इस महामारी के शिकार होने वाले बन गए थे 'कुंभकर्ण'! आज तक नहीं पता चल पाई वजह
Sleepy Sickness : कुछ साल पहले आई कोरोना वायरस महामारी का कहर तो सबने देखा। लेकिन, क्या आपको पता है करीब 100 साल पहले एक ऐसी महामारी आई थी जिसकी चपेट में आने वाले लोग कुंभकर्ण की तरह हो गए थे। पूरी दुनिया में लोग अनियंत्रित रूप से सोने लगे थे। इसका कारण दिन भर की गई कड़ी मेहनत नहीं बल्कि एक बीमारी थी जिसे 'स्लीपी सिकनेस' के नाम से जाना जाता है।
इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोग अक्सर हफ्तों तक सोते रहते थे। कई बार तो महीने भर उनकी नींद नहीं टूटती थी। यह बीमारी काफी जानलेवा भी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार इस बीमारी का शिकार होने वाले 30 से प्रतिशत लोगों की मौत हो गई थी। ऐसा उनके श्वसन तंत्र के फेल हो जाने की वजह से होता था। इस महामारी ने साल 1916 में उत्तरी फ्रांस में जन्म लिया था। इसके बाद यह पूरी दुनिया में फैल गई थी।
फ्रांस से यह बीमारी यूरोप पहुंची थी। वहां से नॉर्थ अमेरिका और सेंट्रल अमेरिका समेत भारत में भी इसने लोगों को अपना शिकार बनाया। लेकिन 1930 के दशक तक यह पूरी तरह से समाप्त हो गई थी। तब से लेकर अब तक करीब 100 साल का समय बीत चुका है लेकिन यह नहीं पता चल पाया है कि असल में यह महामारी किस तरह फैली, इसका कारण क्या था या फिर क्या यह बीमारी फिर से वापस आ सकती है।
बीमार लोगों में दिखते थे ये लक्षण
इंसेफलाइटिस लेथार्जिका नाम की इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों में पहले फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दिए थे। इसके साथ उनमें सिरदर्ज, नॉजिया, जॉइंट पेन और बुखार की समस्या भी देखी गई थी। इसके बाद इसका असर आंखों पर पड़ता है और डबल विजन की दिक्कत होने लगती है। मरीज की पलकें बोझिल होने लगती हैं और इसके बाद मरीज सोने लगता है फिर चाहे कैसी स्थिति हो, दिन हो या रात।
ये भी पढ़ें: बिना रुके 4184 Km तक लगातार उड़ती रहीं ये तितलियां!
ये भी पढ़ें: ‘अगर धरती नहीं बचा पाए तो फिर मंगल बन सकता है घर’
ये भी पढ़ें: सुलझ गई Egypt के Pyramids की सबसे बड़ी Mystery!
कैसे फैली बीमारी, कुछ पता नहीं
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस बीमारी का शिकार हुए लोग चाहकर भी नींद नहीं रोक पाते थे। एक मरीज के अनुसार 2 महीने तक इस बीमारी की चपेट में रहने के बाद उसे हल्का दर्द महसूस होने लगा था। वहीं, कुछ लोगों में अचानल पैरालिसिस की समस्या भी देखी गई थी। इस बीमारी का डायरेक्ट ट्रांसमिशन देखने को नहीं मिला था लेकिन इसे लेकर नेचुरल इम्यूनिटी के असर को भी नहीं नकारा जा सकता है।
इस बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों की कुल संख्या 52,000 से 10 लाख के बीच बताई जाती है। लेकिन, डॉक्टर आज तक यह नहीं पता लगा पाए हैं कि इस बीमारी का कारण क्या था। 1920 के दशक में इस बीमारी को लेकर 2000 से ज्यादा साइंटिफिक आर्टिकल लिखे गए थे। लेकिन किसी में इसे लेकर सवालों के जवाब नहीं मिले थे। कुछ लोगों का मानना है कि हिटलर भी इस बीमारी का मरीज था।
ये भी पढ़ें: इस देश ने पेश किया Porn Passport! क्यों पड़ी जरूरत?
ये भी पढ़ें: टीचर का हुआ ट्रांसफर तो आधे छात्रों ने बदल दिया स्कूल!
ये भी पढ़ें: तो Ice Age ने कराया था इंसानों का फैशन से इंट्रोडक्शन!