पेजर अटैक ने दुनिया को हैरान कर दिया है। कई देशों में ट्रेंड से बाहर हो चुके पेजर को लेबनान में मैसेज पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हिजबुल्लाह के लड़ाके मोबाइल की जगह पेजर का इस्तेमाल इसलिए करते हैं, ताकि वे इजराइल के खुफिया तंत्र और उसके हमले से बच सकें।
सिलसिलेवार पेजर ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई और 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए। इन हमलों में ईरान के राजदूत और हिजबुल्लाह के लड़ाके भी घायल हुए हैं। हिजबुल्लाह के सांसद अली अम्मार और हसन फदलल्लाह के बेटे की भी मौत की खबर सामने आ रही है। इन हमलों कोजिस तरह से अंजाम दिया गया, उसे देख हर कोई दंग है। इस हमले का जिम्मेदार इजराइल को माना जा रहा है। पेजर ब्लास्ट के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या मोबाइल फोन को हैक कर ब्लास्ट को अंजाम दिया जा सकता है? आइए जानते हैं कि इसकी संभावना कितनी है।
पहले जानते हैं कैसे हुआ पेजर अटैक?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल ने ताइवान की वायरलेस पेजर कंपनी गोल्ड अपोलो से ऑर्डर किए गए पेजर के एक बैच के अंदर विस्फोटक छिपाए थे। कहा जा रहा है कि उन्हें दूर से विस्फोट करने के लिए एक स्विच इंस्टॉल किया गया था। जिसके जरिए दूर बैठे हमलावरों ने एक के बाद एक हमले किए। हालांकि गोल्ड अपोलो की ओर से इस रिपोर्ट्स का खंडन किया गया है। पेजर के जरिए ये हमला इसलिए आसान रहा क्योंकि इसका सिस्टम स्मार्टफोन के मुकाबले कम सुरक्षित होता है। पेजर रेडियो सिग्नल्स पर काम करता है। इसमें सिम या नेटवर्क की जरूरत नहीं होती। पेजर एन्क्रिप्टेड नहीं होते। यानी इन्हें आसानी से हैक किया जा सकता है।
अब बात करते हैं कि क्या स्मार्टफोन में ऐसा संभव है?
पेजर और स्मार्टफोन में अगर समानता की बात की जाए तो दोनों में लीथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर आपने स्मार्टफोन में हीटिंग की वजह से बैटरी फटने या ब्लास्ट की घटनाएं सुनी होंगी। अगर स्मार्टफोन की बात की जाए तो इसके जरिए किसी घटना को अंजाम देने के लिए विस्फोटक छिपाने और इसे हैक कर रेडियो सिग्नल और इलेक्ट्रॉनिक पल्स के जरिए इसके सप्लाई चेन के इंटरफेस में हेरफेर की जरूरत होगी।
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पेजर के मुकाबले स्मार्टफोन ज्यादा सिक्योर
स्मार्टफोन के मामले में बैटरी की हीट को किसी हैकर या सिस्टम के जरिए बढ़ाकर विस्फोट करना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि स्मार्टफोन की सिक्योरिटी काफी बेहतर होती है। दूसरा स्मार्टफोन सर्किटरी पर चलता है। जिससे इससे बैटरी सुरक्षित रहती है। कुछेक मामलों को छोड़ दें तो स्मार्टफोन में हीट बढ़ने पर ऑटोमेटिक सिस्टम ऑन हो जाता है। कई बार चार्जिंग भी अपने आप बंद हो जाती है। स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले कूलिंग चैंबर भी बैटरी को सुरक्षित रखते हैं। इस तरह इस हमले को अंजाम देना काफी मुश्किल होगा। बशर्ते हैकर स्मार्टफोन में विस्फोटक इंस्टॉल कर इसमें टाइमर न लगा दें।
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