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Sheikh Hasina ने क्यों और कैसे छोड़ा बांग्लादेश, अब कैसे हालात? समझिए 10 पॉइंट्स में

Bangladesh Unrest : बांग्लादेश में प्रदर्शनों की शुरुआत जून में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ हुई थी। सोमवार को प्रदर्शनकारियों के साथ सेना भी आ गई और शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ देश भी छोड़ना पड़ गया। समझिए पूरा घटनाक्रम 10 पॉइंट्स में।
05:27 PM Aug 05, 2024 IST | Gaurav Pandey
प्रदर्शन करते छात्र। (एएनआई)
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Bangladesh Political Crisis : पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। छात्रों के आंदोलन के बीच यहां तख्तापलट हो चुका है। शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश भी छोड़ चुकी हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारी शेख प्रधानमंत्री कार्यालय में घुस गए और जमकर हंगामा किया। इसके बाद शेख हसीना अपनी बहन के साथ एक सैन्य विमान में देश से निकल गईं। उधर, सेना प्रमुख ने कह दिया है कि जल्द ही देश में अंतरिम सरकार का गठन कर दिया जाएगा। इस रिपोर्ट में 10 पॉइंट्स में समझिए बांग्लादेश में क्या-क्या हुआ और वहां अब स्थिति कैसी है।

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1. 4 जुलाई को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की सरकार समर्थकों के साथ भिड़ंत हुई थी। इस दौरान 14 पुलिस कर्मियों समेत 68 लोगों की जान चली गई थी। पूर्व सेना प्रमुख जनरल इकबाल करीम भुइयां ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह सेना को वापस बुलाए। वहीं, वर्तमान सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान ने कहा कि बांग्लादेश के सशस्त्र बल हमेशा जनता के साथ खड़े हैं।

2. 5 जुलाई यानी आज प्रदर्शनकारियों ने 'फाइनल प्रोटेस्ट' के लिए समर्थकों से ढाका की ओर कूच करने का आह्वान किया। सोमवार को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी ढाका में शेख हसीना के आधिकारिक आवास बंगभवन के अंदर पहुंच गए। यहां उन्होंने जमकर हंगामा किया। इसके बाद सेना के दबाव में आकर शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा।

3. रिपोर्ट्स के अनुसार शेख हसीना बंगभवन से दोपहर करीब 2.30 बजे सेना के एक विमान से अपनी बहन शेख रिहाना के साथ 'सुरक्षित स्थान' के लिए निकल गईं। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि वह कहां गई हैं। चर्चा है कि वह भारत की राजधानी दिल्ली या फिर त्रिपुरा में शरण ले सकती हैं। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि वह लंदन भी जा सकती हैं।

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4. सूत्रों के अनुसार शेख हसीना ने देश छोड़ने का फैसला अपनी सुरक्षा टीम की सलाह पर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेना ने उन्हें इस्तीफा देने और अपना बोरिया-बिस्तर समेटने के लिए केवल 45 मिनट का समय दिया था। उन्हें तैयारी करने का भी समय नहीं मिल पाया। अपने आवास से वह कार से निकलीं और बाद में हेलीकॉप्टर से देश से बाहर चली गईं।

5. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों ने झंडे लहराए और कैमरा के सामने जश्न मनाते हुए डांस किया। कुछ ने शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के पुतले के साथ तोड़फोड़ भी की। उल्लेखनीय है कि मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। इससे पहले शेख हसीना की सरकार ने पूरे देश में इंटरनेट सर्विस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

6. प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद बांग्लादेशी सेना के प्रमुख वाकर-उज-जमान ने कहा कि देश में जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर राष्ट्रपति से चर्चा की जाएगी और जल्द ही बड़ा कदम उठाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने जनता से सब्र बरतने और शांति से काम लेने की अपील भी की।

7. वाकर-उज-जमान ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश इस समय संकट का सामना कर रहा है। मैंने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है और हमने देश को चलाने के लिए एक अंतरिम सरकार गठित करने का फैसला लिया है। मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और आपसे वादा करता हूं कि आपको और आपकी संपत्तियों की सुरक्षा की जाएगी। आपकी मांगें पूरी की जाएंगी।

8. जून में शुरू हुआ यह प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल के सबसे गंभीर स्थितियों में से एक बन गया था। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे को लेकर शुरू हुए इस प्रदर्शन ने धीरे-धीरे शेख हसीना के शासन की नीतियों के खिलाफ आंदोलन का रूप ले लिया। ये लोग लंबे समय से हसीना को सरकार से बाहर करने की मांग कर रहे थे।

9. बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले लोगों के संबंधियों-परिजनों के लिए था। इसके खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन शुरू किया था। हालांकि, बाद में बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नया आदेश देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था और आरक्षण को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था।

10. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अब 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां मेरिट सिस्टम से दी जाएंगी। बाकी बची 7 प्रतिशत रिक्तियों में से 5 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए और 2 प्रतिशत अन्य वर्गों के लिए आरक्षित रहेंगी। लेकिन, तब तक आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ यह आंदोलन शेख हसीना के खिलाफ विरोध में बदल चुका था।

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