कुंडली के 12 भाव: इसमें समाया है पूरा जीवन, 'पहले' और 'चौथे' भाव का है जिंदगी से गहरा नाता
Kundali Bhava and Predictions: वैदिक ज्योतिष में कुंडली 12 भाव होते है। भाव को घर भी कहते हैं। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, कुंडली के सभी 12 भावों में मनुष्य का पूरा जीवन समाया हुआ। इन भावों के अध्ययन से मनुष्य की जिंदगी के हर पहलू का पता चलता है। आइए जानते हैं, कुंडली के किस भाव से क्या-क्या जानकारी मिलती है?
1. पहला भाव: यह कुंडली का पहला भाव है, जिसे 'लग्न' भी कहते हैं। इस भाव से मनुष्य की शारीरिक बनावट और रूप, सिर और मस्तिष्क, त्वचा के रंग आदि के बारे में जाना जाता है। मनुष्य के सम्मान-अपमान और उसके आत्मविश्वास, अहंकार, मानसिकता आदि पर भी इस भाव से विचार किया जाता है।
2. दूसरा भाव: यह धन का भाव है, जहां से आर्थिक स्थिति का पता चलता है। वहीं दाहिनी आंख, वाणी यानि बोली, जीभ, स्वाद, खाना-पीना, प्राइमरी एजुकेशन आदि पर विचार भी इसी घर से किया जाता है।
3. तीसरा भाव: इसे कुटुंब भाव कहा जाता है। यह मनुष्य के बल और पराक्रम, उसके छोटे भाई और बहन, धैर्य, शरीर के अंगों, जैसे- कान, कंठ, फेफड़े, कंधे और हाथ के बारे में भी बताता है।
4. चौथा भाव: यहां से माता और और मन के बारे पता चलता है। मातृसुख, घर का सुख, वाहन सुख, जमीन और जायदाद, मित्र, छाती और पेट के रोग को जानने के लिए इस भाव पर विशेष रूप से विचार किया जाता है।
5. पांचवां भाव: यह प्रमुख रूप से संतान और शिक्षा का भाव है। विद्या बुद्धि, उच्च शिक्षा, विनय-देशभक्ति, पाचन शक्ति, कला, आकस्मिक धन का लाभ, लव रिलेशनशिप, नौकरी में बदलाव आदि भी इसी भाव से देखे जाते हैं।
6. छठा भाव: इस भाव से शारीरिक रोग और जीवन के शत्रु का संबंध है। साथ ही यह डर, कुंठा और तनाव, झगड़ा, मुकदमा, मामा और मौसी, नौकर-चाकर आदि के बारे में भी बताता है।
7. सातवां भाव: इस भाव से विवाह-शादी और जीवनसाथी के बारे में पता चलता है। साथ ही यह पार्टनरशिप, प्रवास आदि का भी प्रतिनिधित्व करता है।
8. आठवां भाव: यह कुंडली का मृत्यु स्थान कहलाता है। आयु निर्धारण इसी भाव से होता है। साथ ही दु:ख, आर्थिक स्थिति, मानसिक रोग, गुप्तांगो के की समस्या, आकस्मिक संकट को जानने आदि के लिए इसी भाव पर विचार किया जाता है।
9. नौवां भाव: यह मनुष्य का भाग्य स्थान है। आध्यात्मिकता, भाग्य का उदय, गुरु, पुस्तक लेखन कार्य, धार्मिक यात्रा, भाई की पत्नी, सेकेंड मैरिज (शादी) आदि के बारे में जानने के लिए इसी भाव को देखा जाता है।
10. दसवां भाव: यह केंद्र स्थान मनुष्य के कर्म का प्रतिनिधित्व करता है। इससे नौकरी, व्यवसाय, पद और प्रतिष्ठा, अधिकारी (बॉस), सामाजिक सम्मान, पितृ सुख, सासू मां और शरीर के दोनों घुटनों आदि के बारे में बताता है।
11. ग्यारहवां भाव: यह लाभ का स्थान है। यह मनुष्य मित्र, दामाद, आमदनी के तरीके, शरीर की पिंडली आदि के बारे में बताता है।
12. बारहवां भाव: वैदिक ज्योतिष में इसे व्यय यानि खर्च स्थान कहा गया है। साथ ही यह कर्ज, विदेश यात्रा, गुप्त शत्रु, मुकदमेबाजी, संन्यास आदि अनेक कारकों का प्रतिनिधित्व करता है।
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पहले और चौथे भाव का है जिंदगी से गहरा नाता
कुंडली का पहला भाव सबसे महत्वपूर्ण भाव है, क्योंकि यह तन यानी शरीर और बाहरी व्यक्तित्व के बारे में बताता है। उम्र का पता भी इस भाव से चलता है। इस भाव का जिंदगी से गहरा संबंध है, क्योंकि जब व्यक्ति ही नहीं होगा, तो किसी प्रकार की भविष्यवाणी का कोई मतलब नहीं है। बता दें, कोई लम्बा होगा या ठिगना, गोरा होगा या सांवला, बाल कैसे होंगे, क्या वह गंजा भी होगा आदि जानकारियां भी इसी भाव से पता लगाते हैं।
चौथे भाव को मातृस्थान कहा गया है। यह भाव व्यक्ति के मां और मां से प्राप्त सुख के बारे में बताता है। मां से महत्वपूर्ण भला जीवन में और क्या हो सकता है? मां के चरणों में स्वर्ग है, यह कहा जाता है। मनुष्य के लालन-पालन में मां की भूमिका और उसके इस कर्ज को स्वर्ग देकर भी नहीं चुकाया जा सकता है। इसी कारण से चौथे भाव का जीवन से गहरा नाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।