धरती पर कहां मौजूद है ‘नरक का दरवाजा’? क्या है 54 साल पुरानी कहानी का रहस्य
Door to Hell Turkmenistan: अंतरिक्ष की ऊंचाई से लेकर समुद्र की गहराई तक धरती पर अनगिनत राज छिपे हैं। मगर क्या आपने कभी 'नरक के दरवाजे' (Door to Hell) के बारे में सुना है? जी हां, धरत पर ही 'नरक का दरवाजा' भी मौजूद है। यहां जाने वाला कोई भी शख्स कभी जिंदा वापस नहीं आता, न उसका शव मिलता है और न ही उसके बारे में कुछ पता चल पाता है। हालांकि ताजुब की बात यह है कि नरक का दरवाजा कोई जादुई या चमत्कारी चीज नहीं है। वैज्ञानिक पहले ही इसके राज से पर्दा उठा चुके हैं। तो आइए जानते हैं कि नरक का दरवाजा आखिर कहां है और इसका रहस्य क्या है?
नरक के दरवाजे का रहस्य
नरक का दरवाजा मध्य एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान में मौजूद है। दरअसल तुर्कमेनिस्तान में मौजूद रेगिस्तान को ही नरक का दरवाजा कहा जाता है। काराकुम रेगिस्तान का रहस्य काफी चौंकाने वाला है। यहां एक बड़ा सा गड्ढा है, जिसमें हमेशा आग जलती रहती है। सालों से जल रही यह आग पानी डालने से भी नहीं बुझती। यही वजह है कि काराकुम रेगिस्तान को नरक का दरवाजा भी कहा जाता है।
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65 फीट गहरा गड्ढा
वैज्ञानिकों की मानें तो यह आग पिछले 50 सालों से जल रही है। काराकुम रेगिस्तान में एक बड़ा सा क्रेटर यानी गड्ढा है। दरअसल यह कहानी 1971 में शुरू हुई थी। इसी दौरान तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में नेचुरल गैस का पता चला था। इसे निकालने के लिए कई देशों में होड़ मच गई। तभी यहां एक बड़ा धमाका हुआ और 65 फीट गहरा गड्ढा बन गया। इस गड्ढे से मीथेन गैस लीक करने लगी। यह पृथ्वी के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती थी। ऐसे में मीथेन गैस को दबाने के लिए वैज्ञानिकों ने यहां आग लगा दी।
मीथेन और सल्फर की बदबू
1971 से लगी यह आग आज भी जल रही है। इस क्रेटर से लगातार मीथेन गैस निकलती है, जो आग में तब्दील हो जाती है। क्रेटर में मौजूद गैस अभी तक खत्म नहीं हुई है। काराकुम रेगिस्तान का यह गड्ढा 229 फीट चौड़ा और 65 फीट गहरा है। यहां से हमेशा मीथेन और सल्फर की गंध निकलती है, जिसकी बदबू आसपास के इलाकों में भी महसूस की जा सकती है। यही वजह है कि इस गड्ढे को नरक का दरवाजा कहा जाता है। यहां जाने वाला कोई भी इंसान जिंदा वापस नहीं आता है।
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