क्या आतंकवादियों का फेवरिट ऐप है टेलीग्राम? CEO की गिरफ्तारी के बाद उठे बड़े सवाल

Telegram And Terrorists: टेलीग्राम के सीईओ की गिरफ्तारी के बाद इस ऐप के प्राइवेसी फीचर्स पर कई सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इस ऐप का इस्तेमाल गैंबलिंग, पाइरेसी समेत आतंकी गतिविधियों में भी खूब होता है।

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Represacentative Image (Pixabay)

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Telegram CEO's Arrest Raised Questions : सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप्स में से एक टेलीग्राम के सीईओ पावेल डुरोव को हाल ही में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से ही इस ऐप को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। फ्रांस और रूस की दोहरी नागरिकता रखने वाले डुरोव को पेरिस एयरपोर्ट पर शनिवार की शाम गिरफ्तार किया गया था जब वह अजरबैजान से फ्रांस पहुंचे थे। 39 साल के डुरोव को जिस अरेस्ट वॉरंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया उसमें दावा किया गया था कि उनके ऐप का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग और आतंकवाद को सपोर्ट करने जैसे अन्य अपराधों के लिए किया जा रहा है।

फ्रांस के अखबार ले मोंडे (Le Monde) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डुरोव की गिरफ्तारी ड्रग ट्रैफिकिंग, सपोर्ट फॉर टेरेरिज्म और साइबरस्टाकिंग से जुड़े कई मामलों में टेलीग्राम की मिलीभगत का आरोप लगाने वाले मामलों में कार्यवाहियों से जुड़ी थी। सच्चाई क्या है इसका पता लगाने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने इस ऐप को लेकर कई बड़े सवाल उठाए हैं। आप इस रिपोर्ट में जानिए टेलीग्राम ऐप्लीकेशन के बारे में सब कुछ... क्यों अधिकारी इसे लेकर इतनी चिंता में हैं, क्या सच में यह ऐप आतंकवादियों का पसंदीदा ऐप्लीकेशन है और अगर ऐसा है तो इसके पीछे के कारण क्या हैं।

कब और क्यों लॉन्च हुआ था टेलीग्राम?

टेलीग्राम ऐप को डुरोव और उनके भाई ने साल 2013 में लॉन्च किया था। साल 2011-2012 में मॉस्को को हिलाकर रख देने वाले डेमोक्रेसी समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रूस सरकार के एक्शन के बीच इस ऐप को लॉन्च किया गया था। प्रदर्शनों को देखते हुए रूस के अधिकारियों ने डिजिटल स्पेस पर भी सख्ती शुरू कर दी थी। इंटरनेट प्रोवाइटर्स को वेबसाइट्स ब्लॉक करने के लिए और टेलीकॉम ऑपरेटर्स को कॉल रिकॉर्ड्स और मैसेजेस स्टोर करने के लिए मजबूर करने वाले नियम लागू कर दिए गए थे। इस बीच मार्केट में आए टेलीग्राम ने दावा किया था कि वह पूरी तरह से सिक्योर मैसेजिंग उपलब्ध कराता है।

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पूरी दुनिया में इस समय करीब 70 करोड़ यूजर्स वाला यह ऐप हमेशा से अपनी यूजर प्राइवेसी पर जोर देता रहा है। कंपनी का कहना है कि इसका मिशन अपने यूजर्स के पर्सनल डेटा को थर्ट पार्टीज से सुरक्षित रखना है। इसका मतलब है कि अगर आप टेलीग्राम पर किसी से बात कर रहे हैं तो उसकी जानकारी न तो सरकार को होगी, न पुलिस को, न आपके बॉस या किसी और को होगी। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि टेलीग्राम सिर्फ अपनी कॉल्स और 'सीक्रेट चैट्स' को ही एंक्रिप्ट करता है। सिक्योरिटी की एक और लेयर यह है कि टेलीग्राम पर किसी से जुड़ने के लिए आपको अपना फोन नंबर शेयर नहीं करना होता।

प्राइवेसी के लिए मिलते हैं कई ऑप्शन

इस पर आप अपना यूजरनेम शेयर करके किसी से भी जुड़ सकते हैं। इस यूजरनेम को आप जब चाहे तब बदल भी सकते हैं। अगर आपको यूजरनेम शेयर करने में भी दिक्कत महसूस हो रही है तो आप अपना क्यूआर कोड भी बना सकते हैं जिसे स्कैन करके आपको कोई मैसेज कर सकता है। इसका सबसे खास फीचर सीक्रेट चैट है। सीक्रेट चैट में मैसेजेस को न तो कोई फॉरवर्ड कर सकता है और न ही इस चैट विंडो में स्क्रीनशॉट लिए जा सकते हैं। सीक्रेट चैट में कोई यूजर अगर अपना कोई मैसेज डिलीट कर देता है तो वह सभी यूजर्स के लिए डिलीट हो जाता है। यूजर्स बाकी लोगों की चैट्स को भी डिलीट कर सकते हैं।

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वहीं, टेलीग्राम यूज करने के लिए आपको सिमकार्ड की जरूरत भी नहीं होती। इसकी जगह आप टेलीग्राम के टोनकॉइन क्रिप्टो का इस्तेमाल करते हुए टेलीग्राम के लिए स्पेशल फोन नंबर खरीद सकते हैं। यह एक बड़ा फीचर होने के साथ बड़ी खामी भी है। आप अपने फोन में जो सिम इस्तेमाल करते हैं, टेलीग्राम अकाउंट खोलने के लिए आपको उस नंबर का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। यानी आप इस दुनिया में सबसे फर्जी शख्स बन सकते हैं। कई इसे अपनी प्राइवेसी के लिए अच्छा कह सकते हैं लेकिन समस्या यह है कि इस तरह के प्राइवेसी फीचर्स में इंटेरेस्ट लेने वाले अधिकतर क्रिमिनल माइंडसेट वाले ही होते हैं।

आतंकियों का पसंदीदा ऐप है टेलीग्राम!

आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कई बार अपने नापाक हमलों को अंजाम देने के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार आईएसआईएस ने 2015 में पेरिस में हमलों के बाद अपने प्रोपेगंडा को फैलाने के लिए भी टेलीग्राम का इस्तेमाल किया था। इस आतंकी संगठन ने साल 2016 में बर्लिन में हुए क्रिसमस अटैक को अंजाम देने के लिए लिए आतंकियों की भर्ती भी इसी ऐप के जरिए की थी। यह जानकारी भी सामने आई थी कि आईएसआईएस के एक लीडर रक्का ने भी इस्तांबूल के एक नाइटक्लब में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर हुए आतंकी हमला करने वाले शूटर को टेलीग्राम ऐप के जरिए ही इंस्ट्रक्शन दिए थे।

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टेलीग्राम जरूर यह दावा करता है कि वह अवैध कंटेंट को कंट्रोल करने के लिए पूरी सख्ती से काम करता है। इसमें टेरेरिस्ट बॉट्स को ब्लॉक करना भी शामिल है। लेकिन, इतिहास यही बताता है कि हर मामले में प्रॉपर एक्शन हुआ हो यह जरूरी नहीं है। टेलीग्राम का दावा है कि वह सैकड़ों की संख्या में आईएसआईएस से कनेक्शन वाले अकाउंट बंद कर चुका है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह समुद्र में एक बूंद पानी के बराबर है। उनके अकाउंट्स को डिलीट कर देने का मतलब यह नहीं है कि उनकी एक्टिविटी ही रुक गई हो। वह हमेशा नए अकाउंट्स बना सकते हैं और इसके लिए उन्हें सिम की जरूरत भी नहीं होती।

 

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