मंगल ग्रह पर अजीबोगरीब चीज मिली! देखकर वैज्ञानिक भी हैरान, सफेद रंग और धब्बे ही धब्बे
White Color Stone on Mars Planet: चांद, सितारों और ग्रहों की दुनिया में आए दिन चमत्कार होते रहते हैं। नई-नई अजीबोगरीब चीजें मिलती रहती हैं। कभी नया ग्रह, कभी नया तारा, कभी नई आकाशगंगा तो कभी नई धरती मिल जाती है। कभी-कभी तो दूसरे ग्रहों पर एलियंस की मौजूदगी के सबूत मिलते रहते हैं, लेकिन अब मंगल ग्रह पर एक अजीबोगरीब चीज मिली है, जिसे देखकर अमेरिका की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी नासा भी हैरान है।
दरअसल, मंगल ग्रह पर मिशन में जुटे नासा के पर्सिवियरेंस रोवर को सफेद रंग का एक पत्थर मिला है। इस पत्थर की तस्वीर रोवर ने गत 27 मई को खींची और स्पेस स्टेशन भेजी। लाल रंग के ग्रह पर सफेद रंग की चीज देखकर वैज्ञानिकों ने इसे एलियंस की मौजूदगी का अंदेशा जताया और सबूतों की तलाश शुरू कर दी।
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नासा के वैज्ञानिकों ने रखा पत्थर का नाम
मीडिया रिपोट के अनुसार, नासा ने पर्सिवियरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर के अंदर खनिज पदार्थ होने के सबूत तलाशने के लिए भेजा गया है। पत्थरों से ढके इस क्रेटर के अंदर रोवर के कैमरे से वैज्ञानिकों को एक ऐसी चट्टान दिखाई दी, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। यह चट्टान सफेद रंग की है और उस पर गहरे रंग के धब्बे हैं। चट्टान करीब 18 इंच चौड़ी और 14 इंच लंबी है।
यह अपने चारों ओर फैले काले रंग के पत्थरों से बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। इस चट्टान का नाम नासा के वैज्ञानिकों ने एटोको पॉइंट रखा है। जांच करने से पता चला है कि एटोको पॉइंट पाइरोक्सिन और फेल्डस्पार खनिज पदार्थों से मिलकर बनी है। यह दोनों खनिज पदार्थ चट्टान बनाते हैं और सामान्यतः बेसाल्ट में पाए जाते हैं। इसके साइज, शेप और क्रिस्टल लाइट को देख इसे अद्भुत चीज माना गया है।
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जेजेरो क्रेटर की जांच कर रहा है रोवर
नासा के सूत्रों के अनुसार, वैज्ञानिकों को यह स्पष्ट नहीं है कि एटोको पॉइंट कैसे बनी, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जिन 2 खनिज पदार्थों से मिलकर यह बनी है, वे ग्रह की सतह के नीचे बनी मैग्मा की परत से पैदा हुए थे। वैज्ञानिकों के लिए बड़ा सवाल यह है कि क्या यह चट्टान क्रेटर के बाहर बनी है? या किसी जलधारा के साथ बहकर बाहर आई है।
बता दें कि फरवरी 2021 में पर्सिवियरेंस मंगल ग्रह पर उतरा था और तब से जेजेरो क्रेटर की जांच कर रहा है। यह क्रेटर कभी झील हुआ करता था। रोवर क्रेटर के किनारे कार्बोनेट और ओलिवाइन जमा होने की तलाश कर रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे मंगल ग्रह पर कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस होने और इसके स्तर के बारे में सुराग जुटा सकेंगे, जिससे वहां की जलवायु के बारे में दुनिया को बता सकें।
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