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Mahashivratri and Shivratri: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है खास अंतर, जानें धार्मिक कारण
Mahashivratri and Shivratri: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल महाशिवरात्रि फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2024 में महाशिवरात्रि 8 मार्च दिन शुक्रवार को है। बता दें इस दिन सभी भक्त शिव जी के भक्ति में उत्साहित रहते हैं, साथ ही विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं। जो लोग विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और मौसमी फल अर्पित करते हैं। लोगों के मन में महाशिवरात्रि पर्व और शिवरात्रि को लेकर कन्फ्यूजन बना रहता है। आखिर शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच फर्क क्या है। आइए आज इस खबर में शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बारे में जानते हैं।
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कब मनाई जाती है शिवरात्रि
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। यानी एक साल में कुल 12 शिवरात्रि का पर्व आते हैं। जिनका अपना अलग-अलग महत्व है। बता दें कि इन शिवरात्रि को मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषीय के अनुसार, सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि सभी शिवरात्रियों में सबसे खास और अधिक महत्व रखती है।
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कब मनाई जाती है महाशिवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल फाल्गुन माह के चतुर्दशी तिथि की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव प्रकट हुए थे। भगवान शिव कहते हैं कि "यत्पुनः स्तम्भरूपेण स्वाविरासमहं पुरा। स कालो मार्गशीर्षे तु स्यादाऋिक्षमर्भकौ", यानी इस ब्रह्मांड में सबसे पहले ज्योतिर्मय स्तम्भ रूपां (शिवलिंग) प्रकट हुआ था। जिस समय ज्योतिर्मय स्तम्भ रूपां प्रकट हुआ था उस समय मार्गशीर्ष माह के आद्रा नक्षत्र था। शिव पुराण में भगवान शिव कहते हैं कि जो भक्त महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का दर्शन करते हैं वह मेरे पुत्र यानी कार्तिकेय से भी अधिक प्रिय हैं।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है खास अंतर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में खास अंतर है। जैसे मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा की जाती है। लेकिन वहीं महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन यानी विवाह हुआ था। मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात्रि को पुरुष और प्रकृति की मिलन की रात्रि मानी जाती है।
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