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Ram Katha: केवट ने क्यों धोए थे श्रीराम के पैर? जानें रहस्य

Ram Katha Kevat Prasang: रामायण में इस बात का जिक्र मिलता है कि वनवास जाने के दौरान केवट ने श्रीराम के पैर धोए थे। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसके पीछा उसका उद्देश्य क्या था? अगर नहीं तो यहां जानिए।
12:37 PM Jan 13, 2024 IST | Dipesh Thakur
ram katha  केवट ने क्यों धोए थे श्रीराम के पैर  जानें रहस्य
राम कथा, केवट प्रसंग।

Ram Katha Kevat Prasang in Hindi: राम सिया राम… राजा रामचंद्र की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में खुशी का  माहौल है। प्रत्येक राम भक्त अपने इष्ट के अयोध्या आगमन की तैयारी में लगा है। हर घर का माहौल मानो राममय हो गया है। सुबह-शाम श्रीराम की भक्ति में लोग डूबे हुए हैं। प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। राम सिया राम प्रसंग के अगले चरण में आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि केवट (मल्लाह) ने श्रीराम के पैर क्यों धोए थे। साथ ही ऐसा करने के पीछे केवट का उद्देश्य क्या था?

रामायण में आई एक कथा के मुताबिक, प्रभु श्रीराम अपने पिता के कहने पर छोटे भाई लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास जा रहे थे। इस दौरान उन्हें जब वे गंगा नदी को पार करने के लिए नाव का इंतजार कर थे। इस बात की जानकारी गुह (निषादराज) को हुई जो गंगा के किनारे रहते थे। गुह, श्रीराम के वनवास की बात को सुनकर दौरे आए। वहीं उनका नाविक नदी के दूसरी ओर लोगों को नाव से उतार रहा था।

गुह के कहने पर जब केवट श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण को नदी पार कराने के लिए नाव को लेकर आया। नाव से नीचे उतरकर उसने श्रीराम का अभिवादन किया। फिर, गुह से पूछा कि क्या वह भगवान को नाव पर चढ़ाने से पहले उसके पैर को धो सकता है। गुहा ने केवट से कहा कि नाव पर पहले प्रभु राम को बैठने दें, उसके बाद उनके पैर धोएं। लेकिन, केवट इस बात पर अडिग था कि पहले वह श्रीराम के पैर धोएगा फिर उन्हें सम्मान पूर्वक नाव पर बिठाकर गंगा पार कराएगा। गुह, केवट की जिद से नाराज हो गए।

केवट ने खुद भगवान श्रीराम को अपनी बात समझाने की कोशिश की। केवट ने भगवान श्रीराम से कहा- ” हे प्रभु! मैंने सुना है कि आपके पैरों की धूल जंगल में एक पत्थर पर पड़ गई। जिसके प्रभाव से वह पत्थर स्त्री रूप में बदल गया। मेरी नाव लकड़ी के अनेक टुकड़ों से बनी है। ऐसे में मुझे डर है कि अपके पैर की धूल से मेरी नाव कहीं महिलाओं में ना बदल जाए। मुझे अपने परिवार का पालन-पोषण करना है। प्रभु नाव पर विराजमान होने से पहले अपने पैर धोने की आज्ञा दीजिए।”

कहते हैं कि जब केवट ने श्रीराम के पैर धोए को उसके सारे पाप धुल गए। केवट की भक्ति से खुश होकर प्रभु श्रीराम ने केवट को उपहार के रूप में एक अगूंठी देना चाहा। मगर, इससे पहले केवट ने श्रीराम के कहा कि वे ऐसा ना करें, बल्कि उसकी इच्छा पूरी करें। केवट श्रीराम से भक्ति और संसार से मुक्ति के लिए प्रार्थना करता है। प्रभु श्रीराम भी केवट को इच्छा पूर्ति का वरदान देते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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