होमखेलवीडियोधर्म
मनोरंजन.. | मनोरंजन
टेकदेश
प्रदेश | पंजाबहिमाचलहरियाणाराजस्थानमुंबईमध्य प्रदेशबिहारउत्तर प्रदेश / उत्तराखंडगुजरातछत्तीसगढ़दिल्लीझारखंड
धर्म/ज्योतिषऑटोट्रेंडिंगदुनियावेब स्टोरीजबिजनेसहेल्थएक्सप्लेनरफैक्ट चेक ओपिनियननॉलेजनौकरीभारत एक सोचलाइफस्टाइलशिक्षासाइंस
Advertisement

दोनों विश्वयुद्ध लड़े, चेहरे-सिर पर लगीं गोलियां भी नहीं ले पाईं जान; पढ़िए Unkillable Soldier की कहानी

Who Was Adrian Carton de Wiart: ब्रिटेन की सेना में एक ऐसा सैनिक था जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे युद्ध के मैदान में मार पाना असंभव था। इस सैनिक के शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग होगा जहां गोली न लगी हो। वह दो विमान दुर्घटनाओं का शिकार हुआ। लेकिन मौत उसे अपने चंगुल में नहीं फंसा पाई। इस रिपोर्ट में पढ़िए ब्रिटिश सैनिक एड्रियन कार्टन डि वियार्ट की कहानी।
10:39 AM Mar 14, 2024 IST | Gaurav Pandey
Adrian Carton de Wiart, The Unkillable Soldier
Advertisement

Who Was Adrian Carton de Wiart, The Unkillabe Soldier : दुनिया के इतिहास में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने अपने जज्बे के दम पर मौत को एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार उल्टे पैरों वापस भेज दिया। ऐसा ही एक शख्स ब्रिटेन की सेना में भी था जिसे 'Unkillable Soldier' कहा जाता है, यानी ऐसा सैनिक जिसे मारना नामुमकिन हो। इस सैनिक ने दोनों विश्व युद्ध लड़े, उसके चेहरे और सिर समेत शायद ही शरीर का कोई ऐसा अंग बचा होगा जहां गोलियां न लगी हों, दो प्लेन क्रैश का भी सामना किया, लेकिन मौत को साफ अंगूठा दिखा दिया। हम बात कर रहे हैं एड्रियन कार्टन डि वियार्ट की।

Advertisement

ब्रिटिश सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सर एड्रियन कार्टन डि वियार्ट का जन्म 5 मई 1880 को बेल्जियम के ब्रसेल्स में हुआ था। वियार्ट को कई कॉमनवेल्थ देशों में दिए जाने वाले वीरता के सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपना शुरुआती जीवन बेल्जियम और इंग्लैंड में गुजारा था। उनके पिता एक वकील और मजिस्ट्रेट थे। एड्रियन ने एक सैनिक के तौर पर करियर की शुरुआत 1899 में की थी। तब दूसरा बोअर युद्ध चल रहा था। तब उनकी उम्र 20 साल के आस-पास थी लेकिन सेना में शामिल होने के लिए उन्होंने फर्जी नाम और उम्र बताते हुए अप्लाई किया था।

पहली लड़ाई में ही लगी पेट में गोली

एड्रियन सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के किसानों की लड़ाई यानी दूसरे बोअर युद्ध में जंग के मैदान में उतरे थे। इस दौरान उनके पेट में गोली लगी थी और उन्हें वापस घर भेज दिया था। इसके बाद उन्होंने कुछ समय ऑक्सफोर्ड में बिताया। बाद में उन्हें सेकंड इम्पीरियल लाइट हॉर्स में कमीशन मिला था। 14 सितंबर 1901 को उन्हें फोर्थ ड्रैगून गार्ड्स में सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर रेगुलर कमीशन मिला था। एड्रियन को साल 1902 में भारत भी भेजा गया था। बताया जाता है कि एड्रियन कार्टन डि वियार्ट को शूटिंग और सुअरों का शिकार जैसे खेल बहुत पसंद थे।

Advertisement

विश्व युद्ध में एक आंख गई, हाथ कटा

जब पहले विश्व युद्ध की शुरुआत हुई तब एड्रियन ब्रिटिश सोमालीलैंड की ओर जा रहे थे। यहां दरवेश नेता मोहम्मद बिन अब्दुल्ला के फॉलोअर्स के खिलाफ लड़ाई चल रही थी। अब्दुल्ला को ब्रिटिश मैड मुल्ला कहा करते थे। इस दौरान लड़ाई में उनके चेहरे पर दो गोलियां लगी थीं, जिसके चलते उनकी बाईं आंख बेकार हो गई थी और एक कान का हिस्सा भी उन्होंने खो दिया था। फरवरी 1915 में वह फ्रांस गए थे, जहां पश्चिमी मोर्चे पर उन्हों लड़ाई में हिस्सा लिया था। इस लड़ाई में वह सात बार घायल हुए थे। इस दौरान उनका बाएं हाथ में गंभीर चोट आई थी और जान बचाने के लिए उंगलियां काटना जरूरी हो गया था। लेकिन जब उनकी हालत देखते हुए डॉक्टर ने इससे इनकार कर दिया तो एड्रियन ने खुद ही अपनी उंगलियां काट दी थीं।

इस दौरान उनके सिर, पैर, एड़ी समेत कई अंगों पर गोलियां लगी थीं। साल 1916 में उन्हें विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था। साल 1919 में वह दो विमान दुर्घटनाओं का शिकार हुए लेकिन यहां भी मौत उन्हें अपना शिकार नहीं बना पाई। साल 1920 में उस ट्रेन का अपहरण करने की कोशिश की गई जिससे एड्रियन सफर कर रहे थे। लेकिन केवल एक रिवॉल्वर के भरोसे वह यहां भी दुश्मन को चकमा देने में सफल रहे थे। साल 1923 में वह मेजर जनरल के पद से रिटायर हुए थे लेकिन तभी दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई थी। तह एड्रियन पोलैंड में थे।

61 की उम्र में खोदी 60 फुट की सुरंग

एड्रियन की उम्र 61 साल की थी जब इटली की सेना ने उन्हें बंदी बना लिया था। यहां से बचने के लिए उन्होंने करीब 60 फुट लंबी सुरंग खोद डाली थी। हालांकि, वह वहां से भागने में सफल नहीं हो पाए थे। बाद में एक समझौते के तहत उन्हें ब्रिटिश सेना के हवाले किया गया था। साल 1947 में वह रिटायर हो गए थे। साल 1963 में 83 साल की उम्र में अपने घर में एड्रियन ने अंतिम सांस ली थी। बता दें कि पहले विश्व युद्ध के बाद अपना अनुभव बताते हुए एड्रियन ने कहा था कि सच बताऊं तो मुझे लड़ाई में बहुत मजा आया था।

ये भी पढ़ें: 40 हजार बजट, 29 लाख कमाई, दर्शकों पर लाठीचार्ज; रात में क्यों होती थी आलम आरा शूटिंग?

ये भी पढ़ें: 99 साल की सजा, खौफनाक मौत मिली; अमेरिका के गांधी के मर्डर की जांच में निकला बेकसूर!

Open in App
Advertisement
Tags :
special-newsworld news
Advertisement
Advertisement