ताने सुने, पापा ने घर से निकाला, गलत काम करने पड़े...कौन हैं मानवी मधु कश्यप? जिन्होंने रचा अनोखा इतिहास
Bihar First Transgender Daroga Success Story: सपनों को पंख मिलें और अपनी अलग पहचाने बनाने का जज्बा हो तो इतिहास रचा जा सकता है। ऐसा ही एक अनोखा इतिहास रचा है, मानवी मधु कश्यप ने, जो देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनी हैं। इनके संघर्ष की कहानी इतनी दर्दभरी है कि आपकी आंखें छलक जाएंगी। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग यानी (BPSSC) ने पुलिस सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया हे।
1275 कैंडिडेट पास हुए हैं, जिनमें 3 ट्रांसजेंडर हैं। इनमें भी 2 ट्रांसमेन और एक ट्रांसवूमेन है। भर्ती में 5 पद ट्रांसजेंडर्स के लिए रिजर्व थे, लेकिन 3 ट्रांसजेंडर ही परीक्षा पास कर पाए। वहीं जब रिजल्ट जारी हुआ तो पास होने वाले कैंडिडेट्स में अपना नाम देखकर मानवी की आंखें छलक गईं और उनके मुंह से निकला कि 10 साल बाद घर जाऊंगी। पिता तो दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वर्दी पहनकर मां को सैल्यूट करुंगी। काफी संघर्षों के बाद अपनी अलग पहचान बनाई है।
Patna: After becoming the country's first transgender Sub-Inspector, Manvi Madhu Kashyap says, "The struggle began when I decided to become an Inspector...I want to thank the Chief Minister and the Supreme Court for giving me this opportunity" pic.twitter.com/M4rTHfczxj
— IANS (@ians_india) July 10, 2024
तानों से बचने को छिपानी पड़ी पहचान
मानवी मधु कश्यप बिहार के भागलपुर जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। पुलिस भर्ती परीक्षा परिणाम आने के बाद खुशी जताते हुए मानवी ने बताया कि वे अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु रहमान सर को देती हैं, जिनकी बदौलत उनकी जिंदगी संवरी। उन्होंने ही मानवी को इस मुकाम पर पहुंचाया। मानवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी आभार जताया। वहीं अपने संघर्ष की कहानी सुनाते हुए मानवी भावुक हो जाती हैं।
मानवी कहती हैं कि वे 9वीं क्लास में थीं, जब उन्हें खुद के ट्रांसजेंडर होने का पता चला। परिवार को पता चला तो साथ नहीं मिला। लोग ताने देने लगे थे तो पहचान छिपानी पड़ी। पिता नाराज हो गए। घर छोड़कर पटना आना पड़ा। ट्रांसजेंडर्स के हाथ लग गई, लेकिन वे गलत काम कराने लगे। मां छिप-छिपकर मिलने के लिए पटना आती थी। इस बीच गुरु रहमान सर मिले, जिन्होंने उसे नरक से निकालकर आज इस मुकाम पर पहुंचाया। 10 साल से घर नहीं गई। पिता भी दुनिया से चले गए, अब मां ही सहारा है।
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मानवी का IAS अफसर बनने का सपना
मानवी बताती हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव पंजवारा के SS संपोषित हाई स्कूल से पूरी हुई। CND कॉलेज से इंटरमीडिएट की। तिलकामांझी यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया। पिता नरेंद्र प्रसाद सिंह का निधन हो चुका है। मां माला देवी हैं, जिन्होंने उनका साथ नहीं छोड़ा। उनकी मां ने उनके ट्रांसजेंडर होने पर कभी शर्म नहीं की।
गुरु रहमान सर ने भी हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि उन्हें कोई स्कूल और कोचिंग सेंटर एडमिशन देने को राजी नहीं था। काफी मिन्नतें करने के बाद एक स्कूल ने उन्हें दाखिला दिया और आज वह दारोगा बन गई हैं। मानवी पुलिस भर्ती के लिए साल 2021 से तैयारी कर रही थीं और अब मानवी UPSC क्रैक करके IAS अफसर बनने का सपना देख रही हैं और इस टारगेट को पूरा करने के लिए वे तैयारी भी कर रही हैं।
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