हथेली पर जान रख क्यों 3 पैरों वाले शेर और उसके भाई ने पार की नदी? चौंकाने वाली है वजह
Kazinga Channel: युगांडा के क्वीन एलिजाबेथ नेशनल पार्क में दो नर शेरों (भाइयों) ने अपने नाम अब तक की बड़ी बिल्लियों की सबसे बड़ी तैराकी का रिकॉर्ड दर्ज कर लिया है। एक मील लंबी तैराकी के बाद अब शोधकर्ता भी उत्साहित हैं। नेशनल पार्क में फरवरी का ये मामला है, जब काजिंगा चैनल के पास शेर खड़े थे, जो दूसरी ओर किनारे की तरफ देख रहे थे। इस पानी में 16-16 फुट लंबे मगरमच्छ और दरियाई घोड़े रहते हैं। नदी भी लगभग 20 फीट तक गहरी है। इस पानी में उतरकर नदी को पार करना आसान नहीं था।
लेकिन 12 घंटे पहले अपने इलाके को खो चुके शेरों के लिए ये ज्यादा जोखिम भरा काम भी नहीं था। लड़ाई हारने के बाद भी ये बच गए, इसलिए सौभाग्यशाली ही थे। चैनल के इस तरफ रहना किसी सूरत में दोनों के लिए ठीक नहीं था। कहीं न कहीं, दूसरी ओर से आ रही मादा शेरों की दहाड़ भी इनको आकर्षित कर रही थी। जिसके बाद इन शेरों ने नदी में उतरने का फैसला किया। आम तौर पर बिल्ली की किसी भी प्रजाति को तैराकी पसंद नहीं होती है।
किस्मत ने भी दिया दोनों शेरों का साथ
दोनों भाइयों में से एक के तो पैर ही 3 थे। जो 2020 में किसी शिकारी की चपेट में आ गया था। लेकिन इससे जैकब नाम का ये शेर और टीबू नाम के उसके भाई के हौसले में किसी प्रकार की कमी नहीं आई। शेरों ने 3 प्रयास किए, जिसके बाद ये नदी को पार कर गए। इस दौरान विशेषज्ञ ड्रोन से इनका पीछा कर रहे थे। ड्रोन ने नदी के बीच में बड़ा बदलाव देखा, माना जा रहा था कि कोई मगरमच्छ या दरियाई घोड़ा इनके करीब आ रहा हो। लेकिन दोनों शेर वाई फॉर्मेशन में विभाजित हो गए। इसके बाद एक घंटे से कम समय किनारे पर वेट किया, फिर नदी में कूद गए। किस्मत से दोनों को साफ रास्ता मिला और वे नदी को पार कर गए।
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उत्तरी एरिजोना विश्वविद्यालय और ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने इसे नाटकीय करार दिया है। ये विशेषज्ञ 2017 से शेरों पर स्टडी कर रहे हैं। शेर लगभग 150 फ़ीट से ज्यादा दूर तैरना पसंद नहीं करते। 2012 में जिम्बाब्वे से जाम्बिया तक जाम्बेजी नदी को लगभग 330 फीट तक तैरकर एक शेर ने पार किया था। नवंबर 2023 में भी ऐसा कारनामा दिख चुका है। जब एक युवा नर शेर ने दक्षिणी तंजानिया में रुफिजी नदी को 985 फीट तक तैरकर पार किया। नेशनल पार्क में 2018 में 71 शेर थे। जो अब सिर्फ 40 रह चुके हैं। ज्यादातर इनमें मादाएं बची हैं। अधिकतर शेरों की मौत का कारण ग्रामीण हैं। जो अपने पशुओं की रक्षा के लिए इनको जहर दे देते हैं। आपसी संघर्ष भी मौत का कारण है।