बंदर को बैलगाड़ी चलाते देखा तो दे दिया ट्रेन सिग्नल चलाने का काम, 9 साल में नहीं की एक भी गलती
Monkey Operated Train Signals Without A Single Mistake : कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं जिनमें इंसान और जानवर साथ-साथ बिना किसी को परेशान किए दिखाई देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ था जेम्स और जेक के साथ। दरअसल, जेम्स वाइड नाम के एक शख्स ने जेक नाम के बंदर को एक बाजार में सधे हुए तरीके से बैलगाड़ी चलाते हुए देखा था। अफ्रीकी रेलवे सिग्नलमैन के तौर पर काम करने वाले जेम्स ने जैक की कलाकारी देखते हुए उसे अपना असिस्टेंट बनाने का फैसला कर लिया।
जेम्स एक ट्रेन हादसे में अपने पैर खो चुके थे। उन्हें लकड़ी के पैर लगाए गए थे और एक लकड़ी की पहिया गाड़ी भी दी गई थी ताकि वह अपना काम कर सकें। लेकिन फिर भी उन्हें एक सहयोगी की जरूरत थी। लेकिन, उन्होंने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उन्हें एक ऐसा बंदर मिलेगा जो उनका सबसे भरोसेमंद साथी साबित होगा। जैक ने काफी तेजी से ट्रेन सिग्नल मैनेज करने का काम सीख लिया। इस बंदर ने 9 साल तक यह काम किया और आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि इस दौरान उससे एक भी गलती नहीं हुई।
सिग्नल बदलने के साथ तेजी से सीखे कई काम
जैक ने जेम्स के साथ उनकी कार्ट को चलाने के अलावा, ट्रेन सिग्नल बदलने और कंडक्टर को चाबी देने का काम सीख लिया और इन कार्यों को बिना गलती अंजाम देने लगा। रिपोर्ट्स के अनुसार ये दोनों दक्षिण अफ्रीका के केपटाउल में पोर्ट एलिजाबेथ मेनलाइन रेलरोड पर 1800 के दशक के आखिरी दौर में काम करते थे। जैक का दिमाग काफी तेज था और वह तेजी से सीखता था। उसे ट्रेन सिग्लन बदलने का काम सिखाने में जेम्स को कुछ खास मेहनत नहीं करनी पड़ी। जेम्स को देख-देख कर ही वह काम सीख जाता था।
कंडक्टर को चाबी देने का काम भी सीख लिया
जेम्स को जैक ने उंगलियों से स्विच पकड़कर और लीवर खींचकर सिग्नल बदलते हुए देखा। जैक ने यह भी देखा कि जब भी कोई ट्रेन स्टेशन पर आती है तो जेम्स उसके कंडक्टर को एक चाबी देता है। जल्द ही जैक ने इसे समझा और वह जैसे ही ट्रेन की सीटी सुनता चाबी लेकर कंडक्टर के पास पहुंच जाता। जैक के आने से जेम्स का कठिन काम काफी आसान बन गया था। जब लोगों को इस बारे में पता चला तो वह अक्सर एक बंदर को ये काम करता देखने रेलवे स्टेशन पहुंचने लगे थे। दोनों वहां काफी पॉपुलर हो गए थे।
अधिकारियों ने दोनों को ही निकाला, लेकिन...
लेकिन जब अधिकारियों को इसका पता चला तो उन्होंने बिना जेम्स को अपनी बात रखने का मौका दिए दोनों को काम से निकाल दिया। इस पर जेम्स ने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वह एक बार जैक को काम करते हुए देख लें। कुछ सोच कर रेलरोड के मैनेजर ने ये बात मान ली। जैक का टेस्ट लेने के लिए एक इंजीनियर से ट्रेन का सिग्नल देने को कहा गया। इस दौरान जैक ने जिस तरह सही सिग्नल बदला और यह तय करने के लिए ट्रेन की ओर देखता रहा कि कोई गलती तो नहीं हुई, वहां मौजूद सभी हैरत में पड़ गए।
ऑफिशियल नियुक्ति के बाद सैलरी भी मिली
इसके बाद जैक को रेलरोड में आधिकारिक नियुक्ति मिली। जैक की सैलरी 20 सेंट प्रति सप्ताह और आधी बियर की बोतल थी। इस तरह जैक ने नौ साल रेलवे की नौकरी करते हुए हुजारे। बाद में उसे टीबी की बीमारी हो गई थी जिसके चलते उसका निधन हो गया था। जैक की खोपड़ी को दक्षिण अफ्रीका के ग्राहम्सटाउन में स्थित अलबनी म्यूजियम में रखा गया है। उल्लेखनीय है कि जैक के जीवन पर केटी जॉन्स्टन नाम के एक शख्स ने रेलवे 'ट्रैक: द ट्रू स्टोरी ऑफ एन अमेजिंग बबून' नाम की एक पिक्चर बुक भी लिखी है।
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