इस्माइल हनिया कौन? जिनकी तेहरान में हत्या; जानें हमास के टॉप पॉलिटिकल नेता से जुड़ीं 6 बातें
Who is Ismail Haniyeh: ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के टॉप पॉलिटिकल नेता इस्माइल हनिया की हत्या कर दी गई है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेचेश्कियां के शपथ ग्रहण कार्यक्रम से लौटने के बाद तेहरान स्थित हमास नेता के आवास पर हमला हुआ। इस हमले में उनका एक बॉडीगॉर्ड भी मारा गया। हमास ने एक बयान जारी कर इस्माइल हानिया पर हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है।
कौन थे हमास नेता इस्माइल हनिया
1. इस्माइल हनिया फिलीस्तीन के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने मिडिल ईस्ट की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाई थी। 1963 में गाजा शहर के एक रिफ्यूजी कैंप में पैदा हुए हनिया ने यूनाइटेड नेशंस के स्कूलों में पढ़ाई की और गाजा इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरबी साहित्य में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही इस्माइल हनिया हमास से जुड़ गए थे।
2. पहले इंतिफादा के दौरान इजरायल की मिलिट्री कोर्ट ने इस्माइल को सजा सुनाई। रिलीज के बाद इजरायल के कब्जे वाले फिलीस्तीन की इजरायली मिलिट्री अथॉरिटी ने हनिया को हमास के वरिष्ठ नेताओं अब्देल अजीज अल रैंतिस्सी, महमूद जहार, अजीज दुवैक और अन्य 400 एक्टिविस्टों के साथ लेबनान भेज दिया।
3. इजरायल द्वारा अहमद यासिन को रिलीज किए जाने के बाद 1997 में इस्माइल हनिया को हमास ऑफिस का प्रमुख घोषित किया गया। दिसंबर 2005 में हनिया को हमास का प्रमुख घोषित किया गया। इसके बाद अगले महीने फिलीस्तीन में हुए लेजिस्लेटिव काउंसिल के चुनावों में हमास को बड़ी जीत मिली।
4. 2006 के लेजिस्लेटिव चुनावों में हमास को मिली जीत के बाद हनिया को फिलीस्तीन अथॉरिटी की सरकार का प्रमुख चुना गया। लेकिन 2007 में फिलीस्तीन के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। परिणाम ये हुआ कि फतह (महमूद अब्बास गुट) और हमास के बीच राजनीतिक संघर्ष बढ़ता गया।
5. हमास और फतह के बीच प्रतिद्वंदिता के चलते 2006 में हनिया को इजिप्ट से लौटने के दौरान राफा बॉर्डर के जरिए गाजा शहर में एंट्री की इजाजत नहीं मिली। हनिया बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले विदेश दौरे से लौटे थे। लेकिन जब उन्होंने बॉर्डर क्रास करने की कोशिश की तो फायरिंग में उनका एक बॉडीगॉर्ड मारा गया। हनिया का बड़ा बेटा भी इस फायरिंग में घायल हो गया।
6. 2016 के चुनावों में इस्माइल हनिया ने खालेद मशाल की जगह ली और चुनावों में हमास का नेतृत्व किया।