History: 29000 फीट ऊंचाई पर भीषण अग्निकांड, चिंगारी भड़की और फ्लाइट बनी आग का गोला, जिंदा जल गए 156 लोग
Ilyushin Il-62 Airliner Crashes Memoir: हंसते-खेलते परिवार के साथ सफर कर रहे हों और अचानक कुछ ऐसा हो जाए कि एक झटके में सब खत्म, वाकई दिल दहलाने वाला हादसा होगा। ऐसा ही कुछ हुआ इंटरफ्लग फ्लाइट 450 के साथ, जिस पर 29000 फीट की ऊंचाई पर 'काल' ने अटैक किया। एक चिंगारी भड़की और चुटकियों ने प्लेन आग का गोला बन गया। देखते ही देखते विमान जलकर राख हो गया। मलबे आसमान से जमीन पर गिरा और नीचे खड़े लोगों ने लाशें धरती पर गिरती देखीं। विमान में सवार सभी 156 पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स आग में जिंदा जलकर मारे गए थे। जर्मनी के इतिहास का सबसे भीषण विमान हादसा जिंदगीभर के लिए कड़वी यादें दे गया। हादसा विमान के कार्गो बे में आग लगने से हुआ। आग विमान से गर्म हवा लीक होने से लगी थी।
फ्लाइट में छुट्टियां मनाने जा रहे टूरिस्ट थे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज से 52 साल पहले 14 अगस्त 1972 को कोनिग्स वुस्टरहाउसन हवाई दुर्घटना हुई थी। इंटरफ्लग फ्लाइट 450 इल्युशिन IL-62 पूर्वी जर्मनी के शोनेफेल्ड में बर्लिन-शोनेफेल्ड एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद क्रैश हो गई थी। यह फ्लाइट बुल्गारिया के बर्गास शहर के लिए एक हॉलिडे चार्टर फ्लाइट थी। फ्लाइट के कैप्टन 51 वर्षीय कैप्टन हेंज फाफ थे। 35 वर्षीय लोथर वाल्थर फर्स्ट ऑफिसर, 32 वर्षीय इंगोल्फ स्टीन फ्लाइट इंजीनियर और 38 वर्षीय अचिम फ्लिलेनियस नेविगेटर थे। फ्लाइट 450 में गर्मियों की छुट्टियों में बल्गेरियाई ब्लैक सी कोस्ट जाने वाले टूरिस्ट थे। उड़ान भरने के बाद 15 मिनट के अंदर 8,900 मीटर (29,200 फीट) की ऊंचाई पर पायलट और क्रू मेंबर्स को मौत का सिग्नल मिल चुकाथा। फ्लाइट लिफ्ट होने में समस्या आ रही थी। क्रू मेंबर्स ने फ्लाइट वापस शॉनेफेल्ड एयरपोर्ट पर जाने का फैसला लिया। लैंडिंग के लिए जरूरी वजन को कम करने के लिए ईंधन डंप किया।
गर्म हवा के रिसाव से भड़की थी चिंगारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वापस एयरपोर्ट पर जाते समय फ्लाइट अटेंडेंट्स ने केबिन के पिछले हिस्से से धुआं उठते देखा। पायलट ने मेडे जारी किया और फिर विमान तेजी से नीचे की ओर गया। इस दौरान विमान में धमाके के साथ भीषण आग लग गई और वह आसमान में ही टुकड़े-टुकड़े हो गया। विमान का मलबा पूर्वी जर्मनी के कोनिग्स वुस्टरहौसेन शहर में गिरा। हादसे के विमान के पिछले हिस्से में लगी आग जिम्मेदार थी। विमान के इस हिस्से तक केबिन से पहुंचा नहीं जा सकता था और इसमें धूम्रपान डिटेक्टर भी नहीं थे, इसलिए चालक दल स्थिति की गंभीरता को तुरंत नहीं समझ सका। आग एक गर्म हवा की नली के रिसाव के कारण लगी थी, जिससे 300 °C (570 °F) तक गर्म हवा बाहर निकल गई थी। शॉर्ट सर्किट होने से 2000 °C (3600 °F) की चिंगारी निकली, जिससे कार्गो बे 4 में आग लग गई। आग तब तक फैलती रही, जब तक कि धुआं पैसेंजरों के केबिन तक नहीं पहुंच गई और फिर विमान क्रैश हो गया।