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शनि को मजबूत करने के 7 वास्तु टिप्स; जानें कुंडली में शनि के 'बली' होने से क्या होता है?
Saturn Vastu: सभी नौ ग्रहों में शनि कमाल के ग्रह हैं। अन्य ग्रहों की तुलना ये काफी धीमी गति से चलते हैं, लेकिन जहां तक असर की बात है, तो वह सबसे तेज और व्यापक होता है। कहा जाता है, जब शनि चाह लेते हैं कि व्यक्ति को उसके कर्म का फल देना है, तो कोई ग्रह कितना भी रोकना चाहे, तो भी नहीं रोक सकता है। दूसरी बात, जो शनि के संबंध में समझनी जरूरी है, वो ये कि, शनि ग्रह बुरे का काम परिणाम देने में अधिक देर नहीं लगाते हैं, भले की शुभ कर्म का फल देने में थोड़ा विलंब क्यों न हो जाए।
कुंडली में शनि कब बली होते हैं?
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि उच्च के होते हैं, तो उन्हें बली माना जाता है। शनि के उच्च होने का अर्थ है, उनका तुला राशि में होना। अपनी स्वराशि यानी कुंभ और मकर में होने से भी शनि बली होते हैं। कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें में होने से भी शनि मजबूत माने जाते हैं। साथ ही शनि, जब अपने मित्र ग्रह, बुध और शुक्र, की राशि में होते है, तो मजबूत होते हैं। इसके अलावा कुंडली में अनेक योग बनने से भी ये बली होते हैं।
शनि के 'बली' होने से क्या होता है?
कहते हैं, यदि कुंडली में एक भी ग्रह बली हों, तो वह संसार के सभी सुख कदमों में डाल सकते हैं। फिर ये तो शनि हैं, जिनका प्रभाव जबरदस्त होता है। बता दें, वास्तु शास्त्र में शनि को काफी महत्व दिया गया है। इस शास्त्र के अनुसार, बली यानी मजबूत शनि जातक को मेहनत करने की शक्ति देते हैं। व्यक्ति जस्टिस यानी न्यायप्रियता में यकीन रखता है, गलत और सही काम के अंतर को अच्छे समझता है। शनि के बली होने से आयु लंबी है। बली और शुभ शनि से अकालमृत्यु नहीं होती है। स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
शनि बलहीन होने का असर
वहीं, कमजोर या निर्बली शनि व्यक्ति आलसी, निकम्मा और भाग्यहीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कहते हैं, जब शनि मंगल ग्रह से पीड़ित होते हैं, तो व्यक्ति भीषण दुर्घटना का शिकार हो सकता है, उसे जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है, परेशानी पर परशानी आते रहते हैं।
शनि को मजबूत करने के वास्तु टिप्स
1. शनि ग्रह को मजबूत करने के लिए शनिवार को उनके विग्रह पर सरसों का तेल चढ़ाएं और उनके पास पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
2. प्रत्येक शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शनिवार के दिन सात मुखी रुद्राक्ष को गंगा जल से धोकर धारण करें।
4. शनिवार के दिन उड़द की दाल, काला कपड़ा, काले तिल, काले चने और लोहे का दान करें।
5. शनिवार को उनके बीज मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:" (Om Pram Preem Proum Sah Shanaye Namah) जाप करें।
6. शनिवार को शमी वृक्ष की पूजा कर उसमें काला कपड़ा बांधें और काले तिल का दीपक जलाएं।
7. शनिवार को स्वच्छ जल में गंगाजल मिलाने के बाद उसमें काला तिल और गुड़ मिलाकर पीपल पेड़ की जड़ में डालें।
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