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Shani ke Upay: न रत्न, न यंत्र और न रुद्राक्ष; इन 2 पौधों की जड़ों से शांत हो जाएगी साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष!

Shani ke Upay: शनि ग्रह मार्गी होने के बाद 27 दिसंबर से पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं। लाल किताब के अनुसार, शनि दोष से बचने के लिए रत्न, यंत्र या रुद्राक्ष के अलावा ज्योतिष में 2 विशेष पौधों की जड़ों का प्रयोग किया जाता है। इनकी जड़ें साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम कर जीवन में शांति और समृद्धि लाते हैं।
09:45 PM Dec 27, 2024 IST | Shyam Nandan
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Shani ke Upay: इस साल 139 दिनों के तक वक्री रहने के बाद शनि ग्रह 15 नवंबर को मार्गी हुए थे। मार्गी होने के बाद उन्होंने 27 दिसंबर को पहली बार उन्होंने अपनी चाल बदली है। इस दिन से वे पूर्वा भाद्रपद में गोचर करेंगे। इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं और यह नक्षत्र कुंभ राशि और मीन राशि को जोड़ता है। वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है, क्योंकि वे शनि देव कलयुग के न्यायाधीश हैं और लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

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शनि का प्रकोप जीवन में मुश्किलें और संघर्ष ला सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिना रत्न, यंत्र या रुद्राक्ष के भी इसे शांत किया जा सकता है? ज्योतिष में विशेष रूप से दो पौधों की जड़ों को शनि दोष निवारण में अद्भुत माना गया है। ये प्राकृतिक उपाय आपकी कुंडली से साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम कर सकते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते हैं। आइए जानते हैं, कौन-से हैं ये पौधे और कैसे करें इनका प्रयोग ताकि सफलता और सुकून आपके कदमों में हो!

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बिच्छू जड़ से होंगे शनि शांत

आयुर्वेद के अनुसार, बिच्छू जड़ या बिच्छू घास की जड़ एक औषधीय जड़ी-बूटी है, लेकिन ज्योतिष की पुस्तकों और लाल किताब में बिच्छू जड़ शनि ग्रह को शांत रखने वाला एक नायाब उपाय बताया गया है। आयुर्वेद में बिच्छू घास की जड़ का इस्तेमाल बंद मूत्र मार्ग को खोलने में किया जाता है। यह जड़ गुर्दे और मूत्र प्रणाली में सूजन और द्रव जमा होने की प्रक्रिया को कम करती है। वहीं ज्योतिष संसार में इस पौधे की जड़ से कमजोर शनि भी मजबूत हो जाते हैं।

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बिच्छू जड़ से शनि के उपाय

लाल किताब के अनुसार, बिच्छू घास की जड़ को काले धागे में लपेटकर धारण करने से शनि से जुड़े कामों में सफलता मिलती है। लेकिन इसके लिए किसी महीने के शुक्ल पक्ष में शनिवार को सुबह पुष्य नक्षत्र में बिच्छू घास की जड़ उखाड़कर लानी चाहिए। बिच्छू जड़ के टुकड़ों को चांदी के ताबीज़ में भरकर शनि मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव शांत हो जाते हैं। बहुत से लोग बिच्छू घास की जड़ से बनी अंगूठी पहनते हैं, मान्यता है इससे शनि का प्रभाव कम हो जाता है।

धतूरे की जड़

धतूरे की जड़ भी बिच्छू जड़ की तरह एक आयुर्वेदिक औषधि है। धतूरे की जड़ को तंत्रिका और गठिया रोग से मुक्ति पाने के लिए कारगर माना गया है। यह भी मान्यता है कि धतूरे की जड़ को कमर में बांधने से बवासीर रोग दूर होता है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक, धतूरे की जड़ शनि के उपायों में रामबाण की तरह काम करता है। सदियों से शनि दोष से बचने के लिए धतूरे की जड़ को धारण किया जाता है।

धतूरे की जड़ शनि के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के नियमों के मुताबिक, धतूरे की जड़ को शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे बांह या कलाई में काले धागे में बांधा जा सकता है या लोहे की ताबीज में पहना जा सकता है। इसे पहनने से पहले गंगाजल से साफ करके 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस पौधे की जड़ से न केवल शनि शांत होते हैं, बल्कि धन की बारिश भी होती है। मान्यता है कि काले धतूरे की जड़ को रविवार, मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर रखने से घर में सुख-चैन बना रहता है और धन की वृद्धि होती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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