14000 फीट ऊंचाई पर भीषण अग्निकांड, पक्षी के टकराने से जहाज के इंजन में लगी आग, धमाके में मारे गए 15 पैसेंजर
Pan Am Flight 121 Crash in Syrian Desert: 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जहाज में भीषण आग लग गई, जिससे जहाज क्रैश हो गया और हादसे में जिंदा जलकर करीब 15 लोग मारे गए। रेगिस्तान में गिरने के कारण बाकी 21 पैसेंजरों की जान बच गई, लेकिन वे बुरी तरह झुलस गए थे। एक पक्षी के इंजन से टकराकर उसमें फंसने से इंजन में आग लग गई थी, जिसकी चपेट में पूरा जहाज आ गया। आग की ऊंची-ऊंची लपटों की तपन से जहाज की बॉडी पिघलने लगी।
वहीं शॉर्ट सर्किट के कारण सिस्टम फेल हो गए। जहाज अनकंट्रोल हो गया। 14 हजार फीट की ऊंचाई से पलटियां खाते हुए जहाज तेजी से नीचे आया। गनीमत रही कि जहाज रेगिस्तान में गिरकर टुकड़ों में बंट गया। फिर भी क्रू मेंबर्स और पैसेंजर्स मारे गए। वहीं पायलट ने सूझ-बूझ से काम लेते हुए जहाज में आग लगने की खबर ATC अधिकारियों को दे दी थी, जिसके कारण सेना के जवाब समय रहते हादसास्थल तक पहुंच गए और घायलों की जान बचाने में कामयाब हुए।
बगदाद में इमरजेंसी लैंडिंग का ऑफिर मिला था
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हादसा आज से 77 साल पहले हुआ था। पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज की फ्लाइट ने 19 जून 1947 को कराची शहर से इस्तांबुल के लिए उड़ान भरी थी। सफर करीब साढ़े 10 घंटे का था और 18,500 फीट (5,600 मीटर) की ऊंचाई पर फ्लाई करना था। टेकऑफ होने के 5 घंटे बाद कैप्टन जोसेफ हार्ट को आराम देने के लिए फर्स्ट पायलट ऑफिसर रॉडेनबेरी ने जहाज की कमान संभाल ली।
जब हार्ट कॉकपिट से बाहर थे तो एक इंजन में एग्जॉस्ट रॉकर में आग लग गई और रॉडेनबेरी ने इंजन बंद कर दिया, क्योंकि जहाज 3 इंजनों के साथ उड़ान भर सकता है, लेकिन एक इंजन में आग लगने से दूसरे इंजन भी गर्म होने लगे। उन्हें ठंडा करने के लिए कैप्टन ने जहाज को नीचे रतारा। करीब 14000 फीट (4,300 मीटर) की ऊंचाई पर इराक के बगदाद शहर से 80 किलामीटर पहले हब्बानिया में रॉयल एयर फोर्स फील्ड ऑफिसरों ने इमरजेंसी लैंडिंग का सुझाव दिया, लेकिन कैप्टन ने आग बुझाने का भरोसा दिया।
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कैप्टन ने सूझबूझ से रेगिस्तान में लैंड किया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, क्रू मेंबर्स आग बुझाने में विफल रहे और इंजन जल्दी से इतना गर्म हो गया कि मैग्नीशियम से बने स्पेयर पार्ट्स जलने लगे। कैप्टन ने अपने को-पायलट्स को क्रैश लैंडिंग के लिए पैसेंजर्स को तैयार करने को कहा। यह जानते हुए कि इंजन पिघलने से जहाज नीचे गिर जाएगा, उन्होंने जहाज को सीरिया के देइर एज-जोर की हवाई पट्टी पर ले जाना चाहा , लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय नहीं था। इसलिए उन्होंने जहाज को नीचे उतारना शुरू कर दिया और मदद के लिए रेडियो संदेश भेज दिया।
आग भड़कते हुए जहाज के पंखों में लग गई और इंजन जहाज से अलग हो गए। गैसोलीन लाइन टूटने से आग और भड़क गई। भारतीय समयानुसार सुबह के करीब 3:30 बजे मायादीन और यूफ्रेट्स नदी के पास रेगिस्तान में जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जहाज को रेगिस्तान में लैंड कराने के लिए पैसेंजरों और कंपनी अधिकारियों ने कैप्टन की तारीफ की, लेकिन उन्हें दुख था कि वे 15 पैसेंजरों को नहीं बचा पाए। वहीं मलबे की जांच करने पर पता चला कि जहाज के इंजन में आग पक्षी के टकराने से लगी। वह इंजन में फंसकर मर गया था।
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