सिर्फ प्राइवेट समस्याएं ही नहीं सॉल्व करती वियाग्रा, नवजात बच्चों में होने वाली बड़ी दिक्कत भी कर सकती है दूर!
Viagra may treat babies: कनाडा स्थित मॉन्ट्रियल चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल की नई स्टडी ने वियाग्रा के प्रभाव पर नई रोशनी डाली है। अध्ययन में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान या जन्म के समय जो नवजात बच्चे ऑक्सीजन की कमी का सामना करते हैं, उनके इलाज में वियाग्रा का इस्तेमाल कारगर हो सकता है। आम तौर पर वियाग्रा का इस्तेमाल पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में किया जाता है। नवजात बच्चों में ऑक्सीजन की कमी की बीमारी को मेडिकल भाषा में नियोनटल एंसेफैलोपैथी कहा जाता है।
ब्रेन डैमेज का इलाज
ऑक्सीजन की कमी के शिकार नवजात बच्चों के इलाज के ऑप्शन बहुत सीमित हैं। इस बीमारी में थेरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया के जरिए ब्रेन डैमेज का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि थेरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया से इलाज के बावजूद 29 प्रतिशत बच्चों में न्यूरोलॉजिकल समस्या पाई जाती है। मॉन्ट्रियल हॉस्पिटल के अध्ययन में सिल्डेनाफिल के इस्तेमाल के बारे में शोध किया गया, सिल्डेनाफिल को ही वियाग्रा के तौर पर मार्केट में बेचा जाता है।
24 बच्चों पर हुआ शोध
रिसर्च टीम ने पाया कि ब्रेन डैमेज के शिकार बच्चों को सिल्डेनाफिल देना सुरक्षित है। शोध में थेरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया से इलाज कराने वाले बच्चे भी शामिल थे, और वे बच्चे भी जिन्होंने थेरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया से इलाज नहीं कराया था। इस स्टडी में कुल 24 बच्चे शामिल थे, जिनमें नियोनटल एंसेफैलोपैथी की हल्की और गंभीर समस्याएं थीं। 24 बच्चों में से आठ को सिल्डेनाफिल दी गई थी, वहीं तीन को प्लेसिबो दिया गया था।
टीम ने पाया कि नियोनटल एंसेफैलोपैथी से पीड़ित बच्चों में सिल्डेनाफिल का अच्छा असर हुआ। विश्लेषण में कहा गया कि नवजातों में ब्रेन डैमेज के इलाज में मदद मिली। वहीं सिल्डेनाफिल के इस्तेमाल से 30 दिन की अवस्था वाले नवजातों के ब्रेन में डीप ग्रे मैटर भी बढ़ा। इसके अतिरिक्त 18 महीने की उम्र वाले बच्चों में न्यूरो से जुड़े विकास में भी अच्छा परिणाम देखने को मिला।
शोधकर्ताओं ने कहा कि सिल्डेनाफिल के असरदायक इस्तेमाल से दुनिया भर में नियोनटल एंसेफैलोपैथी के इलाज का एक विकल्प पाया जा सकता है। बच्चों के इलाज में सिल्डेनाफिल असरदायक भी है, साथ ही यह आसानी से सुलभ भी है। इसमें खर्चा भी कम है और इसे आसानी से ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किया जा सकता है।
हालांकि रिसर्च टीम ने इस मामले में और ज्यादा शोध की आवश्यकता पर जोर दिया है।