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52 साल की महिला का जज्बा, 12 दिन में दौड़ीं 1000 KM; गर्मी और चोट नहीं रोक सकी रास्ता

Ultramarathoner Natalie Dow: 52 साल की नताली डाउ का जज्बा देखने लायक है। 12 दिन में 1 हजार किलोमीटर की दौड़ पूरी कर उन्होंने बता दिया दिया कि अगर ठान लिया जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। मेहनत और लगन के दम पर हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। भीषण गर्मी भी उनका रास्ता नहीं रोक सकी।
05:59 PM Jun 16, 2024 IST | Parmod chaudhary
नताली डाउ।
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Natalie Dow: नताली डाउ ने हाल ही में थाईलैंड, सिंगापुर और मलेशिया में 12 दिन में 1 हजार किलोमीटर की दौड़ पूरी कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। 52 साल की अल्ट्रामैराथनर को भीषण गर्मी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कूल्हे में चोट भी लग गई। लेकिन उन्होंने संयम नहीं खोया, अपने जज्बे को बनाए रखा। आखिर में बता दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं। नताली डाउ ने रोजाना दो मैराथन जितनी दौड़ लगाई। उनकी यात्रा सिंगापुर में 5 जून को पूरी हुई है। नताली का असाधारण उपलब्धि हासिल करना सिंगापुर में रिकॉर्ड बन गया है। यहां अभी तक कोई महिला धावक इससे पहले ये रिकॉर्ड नहीं बना सकी है।

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गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका नाम

नताली के नाम ही सबसे तेज गति से मलेशिया प्रायद्वीप को पैदल पार करने का रिकॉर्ड है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अभी नताली को प्रमाण पत्र मिलने का इंतजार है। अपनी उपलब्धि पर नताली ने कहा कि चार दिन की दौड़ में उनके मन में सवाल उठ रहा था कि क्या वे इस खेल को पूरा कर सकेंगी? मुझे खेल में चुनौतियां पसंद हैं। अगर आप कोई काम करते हैं, तो कभी भी मन में निराशा नहीं आनी चाहिए। निराश होंगे तो कामयाब कैसे होंगे?

डाउ की दौड़ ने वैश्विक चैरिटी के लिए 50 हजार डॉलर से अधिक का फंड जुटाया है। यह उन लड़कियों को दिया जाएगा, जो कौशल विकास की ट्रेनिंग ले रही हैं। नताली बताती हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पहले नंबर पर आए हैं या आखिरी नंबर पर। बस आपका प्रदर्शन शानदार होना चाहिए। हर इंसान को कुछ अलग करना चाहिए, जो दूसरे लोग सोच भी नहीं सकते।

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डाउ की यात्रा बेहद कठिन थी। 35 डिग्री तापमान में दौड़ने के कारण उनको कूल्हे में चोट लग गई। जूते तक पिघलने लगे थे। तीसरे दिन उनके मूत्र मार्ग में भी संक्रमण हो गया था। लेकिन डाउ ने हार नहीं मानी और चुनौतियों से निपटते हुए यात्रा पूरी की। डाउ ने रोजाना 84 किलोमीटर की दूरी तय की। यात्रा पूरी करने के बाद इस महिला ने अपनी जीत और संघर्ष को समर्थकों से साझा किया।

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