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BPSC परीक्षा विवाद क्या और क्यों मचा बवाल? पढ़ें विपक्ष के आरोप, छात्रों की मांगें, सरकार का जवाब

70th BPSC Exam Controversy: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) परीक्षा आजकल सुर्खियों और विवादों में है। प्रदेशभर के छात्र एग्जाम दोबारा कराए जाने की मांग कर रहे हैं, वहीं राजनीतिक दल इस मुद्दे पर सियासत कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर मामला क्या है?
01:05 PM Jan 06, 2025 IST | Khushbu Goyal
bpsc परीक्षा विवाद क्या और क्यों मचा बवाल  पढ़ें विपक्ष के आरोप  छात्रों की मांगें  सरकार का जवाब
BPSC Protest

What is 70th BPSC Exam Controversy: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) परीक्षा आजकल सुर्खियों और विवादों में है। 6 दिसंबर 2024 से इस परीक्षा पर विवाद चल रहा है। सितंबर 2024 में 2031 पद भरने के लिए कराई जाने वाली इस परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था। 4.83 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा देने के लिए अप्लाई किया, लेकिन 3.25 लाख आवेदकों ने एग्जाम दिया। 2031 दपों में 200 SDM, 136 DSP और अन्य राजपत्रित अधिकारियों के पद शामिल हैं। प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच हुई, जिसमें सामान्य ज्ञान के 150 प्रश्न थे, लेकिन 13 दिसंबर को पटना के बापू सभागार में प्रश्न पत्र बांटने में देरी और पेपर लीक करने के आरोप छात्रों ने लगाए।

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पेपर लीक होने और प्राइवेट कोचिंग सेंटर का मॉडल पेपर होने के आरोप

विरोध कर रहे छात्रों ने एग्जाम नहीं दिया और सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा में अनियमितताएं बरती गई हैं। प्रश्न पत्र में पूछे गए सवालों का कोई लेवल नहीं था। कुछ प्रश्न प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों से मिलते थे। छात्रों ने एग्जाम रद्द करके दोबारा कराए जाने की मांगी की। पटना जिला प्रशासन में आरोपों की जांच करके जांच रिपोर्ट BPSC को सौंपी तो आयोग ने बापू सभागार सेंटर के 12 हजार परीक्षार्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया, जो 4 जनवरी 2025 को होनी थी, लेकिन छात्र पूरा एग्जाम दोबारा कराए जाने की मांग पर अड़ गए और 18 दिसंबर 2024 को गर्दनीबाग में धरने पर बैठ गए। यह प्रदर्शन अभी भी जारी है, लेकिन अब छात्र गांधी मैदान में बैठे हैं।

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परीक्षा पर विवाद के ये कारण भी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एग्जाम होने से पहले ही छात्र परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। वे नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आंदोलनरत हैं। आरोप है कि एग्जाम कराने के लिए नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हुआ। इससे कुछ छात्रों को अनुचित लाभ मिलेगा और कुछ छात्रों को नुकसान उठाना पड़ेगा। कट-ऑफ मार्क्स पर भी इसका असर पड़ेगा। सेलेक्शन प्रोसेस प्रभावित होगा और छात्रों की मेहनत पर पानी फिरेगा। इसलिए वे दोबारा एग्जाम कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

छात्रों की प्रमुख मांगें

एग्जाम रद्द करके दोबारा कराया जाए। नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस को पारदर्शी बनाया जाए। प्रोसेस का मैथमेटिकल मॉडल पब्लिक किया जाए। पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

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क्या कहता है BPSC?

पूरे विवाद पर आयोग के सचिव सह परीक्षा नियंत्रक सत्य प्रकाश शर्मा ने छात्रों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग की ओर से कहा गया कि एग्जाम पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष तरीके से हुआ था। छात्रों से अपील है कि वे अब मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट जाए। अगर किसी छात्र के पास अनियमितताओं के सबूत हैं तो प्रस्तुत करें, आरोपियों के खिलाफ त्वरित और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

छात्रों के समर्थन में कौन-कौन?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, भाकपा (माले), जनसुराज जैसे विपक्षी दल छात्रों के समर्थन में हैं। आइसा (AISA), एबीवीपी (ABVP) जैसे संगठन छात्रों के आंदोलन में शामिल हैं। कुछ एजुकेशनल एक्सर्पट और कोचिंग इंस्टीट्यूट भी छात्रों के समर्थन में उतरे हैं। सोशल मीडिया पर आंदोलन के समर्थन में #BPSCExamScam, #BPSCNormalization ट्रेंड कर रहे हैं।

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पप्पू-तेजस्वी ने किया छात्रों का समर्थन?

राज्य के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि अगर किसी के पास (अनियमितताओं के) सुबूत हैं तो सरकार परीक्षा रद्द करने का निर्णय तुरंत ले लेगी। वहीं निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने मांग की है कि इस मामले की जांच हाईकोर्ट की बेंच से कराई जाए। 21 दिसंबर को आंदोलन में तेजस्वी यादव की एंट्री हुई। उन्होंने पहले धरने पर बैठे अभ्यर्थियों से वीडियो कॉल पर बात की। इसके बाद 21 दिसंबर की रात को गर्दनीबाग धरना स्थल पहुंचे। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की कि धरना खत्म कराएं।

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