BPSC: छात्र आंदोलन को हवा देने वाले तेजस्वी यादव ने क्यों बनाई दूरी, विपक्ष को क्या है डर?
BPSC : बिहार में बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन ने 3 जनवरी को राज्य के कई हिस्सों में सड़क और रेल मार्ग को जाम कर दिया। वहीं, 4 जनवरी को उन्हीं सेंटरों पर परीक्षा के लिए आयोग ने दोबारा एडमिट कार्ड जारी कर दिया है। यह आंदोलन कई राजनीतिक पहलुओं से भी जुड़ा नजर आ रहा है। प्रमुख रूप से दो नेता पप्पू यादव और प्रशांत किशोर छात्रों के इस आंदोलन के साथ खड़े दिखाई दिए। एक तरफ जहां पप्पू यादव ने 3 जनवरी को सड़क और रेल जाम का आह्वान किया तो वहीं प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी को अनशन पर बैठकर अपनी सक्रियता दर्ज कराई और छात्रों का साथ देने की बात कही।
सरकार ने कुम्हरार सेंटर के विफल परीक्षा को लेकर Re-exam का निर्णय लिया है। इस फैसले से अधिकांश छात्र संतुष्ट नजर आ रहे हैं और परीक्षा में शामिल होने के लिए जा रहे हैं लेकिन छात्र संगठनों और नेताओं के बीच आंदोलन को लेकर प्रतिस्पर्धा भी दिखी।
राजनीतिक हस्तक्षेप
तेजस्वी यादव ने शुरुआती दिनों में छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए तेजी से माहौल बनाने का काम किया। शकील अहमद खान (कांग्रेस) और महबूब आलम (लेफ्ट) ने आंदोलन के अंत में अपनी सक्रियता दिखानी जरूरी समझी। हालांकि विपक्ष इस आंदोलन से दूरी बनाता दिखाई दिया क्योंकि मौजूदा समय में बिहार की राजनीति संक्रमण काल में है। नीतीश कुमार को नाराज करने से बचने की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, क्योंकि आगामी चुनाव समीकरणों पर इसका असर पड़ सकता है।
आंदोलन का असर
सरकार का Re-exam का फैसला अधिकांश छात्रों को संतोषजनक लगा, लेकिन यह आंदोलन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए मंच बन गया। पप्पू यादव और प्रशांत किशोर, दोनों ने अपने-अपने तरीके से छात्रों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की। छात्रों की नराजगी के बाद भी प्रशांत किशोर उनके साथ खड़े रहे। आमरण अनशन पर बैठे रहे। प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी से जुड़े नेताओं पर केस भी दर्ज हुआ।
इतना ही नहीं, प्रशांत किशोर ने पटना एसपी को कोर्ट में घसीटने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि छात्रों की गलती क्या थी कि उनपर लाठीचार्ज किया गया। हम पर केस दर्ज हुआ है, हम भी इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे। हालांकि इस पूरे आंदोलन से विपक्ष दूरी बनाता दिखाई दिया।
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हालांकि अभी तक आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, प्रशांत किशोर का अनशन अभी भी चल रहा है। मांग की जा रही है कि पूरी परीक्षा को रद्द कर फिर से पूरे बिहार में परीक्षा आयोजित की जाए। हालांकि आज जो परीक्षा आयोजित की गई है, उसमें शामिल होने के लिए छात्र पहुंच रहे हैं। अब सवाल उठता है कि यह आंदोलन छात्रों के भविष्य को कितना प्रभावित करेगा और क्या यह वास्तव में उन्हें न्याय दिला पाएगा, या फिर यह केवल राजनीतिक मंचन बनकर रह जाएगा? अगले कुछ दिनों में छात्रों की भागीदारी और परीक्षा प्रक्रिया ही इस आंदोलन का वास्तविक परिणाम तय करेगी।
बिहार लोक सेवा आयोग शनिवार को 70वीं पीटी परीक्षा ले रहा है। यह 13 दिसंबर को बापू परीक्षा परिसर में ली गई थी लेकिन गड़बड़ी होने के कारण इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। करीब 12 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होने वाले हैं। पटना में ही यह परीक्षा ली जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से 22 सेंटर बनाये गये हैं।