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Vakri Grah: ग्रह का वक्री होना क्या है, इसका असर क्या होता, कौन ग्रह कभी नहीं होते हैं वक्री?
Vakri Grah: ग्रहों का वक्री होना एक विशेष ज्योतिषीय घटना है, क्योंकि वक्री ग्रह के अच्छे परिणाम कम और घातक असर अधिक होते हैं। आइए जानते हैं कि ग्रहों का वक्री होना क्या है और वक्री ग्रह का क्या असर होता है और ऐसे कौन-से ग्रह हैं, जो कभी वक्री नहीं होते हैं और क्यों?
ग्रह का वक्री होना क्या है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का वक्री होना एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिसमें ग्रह अपनी सामान्य गति के विपरीत दिशा में जाता हुआ प्रतीत होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब ग्रह वक्री होते हैं, तो वे अपनी राशि में पीछे की ओर जाते दिखते हैं। हालांकि, इस अवस्था में ग्रहों की ऊर्जा, ज्योतिष मान्यता के अनुसार बहुत बढ़ जाती है, लेकिन उन्हें कमजोर और कम प्रभावी माना जाता है। वहीं कुछ ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस अवस्था में ग्रहों का अपनी ऊर्जा पर नियंत्रण नहीं होता है। बता दें, ग्रहों के वक्री होने को सामान्य भाषा में 'ग्रहों की उल्टी चाल' (Reverse Movement of Planet) कहते हैं।
राशियों पर वक्री ग्रह का असर
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, ग्रहों के वक्री होने का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरह से पड़ता है. यह राशियों की कुंडली के भावों (घर) में स्थिति, ग्रहों की अपनी स्थिति, जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों व राशियों की स्थिति और परस्पर संबंध आदि से निर्धारित होता है। सामान्य तौर पर जब ग्रह वक्री होते हैं, तो अक्सर राशियों के अनुसार, राशिफल में विलंब, बाधाएं और चुनौतियां आती हैं। वहीं, कुछ राशियों के लिए वक्री ग्रह नए अवसरों और विकास का भी समय हो सकता है। यह भी देखा गया है कि वक्री ग्रह हमेशा अशुभ फल नहीं देते हैं। यह कई स्थितयों पर निभर करता है।
वक्री ग्रह कब शुभ फल देते हैं?
जब वक्री ग्रह शुभ भाव, जैसे कुंडली में 1, 4, 5, 7, 9 और 10 भावों बली यानी मजबूत होते हैं, तो शुभ फल दे सकते हैं। वहीं, किसी शुभ और बली मित्र ग्रह के साथ युति में होने से भी वक्री ग्रह शुभ प्रभाव दिखा सकते हैं या उनका नकारात्मक असर घट जाता है। साथ ही, यदि वक्री ग्रह किसी शुभ और बली ग्रह से दृष्टि प्राप्त कर रहा हो, इस स्थति में वह भी शुभ फल दे सकते हैं।
ग्रहों के अनुसार वक्री ग्रह का असर
ज्योतिष शास्त्र में वक्री ग्रहों को कमजोर माना गया है यानी फल देने की उनकी क्षमता और प्रभाव घट जाती है। परिणास्वरूप वक्री ग्रह का असर उनके कारकत्व के अनुसार नकारात्मक हो जाता है:
वक्री बुध : इनके वक्री होने से व्यवसाय, संचार और यात्रा में बाधाएं पैदा होती हैं।
वक्री शनि: ये करियर और स्वास्थ्य को अधिक प्रभावित करते हैं।
वक्री गुरु: ये प्रायः ज्ञान, शिक्षा और धन की आमद और भाग्य में बाधाएं और चुनौतियां बढ़ा देते हैं।
वक्री शुक्र: वक्री शुक्र प्रेम संबंधों और खर्च पर विशेष असर डालते हैं।
वक्री मंगल: दुर्घटनाएं हो सकती हैं, आत्मविश्वास और साहस में कमी आ सकती है।
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ये दो ग्रह कभी नहीं होते हैं वक्री
वैदिक ज्योतिष के मुताबिक दो ग्रह ऐसे हैं, जो कभी वक्री नहीं होते हैं, ये हैं सूर्य और चंद्रमा। सूर्य ग्रहों के राजा है, तो चंद्रमा को ग्रहों की रानी माना गया है। इन दोनों को विशेषाधिकार प्राप्त है। यही कारण है कि दोनों ग्रह वक्री होने के दोष से मुक्त हैं। मान्यता है कि सूर्य और चंद्रमा सभी ग्रहों के नियंत्रक हैं और इसलिए वे कभी वक्री नहीं होते हैं। साथ ही, ये भी बता दें कि राहु और केतु भी वक्री नहीं माने जाते हैं, लेकिन ये कभी सीधी गति में नहीं होते हैं।
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