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अंतरिक्ष में जाना चाहते हैं? पास करना होगा ये अजीबोगरीब टेस्ट, जानें NASA एस्ट्रोनॉट से

NASA Space Travel Test: नासा के अंतरिक्ष यात्रा ने अजीब खुलासा किया है। यात्री के अनुसार नासा अंतरिक्ष में जाने के लिए अब एक टेस्ट लेगा। अंतरिक्ष यात्रियों को विमान चलाने, बिना गिराए खाना खाने और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कैसे जीवित रहना है? इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। अंतरिक्ष में उड़ान भरना हर किसी के लिए आसान नहीं होता।
03:52 PM Jul 17, 2024 IST | Parmod chaudhary
नासा।
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NASA News: नासा अंतरिक्ष यात्रा से पहले अब यात्रियों का अजीब टेस्ट लेगा। एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री जोस मोरेनो हर्नांडेज ने इसको लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। कोई व्यक्ति अगर अंतरिक्ष में जाने का इच्छुक होगा तो उसे ये टेस्ट पास करना होगा। अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कैसे जिंदा रहना है? टुकड़े गिराए बिना खाना और विमान चलाना भी यात्रियों को सीखना होगा। अंतरिक्ष में यात्रा करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। अब अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए नासा ने नियम सख्त कर दिए हैं। अंतरिक्ष के लिए चयन प्रक्रिया को सबसे प्रतिस्पर्धा वाली माना जाता है। जिसके लिए अब गहन परीक्षण से गुजरना होगा। यह प्रक्रिया लगभग दो साल चलेगी। IFL साइंस पेशाब और मल मॉड्यूल परीक्षण भी करेगा।

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चयन के बाद जाना होता है बूट कैंप में

जो यात्री प्रारंभिक चयन प्रक्रिया को पास करते हैं, उनको एक 'बूट कैंप' में ले जाया जाता है। जहां उनको अंतरिक्ष स्टेशन प्रणालियों और शटल के बारे में जानकारी दी जाती है। इसके अलावा विज्ञान और इंजीनियरिंग के कौशल जैसे विमान संचालन, स्कूबा डाइविंग और पानी में कैसे जीवित रहना है? के बारे में बताया जाता है। अंतरिक्ष यान का सेटअप नकली होता है, लेकिन उससे असली के बारे में जानकारी दी जाती है। माइक्रोग्रैविटी वातावरण में खुद को कैसे जिंदा रखना है? इसके लिए रोबोटिक आर्म ऑपरेशन टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरना होता है।

कैसे यूज करना है टॉयलेट

परीक्षण के दौरान बताया जाता है कि अगर पेशाब या मल की इच्छा अगर स्पेस में होती है तो उससे कैसे निपटना है? उड़ान के दौरान शौचालयों का कैसे उपयोग करना है? यह भी सिखाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के आसपास काफी माइक्रोग्रैविटी होती है। यहां तरल और ठोस पदार्थ भारहीन होकर तैरते रहते हैं। ऐसी स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए टॉयलेट यूज करना आसान नहीं होता। धरती पर गुरुत्वाकर्षण के कारण अपशिष्ट शौचालयों में गिरता है। लेकिन अंतरिक्ष में वायु प्रवाह के कारण गति को नियंत्रित करने की जरूरत होती है।

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शुरुआती उड़ानों के समय में अपशिष्ट निदान के लिए अंतरिक्ष में खास प्रबंध नहीं थे। स्पेसवॉक मिशन के दौरान यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। फेकल कंटेनमेंट सिस्टम (FCS) की सुविधा थी। जो लिक्विड कूलिंग कपड़े जैसा अंडरपैंट्स था। सरल भाषा में इसे डायपर जैसा कहा जा सकता है। लेकिन पिछले सालों में नासा ने बाथरूम आदि को लेकर काफी अच्छी तकनीक पर काम किया है। जब से अंतरिक्ष में महिला यात्री जाने लगी हैं तब से हर साल 23 मिलियन डॉलर (192 करोड़ रुपये) खर्च किए जा रहे हैं। बाथरूम पूरी तरह वायु प्रवाह तकनीक पर बनाए जाते हैं। इस तकनीक में एक वैक्यूम नली का यूज होता है, जो मूत्र को शौचालय में भेजने के लिए कृत्रिम तौर पर गुरुत्वाकर्षण पैदा करती है।

काफी महंगा होता है यह शौचालय

यह शौचालय काफी महंगा होता है, जिसमें एक बड़ी मोटर का यूज वायु प्रवाह के लिए किया जाता है। पूर्व अंतरिक्ष यात्री हर्नांडेज के अनुसार यात्रियों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करने वाले एक वर्ग का नाम 'पॉटी 101' रखा गया है। अंतरिक्ष में सोना 'बादल पर सोने' के समान माना जाता है। क्योंकि नींद अच्छी आती है और कोई दबाव नहीं होता। ट्रेनिंग के दौरान बताया जाता है कि अगर आप अंतरिक्ष में चिप्स या बिस्किट के पैकेट लेकर जाएंगे तो आपको कैसे पैकेट खोलना है? आदि की पूरी जानकारी दी जाती है। पहले एक पैकेट कंप्लीट करना होगा, फिर दूसरा खोल सकेंगे। सभी एक साथ खोलेंगे तो गंदगी फैलेगी। तकनीकी कामकाज में बाधा आएगी। पेशाब और मल का परीक्षण करवाना होगा। नहीं तो अंतरिक्ष के लिए एंट्री नहीं मिलेगी।

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