क्राइम करो, कोई नहीं रोकेगा! लूट-डकैती के बाद भी क्यों बदमाशों को छोड़ रही पुलिस?
UK Crime News: यूके में अपराधी सड़कों पर बेखौफ होकर लूटपाट कर रहे हैं, लेकिन पुलिस इनको गिरफ्तार नहीं कर पा रही। जिस हिसाब से यूके में क्राइम बढ़ रहा है, उतने अपराधियों को अगर एकसाथ गिरफ्तार कर लिया जाए तो 6 महीने बाद जेलों में पांव रखने को भी जगह नहीं बचेगी। यूके की न्याय सचिव शबाना महमूद ने देशभर में नागरिक अव्यवस्था को रोकने के लिए खास योजना पर काम शुरू किया है। महमूद जल्द हजारों कैदियों को जेल से बाहर निकालने की आपातकालीन घोषणा का ऐलान कर सकती हैं। इसके बाद नए अपराधियों को जेलों में बंद किया जाएगा। अगर जल्द काम नहीं किया गया तो बैंकों की अगले माह होने वाली छुट्टी तक जेलें फुल हो जाएंगी। अभी पुरुषों की जेलों में सिर्फ 700 कैदियों की जगह खाली है। एक रिपोर्ट के अनुसार यूके की जेलों में इस समय 83 हजार से अधिक कैदी हैं।
हालातों पर नियंत्रण करना जरूरी
पानी आपूर्ति करने वाली संस्था के हिसाब से जेलों में बंद कैदियों को सुचारू सेवाएं देने के लिए उसे 1425 और कर्मचारियों की जरूरत है। वहीं, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस हिसाब से आपराधिक मामलों में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। उस हिसाब से देश के सभी थानों में हिरासत में रखने के लिए 3 दिन बाद जगह नहीं बचेगी। बड़ी संख्या में अपराधी दबोचे जा रहे हैं। इतने लोगों को थानों में बंद रख पाना उचित नहीं होगा। यानी पुलिस के पास कैदियों को लाने और ले जाने के लिए जगह नहीं होगी। इस कमजोरी का लाभ भी कुछ लोग उठा सकते हैं। यानी लूटपाट जैसी वारदातों को तेज कर सकते हैं।
ऐसे में हालात गंभीर होने से पहले ही इंतजाम किए जाने की जरूरत है। अगर न्याय सचिव कैदियों को नियंत्रित करने के लिए जेलें खाली करने जैसा ऐलान करती हैं तो माना जा रहा है कि विरोधी उनको निशाने पर ले सकते हैं। चार साल से कम सजा वाले कैदियों को रिहा करने की योजना बन रही है। जिन्हें 40 फीसदी सजा काटने के बाद रिहा किया जा सकता है। फिलहाल 50 फीसदी सजा काटने वालों को रिहा कर दिया जाता है। पीएम कीर स्टारमर ने गुरुवार को इस बाबत मीडिया को जानकारी दी। उनसे पूछा गया कि क्या खतरनाक कैदियों को भी सड़कों पर छोड़ा जाएगा? ऐसा कब तक हो सकता है? जवाब में पीएम ने कहा कि बेशक, हिंसा, यौन शोषण और आतंकी प्रवृति के लोगों को भी छोड़ा जा सकता है।
2011 में जेल में हुआ था दंगा
पीएम के अनुसार वे ऐसे लोगों को छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन जहां जेलों में जगह नहीं बची है, वहां उनके पास ऑप्शन नहीं है। लेबर सरकार सजा संबंधी नियमों की भी समीक्षा करेगी। अगर अपराधों में बढ़ोतरी हुई तो जेलों में समय से पहले भी जगहें खत्म हो सकती हैं। इससे पहले ऐसा संकट 2011 में देखने को मिला था। जेल में दंगा हो गया था, कैदियों की अधिक संख्या के कारण पुलिस को कानून व्यवस्था लागू करने में मशक्कत करनी पड़ी थी। जेल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अगर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो बैंकों की अगस्त में होने वाली छुट्टी तक अपराधी बेकाबू हो सकते हैं। जो चिंताजनक है। अगस्त में जेलों में धूम्रशोधन का कार्य भी खटमल रोकने के लिए किया जाता है।
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