शुक्र पर एक साल से लंबा होता है एक दिन, जानिए Venus के बारे में हैरान कर देने वाले Facts
हम जिस ग्रह पर रहते हैं वह कितनी ही ऐसी घटनाओं, वस्तुओं से भरी हुई है जिन्हें जानकर आंखें फटी और मुंह खुला रह जाता है। लेकिन धरती यानी अर्थ इस ब्रह्मांड का बेहद छोटा सा हिस्सा है। अगर हम धरती से ऊपर उठकर अपने सौर मंडल यानी सोलर सिस्टम में जाएं तो हैरान कर देने वाली कई और जानकारियां भी सामने आती हैं। हमारा सौर मंडल खुद में एक ऐसा अनोखा सिस्टम है जिसके कितने ही रहस्य अभी भी खुलने बाकी हैं।
हमारे सौर मंडल में अब 8 ग्रह हैं। पहले यह संख्या 9 थी लेकिन वैज्ञानिक कारणों से प्लूटो यानी बुध को इस परिवार से अलग किया जा चुका है। ये सभी ग्रह अपने आप में अनोखे हैं और अनोखी विशेषताएं रखते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं शुक्र ग्रह (Venus) के बारे में जिसे 'भोर का तारा' भी कहा जाता है। इस ग्रह के बारे में कई ऐसे आश्चर्यजनक फैक्ट्स हैं जिन्हें ज्यादातर लोग नहीं जानते और जानने के बाद जल्द यकीन नहीं कर पाते।
एक साल से ज्यादा लंबा एक दिन
शुक्र ग्रह एक ऐसा प्लैनेट है जिस पर एक दिन की अवधि एक साल से ज्यादा होती है। सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन ये सच है। दरअसल, किसी ग्रह के एक दिन की गिनती इस हिसाब से लगाई जाती है कि उसे अपने एक्सिस पर एक चक्कर लगाने में कितना समय लगता है। वहीं, साल की गिनती इस आधार पर होती है कि कितने समय में वह सूर्य का एक चक्कर लगाता है। शुक्र को अपने एक्सिस पर एक बार घूमने में 243 दिनों का समय लगता है। वहीं, सूर्य का चक्कर लगाने में उसे केवल 224.7 दिन का समय लगता है। यहां पर एक दिन का मतलब धरती के एक दिन से है।
सूर्य से पास मर्करी से ज्यादा गर्म
सूर्य से सबसे नजदीक ग्रह मर्करी है। इसके बाद शुक्र का नंबर आता है। लेकिन इसके बाद भी शुक्र का तापमान मर्करी के मुकाबले ज्यादा है। इसका औसत तापमान 463 डिग्री सेल्सियस है। इसके पीछे का कारण यह है कि शुक्र के वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड का कंसंट्रेशन बहुत ज्यादा है। इसके अलावा यहां सल्फ्यूरिक एसिड की मात्रा भी काफी ज्यादा है। इसके चलते तेज ग्रीनहाउस इफेक्ट की स्थिति बनती है। इस वजह से इसका तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है। इसी वजह से इस ग्रह को इंसानों के लिए या जीवन की संभावना के लिए कतई अनुकूल नहीं माना जाता है।
बाकी ग्रहों से उल्टा घूमता है शुक्र
हमारे सौर मंडल के बाकी सभी ग्रहों की अपने एक्सिस पर घूमने की दिशा घड़ी की सुई की दिशा से उल्टी है। सारे प्लैनेट्स सूर्य का चक्कर भी एंटी क्लॉकवाइज दिशा में लगाते हैं। शुक्र ग्रह भी सूर्य का चक्कर तो बाकी प्लैनेट्स की तरह ही लगाता है लेकिन बात जब अपने एक्सिस पर घूमने की आती है तो यहां पर स्थिति बदल जाती है। दरअसल, शुक्र अपने एक्सिस पर चक्कर क्लॉकवाइज डायरेक्शन यानी घड़ी की सुई के घूमने की दिशा में लगाता है। ऐसा करने वाला यह हमारे सौर मंडल का दूसरा ग्रह है। शुक्र के अलावा शनि यानी सैटर्न भी अपने एक्सिस पर क्लॉकवाइज घूमता है।
एटमॉस्फेरिक प्रेशर है बहुत ज्यादा
शुक्र ग्रह पर एटमॉस्फेरिक प्रेशर यानी वायुमंडलीय दाब धरती के मुकाबले 90 गुना ज्यादा है। यह लगभग उतना है जितना आपको समुद्र में 1 किलोमीटर की गहराई पर जाने पर महसूस होगा। बता दें कि शुक्र ग्रह को धरती से बिना किसी उपकरण के नंगी आंखों से देखना काफी आसान है। बता दें कि इस ग्रह का नाम रोमन प्रेम और सुंदरता की देवी वीनस (Venus) के नाम पर रखा गया है। प्राचीन एस्ट्रोनॉमर्स को जिन 5 ग्रहों के बारे में पता था उनमें से यह सबसे चमकदार ग्रह था। उल्लेखनीय है कि अभी भी रात के समय आसमान में चांद के बाद सबसे तेज शुक्र ग्रह ही चमकता है।
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