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Project Retro: धरती को घूमने से रोकना चाहता था अमेरिका! क्यों रोकना पड़ा सनकी प्लान?

US Air Force's Radical Plan: कोल्ड वॉर के दौरान सोवियत की मिसाइलों से बचने के लिए अमेरिका ने धरती का रोटेशन रोकने की तैयारी कर ली थी। आइए जानते हैं कि अमेरिका ने ऐसा किस तरह करने का प्लान बनाया था, उसके इस प्लान में क्या कमियां थीं और अगर वह ऐसा कर लेता तो इसका क्या असर पड़ता?
06:05 PM Jul 24, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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What Was Project Retro : मानव सभ्यता के इतिहास में कोल्ड वॉर यानी शीत युद्ध का दौर बेहद तनावपूर्ण और खतरनाक था। अमेरिका और सोवियत यूनियन अपना वर्चस्व साबित करने के लिए हर पैंतरा अपना रहे थे। तनाव के बीच अमेरिकी एयरफोर्स ने सोवियत यूनियन की मिसाइलों को रोकने के लिए ऐसा प्लान बनाया था जिसे सनक का परिणाम कहा जाए तो कम नहीं होगा। यह धरती पर जीवन के अस्तित्व को पूरी तरह खत्म कर सकता था। इस प्लान के बारे में सबसे पहले डेनियल एल्सबर्ग की साल 2017 में आई किताब 'द डूम्सडे मशीन: कन्फेशंस ऑफ ए न्यूक्लियर वॉर प्लानर' में खुलासा हुआ था। आइए जानते हैं अमेरिका के इस खतरनाक प्लान के बारे में जो शुक्र है कभी सफल नहीं हो पाया।

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अमेरिकी एयरफोर्स ने इस प्लान को प्रोजेक्ट रेट्रो नाम दिया था। यह एक क्लासिफाइड प्रपोजल था जिसमें 1000 एटलस इंजन का इस्तेमाल करते हुए धरती के रोटेशन को रोकने की बात कही गई थी। ऐसा करके अमेरिका सोवियत मिसाइलों को उनके टारगेट से भटकाना चाहता था। एल्सबर्ग के अनुसार इस योजना का खाका खींचने वाले अधिकारी का मानना था कि अगर अमेरिका का बैलिस्टिक मिसाइल अर्ली वॉर्निंग सिस्टम रडार पर सोवियत यूनियन की ओर से मिसाइल डिटेक्ट करता है तो एटलस इंजन का इस्तेमाल करते हुए धरती के रोटेशन को कुछ देर के लिए रोका जा सकता है, इससे मिसाइल टारगेट को छू ही नहीं पाएंगी। एल्सबर्ग तब रैंड (रिसर्च एंड डेवलपमेंट)) कॉरपोरेशन में स्ट्रैटेजिक एनालिस्ट थे।

जो रुक जाता धरती का रोटेशन तो?

एल्सबर्ग को जब यह प्रपोजल मिला तो वह बौखला गए। डेलीमेल की एक रिपोर्ट के अनुसार उनका मानना था कि इस प्लान में कमियां देखने के लिए किसी को जियोफिजिसिस्ट होने की जरूरत नहीं थी। एल्सबर्ग के अनुसार इस स्ट्रैटेजी में कई लूपहोल्स थे। धरती की सतह पर मौजूद चट्टानों, पानी और हवा का एंग्युलर मूमेंटम धरती को तबाह कर सकता था। अगर धरती के रोटेशन को रोक दिया जाता, भले ही यह थोड़े से समय के लिए ही क्यों न हो, तो इससे धरती से जीवन का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता और इसके बहुत ही भयानक परिणाम देखने को मिलते। क्योंकि धरती के घूमने की रफ्तार करीब 1600 किमी प्रति घंटा है। अगर धरती अचानक रुक जाए तो जो ऑब्जेक्ट इससे जुड़े नहीं हैं वो उसी रफ्तार घूमते रहेंगे।

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क्या ऐसा कर सकता था अमेरिका?

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर अमेरिका उस समय अपने इस प्लान को एग्जीक्यूट करने पर मुहर भी लगा देता तो भी वह धरती का रोटेशन नहीं रोक पाता। फिजिसिस्ट्स का कहना है कि 1000 रॉकेट इतने नहीं हैं जो धरती का रोटेशन रोक सकें। अगर, किसी तरह अमेरिका इतना थ्रस्ट पैदा कर भी लेता जिससे धरती का रोटेशन रुक जाए तो फिर स्थिति प्रलय जैसी बन जाती। वैज्ञानिकों की मानें तो धरती को उसके एक्सिस पर घूमते रहने से रोकने के लिए 1000 रॉकेट बहुत ही कम हैं। ऐसा करने के लिए लगभग लाखों करोड़ों रॉकेट लगेंगे। लेकिन, ऐसा कर पाना न तो उस समय पॉसिबल दिख रहा था और न ही वर्तमान में। लेकिन, मानना पड़ेगा इंसान की सनक को, जीतने के लिए वह कुछ भी करने की सोच सकता है।

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