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तो इस कारण से कुछ लोगों को कभी नहीं हुआ Covid-19! पढ़िए क्या कहती है रिसर्च

Coronavirus Research: आपको भी इस बात पर हैरानी होती होगी कि कुछ लोग तो कोरोना वायरस से कभी संक्रमित नहीं हुए, जबकि उन्होंने वैक्सीन भी नहीं लगवाई। जबकि, कुछ लोग वैक्सीन लगवाने के बाद भी बार-बार इस वैश्विक महामारी का शिकार होते रहे। एक नई रिसर्च में ऐसा होने के पीछे के कारण का पता चल गया है।
07:27 PM Jul 09, 2024 IST | Gaurav Pandey
Representative Image (Pixabay)
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Covid-19 Pandemic : कोरोना वायरस यानी कोविड-19 वैश्विक महामारी का हाल किसे याद नहीं होगा। इस बीमारी ने पूरी दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए थे। आज जब हम इससे राहत पा चुके हैं, तब अगर आप अपने परिवार के दोस्तों के सर्कल को देखेंगे तो पता चलेगा कि कुछ लोग ऐसे रहे जिन्हें कभी कोविड संक्रमण नहीं हुआ जबकि कुछ लोग बार-बार इसकी चपेट में आते रहे। इसे लेकर लोग हैरत तो जताते रहे लेकिन इसके पीछे का साफ कारण किसी को नहीं मालूम था। लेकिन, अब एक स्टडी में पता चल गया है कि ऐसा होने की वजह क्या रही।

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यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, वेलकम सैंगर इंस्टीट्यूट और इंपीरियल कॉलेज लंदन की ओर से किए गए एक अध्ययन में इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की गई कि क्यों कुछ लोग कोविड की चपेट में कभी नहीं आए तो कुछ लोग बार-बार इसका शिकार बने। यह जवाब पाने के लिए रिसर्चर्स की टीम ने ऐसे वॉलंटियर्स के साथ काम किया जिन्हें न तो कभी कोविड नहीं हुआ था और न ही वैक्सीन लगी थी। ऐसे लोगों को नेजल स्प्रे के जरिए SARS-CoV-2 के ओरिजिनल स्ट्रेन की बेहद कम डोज के साथ एक्सपोज किया गया। ऐसे वॉलंटियर्स की संख्या 16 थी।

पहले कोरोना संक्रमित किए गए वॉलंटियर

रिसर्चर्स ने इन वॉलंटियर्स के ब्लड सैंपल लेने के साथ उनकी नाक और गले के बीच के स्थान से टिश्यू के सैंपल भी लिए। ये सैंपल उन्हें वायरस से एक्सपोज करने से पहले लिए थे। इसके बाद रिसर्चर्स ने इन लोगों में कोविड वायरस के इवॉल्यूशन को ट्रैक किया। वह यह देखकर हैरान रह गए कि हर वॉलंटियर को पूरी सावधानी के साथ समान तरीके से कोविड वायरस की एक समान डोज दी गई थी। लेकिन फिर भी सभी लोगों की कोविड जांच पॉजिटिव नहीं आई। कुछ लोगों की रिपोर्ट निगेटिव ही रही। इसके आधार पर रिसर्चर्स ने वॉलंटियर्स को तीन कैटेगरी में बांटा।

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इसमें पहली कैटेगरी रही सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों के साथ पूरी तरह से संक्रमित लोगों की। दूसरी कैटेगरी में बहुत कम लक्षणों के साथ हल्के-फुल्के संक्रमण वाले और तीसरी कैटेगरी में बिना किसी लक्षण के साथ एबॉर्टिव (निष्प्रभावी) संक्रमण वाले लोग रखे गए। तीनों कैटेगरी में सेल्युलर रिस्पॉन्स की टाइमिंग की तुलना करने पर रिसर्चर्स को कुछ खास पैटर्न देखने को मिले। उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए दूसरी कैटेगरी के वॉलंटियर्स में संक्रमित किए जाने के एक दिन बाद उनकी नाक में प्रतिरक्षा कोशिकाओं का तुरंत और मजबूती से संचयन देखने को मिला था।

अगली पैनडेमिक की तैयारी में बड़ा कदम!

तेज इम्यून रिस्पॉन्स की पहचान करते हुए रिसर्चर्स को एक स्पेसिफिक जीन HLA-DQA2 के बारे में पता चला। यह जीन उन वॉलंटियर्स में काफी बड़े स्तर पर एक्टिवेट हुआ जिनमें संक्रमण अच्छे से डेवलप नहीं हुआ था। यह जीन एक प्रोटीन प्रोड्यूस करने का काम करता है। रिसर्चर्स का कहना है कि इसे सुरक्षा के एक मार्कर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हम इस जानकारी का उपयोग उन लोगों की पहचान करने में कर सकते हैं जो संभवत: कोविड के चलते गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ सकते। अगली पैनडेमिक के लिए तैयारी में यह एक बड़ा कदम है।

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