Gaya Lok Sabha Chunav: बिहार की इस सीट से कौन जाएगा संसद? मांझी या सर्वजीत में टक्कर? देखें जातीय समीकरण
Gaya Lok Sabha Seat (सौरभ कुमार) : देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी जमीन बिछ गई है। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है। बिहार की राजनीति में मोक्ष नगरी गया लोकसभा सीट का महत्वपूर्ण स्थान है। इस बार एनडीए की ओर से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और इंडिया गठबंधन की ओर कुमार सर्वजीत आमने-सामने हैं। दोनों नेताओं ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। आइए जानते हैं कि किसके सिर पर सजेगा गया का ताज? गया सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी।
तीन बार चुनाव हार चुके हैं मांझी
हम के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी गया सीट से तीन बार 1991, 2014 और 2019 में हार का स्वाद चख चुके हैं। एक बार फिर वे भाग्य आजमाने के लिए चुनावी मैदान में हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बोधगया के विधायक और पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत को उम्मीदवार बनाया है। वे महागठबंधन की सरकार में कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। अबकी बार लड़ाई आमने सामने की है। एक तरफ युवा जोश कुमार सर्वजीत हैं तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी हैं, जिनके पास राजनीति का लंबा अनुभव है।
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6 विधानसभा सीटों में से 3 पर एनडीए और 3 पर इंडिया का कब्जा
बिहार के मगध इलाकों में से एक गया लोकसभा के क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें शेरघाटी, बोधगया, बाराचट्टी, गया टाउन, बेलागंज और वजीरगंज आती हैं। इनमें में तीन पर एनडीए और तीन पर महागठबंधन का कब्जा है। इस लिहाज से भी मुकाबला आमने सामने का है और जोरदार होने वाला है। लोकसभा चुनाव में जीतनराम मांझी का साथ उनके बेटे संतोष मांझी दे रहे हैं, जो बिहार सरकार में मंत्री भी हैं। एक तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गया टाउन के 8 बार से विधायक प्रेम कुमार हैं तो दूसरी तरफ राजद के विधायक सुरेंद्र यादव हैं, दोनों नेता अपने-अपने उम्मीदवार की जीत के दावे कर रहे हैं।
गया पर मांझी उम्मीदवारों का रहा दबदबा
गया सीट पर पिछले 25 साल से मांझी उम्मीदवारों का कब्जा रहा है। 1999 से अब तक तीन दलों भाजपा, राजद और जेडीयू के मांझी उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की है। 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी, 2009 और 2014 में भाजपा के हरि मांझी और 2019 में जेडीयू के विजय मांझी ने जीत हासिल की थी। एनडीए की तरफ से मांझी के नामांकन में प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, चिराग पासवान और श्रवण कुमार मौजूद थे तो वहीं महागठबंधन से सर्वजीत के नामांकन में अब्दुलबारी सिद्दीकी और श्याम रजक उपस्थित रहे।
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जानें क्या है जातीय समीकरण
फल्गु नदी के तट पर बसा गया कई छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा है। इसे मोक्ष और ज्ञान की भूमि भी कहा जाता है, क्योंकि फल्गु में तर्पण-अर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बोधगया वह भूमि है, जहां ज्ञान पाकर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बने। यहां बड़े-बड़े कारखाने नहीं हैं। यहां की पटवा टोली में बुनकरों की बड़ी तादाद है, जहां कपड़े तैयार किए जाते हैं। गया आरक्षित सीट है। इस लोकसभा सीट में महादलितों के साथ सभी जाति के लोग रहते हैं। इस लोकसभा में चंद्रवंशी, राजपूत, कायस्थ, भूमिहार, कोयरी, कुर्मी, यादव सहित कई जाति के लोग रहते हैं।