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US Election: बेटी इवांका की होगी एंट्री या बहू लारा को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?

Bharat Ek Soch : डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका चुनाव में जीत हासिल की और कमला हैरिस को हार का सामना करना पड़ा। अब दुनिया यह हिसाब लगाने में जुटी है कि ट्रंप की जीत के पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं और उनकी सरकार में उन्हें क्या जिम्मेदारी मिल सकती है।
09:20 PM Nov 09, 2024 IST | Deepak Pandey
Bharat Ek Soch
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Bharat Ek Soch : डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति चुने गए हैं। अमेरिका समेत दुनिया भर के तेज-तर्रार लोग हिसाब लगा रहे हैं कि आखिर ट्रंप क्यों जीते और भारतीय मूल की कमला हैरिस क्यों हारीं? लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव किस तरह देखा जाएगा। बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को किस रास्ते आगे ले जाएंगे और उसका दुनिया के बड़े हिस्से पर किस तरह प्रभाव दिखेगा? इस बार का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कई वजहों से लंबे समय तक याद रखा जाएगा। इस चुनाव में जमकर ब्लैक Vs व्हाइट हुआ। इस चुनाव में जमकर महिला Vs पुरुष हुआ। इस चुनाव में जमकर क्रोनी कैपिटलिज्म Vs कॉमनमैन हुआ। इस चुनाव में जमकर अमेरिकी Vs बाहरी हुआ।  इस चुनाव जमकर एक-दूसरे के खिलाफ लूज टॉक हुआ।

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इन सबसे इतर चुनाव में ट्रंप की किन लोगों ने मदद की और बदले में अब वो क्या चाहते हैं? ट्रंप की कोर टीम में कौन-कौन लोग दिख सकते हैं? बेटी इंवाका और दामाद कुशनर को ट्रंप प्रशासन 2.0 में किस तरह की जिम्मेदारी मिलेगी? ट्रंप बिजनेस घरानों के इशारों पर नीतियां बनाएंगे या फिर शपथ ग्रहण के बाद अपने मददगारों को भूल जाएंगे? चुनाव में खुलकर साथ देने वाले एलन मस्क की ट्रंप प्रशासन में भूमिका क्या होने वाली है? ऑयल सेक्टर में ट्रंप के DRILL BABY DRILL से किसे फायदा होने की संभावना है? क्रिप्टो, फार्मास्यूटिकल्स, टेबैको सेक्टर से जुड़े बिजनेस टायकून आखिर ट्रंप प्रशासन 2.0 में क्या चाहते हैं? ट्रंप ने किस मकसद के साथ अपनी मीडिया कंपनी बनाई और वो कहां खड़ी है? अगले चार साल में ट्रंप का बिजनेस मॉडल और रास्ता दुनिया को किस हद तक प्रभावित करेगा?

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किन लोगों पर भरोसा करेंगे ट्रंप?

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सबसे पहले ये समझते हैं कि ट्रंप प्रशासन में कौन से लोग धुरी की भूमिका में दिख सकते हैं? अमेरिका को चलाने के लिए ट्रंप किन लोगों पर भरोसा कर सकते हैं। टीम ट्रंप में उनकी बेटी और दामाद का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है। बेटी इवांका और दामाद जार्ड कुशनर ट्रंप प्रशासन सलाहकार की भूमिका में दिख सकते हैं। कुशनर अमेरिका के कूटनीतिक रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करते दिख सकते हैं, वो यहूदी समुदाय से आते हैं। माना जा रहा है कि भविष्य में इजरायल और अमेरिका के रिश्तों को नया आयाम देने में कुशनर का नजरिया बहुत मायने रखेगा। अमेरिका की आर्थिक तरक्की और तकनीकी विकास को आगे बढ़ाने में एलन मस्क की सोच ड्राइविंग सीट पर दिख सकती है, तो स्वास्थ्य नीतियों पर रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर की छाप दिखनी तय मानी जा रही है। ट्रंप के खास-म-खास पूर्व राजदूत और खुफिया प्रमुख रिचर्ड ग्रेनेल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी नई भूमिका में दिख सकते हैं। भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी पहले राष्ट्रपति उम्मीदवार बनना चाहते थे, जो बाद में ट्रंप के समर्थन में आ गए। ऐसे में माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन में विवेक रामास्वामी को बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप की जीत के क्या हैं फैक्टर?

डोनाल्ड ट्रंप की जीत में तीन फैक्टर प्रमुख माने जा रहे हैं। एक, पूंजीपतियों का ट्रंप के प्रचार अभियान को भरपूर समर्थन। दूसरा, MAGA यानी Make America Great Again और तीसरा नस्लीय आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण। अमेरिका के चुनावी सिस्टम में डॉलर ड्राइविंग सीट पर रहता है- ये बात किसी से छिपी नहीं है। इस बार जिस तरह पूंजीपति ट्रंप के साथ खुल कर दिखे और ट्रंप पूंजीपतियों के साथ दिख रहे हैं। चुनावी नतीजों के बाद अपने पहले भाषण में उन्होंने जिस तरह से मस्क चलीसा पढ़ा, उससे समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में डोनाल्ड ट्रंप और मस्क की केमेस्ट्री किस तरह काम करेगी?

एलन मस्क ने ट्रंप पर लगाया था दांव

कुछ हफ्ते पहले अमेरिकी पॉलिटिकल कमेंटेटर टकर कार्लसन को एलन मस्क ने एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ट्रंप हार गए तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा। आपको क्या लगता है कि मुझे जेल की सजा कितनी लंबी होगी? ये बिजनेस टायकून मस्क के भीतर का डर बोल रहा था- जिसने रिपब्लिकन ट्रंप को चुनाव जिताने के लिए तन, मन, धन सब झोंक दिया था। चुनावी राजनीति में कारोबारी रिश्तों का साइड इफेक्ट किस तरह दिखता है, इसका ट्रेलर राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के मैदान मारने के साथ दिखने लगा। चार दिन के भीतर ही मस्क की कंपनियों की नेट वर्थ करीब ढाई लाख करोड़ बढ़ गई। वैसे ट्रंप ने गवर्नमेंट एफिशिएंसी कमेटी बनाने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि इसकी कमान एलन मस्क को सौंपी जा सकती है। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि जो ट्रंप कभी इलेक्ट्रिक व्हिकल का विरोध कर रहे थे- क्या अब वो मस्क की टेस्ला के रास्ते में पड़े स्पीड ब्रेकर हटाएंगे?

जानें एलन मस्क ने कितने खर्च किए?

अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप के प्रचार अभियान पर 130 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं। इसमें से एक सुपर पॉलिटिकल एक्शन कमेटी को ही 11.9 करोड़ डॉलर से अधिक डोनेशन दिया गया। कुछ क्षेत्रों में वोटरों को प्रभावित करने के लिए लॉटरी के जरिए भी डॉलर देने की बात सामने आई। ट्रंप की शानदार जीत से एलन मस्क के पैर जमीन पर नहीं हैं, लेकिन गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के पैरों के नीचे से जमीन खिसकती महसूस हो रही होगी।

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कमला हैरिस के प्रचार में इन कंपनियों ने की थी फंडिंग

दावा जा रहा है कि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट कमला हैरिस के प्रचार अभियान को फंडिंग करने वाली बड़ी कंपनियां रहीं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप अपने विरोधियों के कारोबारी दोस्तों को टाइट कर सकते हैं। ट्रंप की जीत से अमेरिकी की ऑयल लॉबी बहुत खुश है। चुनाव के दौरान उन्होंने ड्रिल बेबी ड्रिल का नारा दिया था। ऐसे में अगर अपने वादे के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप ऊर्जा कीमतों को आधा करने के वादे पर आगे बढ़े और तेल का उत्पादन बढ़ा दिया तो पूरी दुनिया के ऑयल मार्केट के प्रभावित होने के चांस हैं। क्रिप्टो कम्यूनिटी भी ट्रंप की ओर बढ़ी उम्मीद के साथ देख रही है।

आलोचना या तानों से विचलित नहीं होते हैं ट्रंप

ट्रंप एक जुनूनी किस्म के आदमी है। दूसरों की आलोचना या ताने से वो विचलित नहीं होते। इसी तरह उन्होंने बिजनेस भी किया और राजनीति भी। रियल एस्टेट से ब्यूटी कॉन्टेस्ट खरीदने तक, रियलिटी शो होस्ट करने से लेकर मीडिया कंपनी शुरू करने तक का काम ट्रंप कर चुके हैं। उनके बिजनेस मॉडल पर अक्सर सवाल भी उठते रहे हैं। फरवरी, 2021 में ट्रंप मीडिया एंड टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्प नाम से एक कंपनी बनाई, जो शेयर बाजार में लिस्टेड है, जिसे पिछली तिमाही में 19.2 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। लेकिन, ट्रंप की जीत की खबरों के बीच इस मीडिया कंपनी के शेयरों में उछाल आया और अगले दिन लुढ़के भी।

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में बढ़ी हलचल

अगर महीनेभर में ट्रंप की मीडिया कंपनी के शेयरों की हाईप्राइस 51.51 डॉलर रही, जो अब 31.91 डॉलर है। कारोबारी मिजाज के ट्रंप से अमेरिकी बिजनेस कम्यूनिटी को बहुत उम्मीद है। ट्रंप निजी तौर पर स्मोकिंग के विरोधी रहे हैं। लेकिन, वहां की Tobacco giant Reynolds American ने ट्रंप समर्थन वाली सुपर पीएसी को बड़ा चंदा दिया। तंबाकू सेक्टर से जुड़ी RAI Services Company ने तो 8.5 मिलियन डॉलर से अधिक की मदद दी। वहां की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में भी बड़ी हलचल है। पूर्व राष्ट्रपति कैनेडी परिवार से ताल्लुक रखने वाले रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर को ट्रंप प्रशासन में हेल्थ सेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, उनका रुख वैक्सीन विरोधी रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर जूनियर कैनेडी के हाथों में वैक्सीन रिव्यू की जिम्मेदारी आ गई तो अमेरिका की दिग्गज फार्मा कंपनियों की टेंशन बढ़नी तय मानी जा रही है। हालांकि, ये समझना भी जरूरी है कि ट्रंप प्रशासन 2.0 का दुनिया में किस तरह का साइड इफेक्ट दिखेगा?

डोनाल्ड ट्रंप के लिए अमेरिका फर्स्ट

डोनाल्ड ट्रंप के प्रचार अभियान का मूल तत्व रहा- अमेरिका फर्स्ट। उनके मिजाज को समझने वालों का अनुमान है कि वो किसी भी कीमत पर अमेरिका फर्स्ट की नीति को आगे बढ़ाएंगे। इसमें अमेरिका में हर तरह के इम्पोर्ट पर टैक्स और मेड इन चाइना माल पर मोटा टैक्स लगने के चांस हैं। भविष्य में ट्रंप की बिजनेस पॉलिसी का अनुमान लगाते हुए भारत भी अपने नफा-नुकसान का हिसाब लगा रहा है। हालांकि, ट्रंप को हालात के मुताबिक रास्ता बदलने में भी महारत हासिल है। कभी रिपब्लिकन हुकूमत के दौर में कारोबारी घरानों का वॉशिंगटन से रिश्ता बेहतर हुआ करता था। लेकिन, ट्रंप की पहली पारी में रिश्ता बदला, नए सिरे से परिभाषित हुआ। साल 2016 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ट्रंप फ्लोरिडा के एक गोल्फ क्लब पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के टॉप काउंसिल यानी वकील Stanton Anderson से हुई।

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इस बार ट्रंप ने हर वर्ग से फंड जुटाने की कोशिश की

दरअसल, रिपब्लिकन ट्रंप और देश की सबसे बड़ी बिजनेस लॉबी के बीच रिश्ते खराब हो गए थे, जिसकी रिपेयरिंग की कोशिश एंडरसन कर रहे थे। अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स दो चीजें चाह रहा था- एक चाइना के साथ विदेशी कारोबार में सुधार और दूसरा Immigration laws को उदार बनाया जाए, जिससे विदेशी वर्कफोर्स आसानी से अमेरिका में एंट्री ले सके। ट्रंप ने बिना किसी लाग-लपेट के दोनों सुझावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कह दिया कि मैं भूला नहीं हूं। आपलोगों ने मुझे रोकने की पूरी कोशिश की। उस दौर में चुनाव प्रचार के दौरान कारोबारी घरानों से ट्रंप कहा करते थे- मुझे किसी के पैसे की जरूरत नहीं है। लेकिन, इस बार चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने हर वर्ग से फंड जुटाने की कोशिश की। बड़े कॉरपोरेट घरानों के साथ-साथ छोटे डोनर्स से फंड जुटाने में हिचक नहीं दिखाई। ऐसे में अब सवाल यही है कि क्या बतौर राष्ट्रपति ट्रंप वही करेंगे, जो उन्होंने अपनी चुनावी सभाओं के मंच से वादा किया या फिर वो करेंगे जो उनके चुनाव अभियान को फंड करने वाले चाहते हैं? क्या वो अपने वादे के मुताबिक, यूक्रेन-रूस युद्ध रुकवा देंगे?

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