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महाराष्ट्र में सीएम बदलने का बिहार पर कितना असर, 2025 में नीतीश कुमार का क्या होगा?

Bihar News: महाराष्ट्र में 23 नवंबर को नतीजे आने के बाद ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई थी कि बीजेपी का सीएम बनेगा। हुआ भी ऐसा, फैसले के बाद अब बिहार में जेडीयू अलर्ट मोड पर आ चुकी है। महाराष्ट्र में कुर्सी की अदला-बदली का बिहार में कितना असर होगा, विस्तार से जानते हैं?
08:38 PM Dec 07, 2024 IST | Parmod chaudhary
नीतीश कुमार, देवेंद्र फडणवीस।
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Bihar Politics: महाराष्ट्र में सीएम बदलने के बाद अब बिहार की राजनीति में भी हलचल है। जदयू इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं बीजेपी उसके साथ शिवसेना (शिंदे) जैसा खेल न कर दे। 2025 का चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ने के आश्वासन के बाद भी JDU अलर्ट मोड पर आ गई है। पार्टी का मानना है कि बीजेपी को राज्यों में जनता का समर्थन मिल रहा है। लेकिन बिहार में NDA की सफलता के लिए नीतीश कुमार का आधार दरकिनार नहीं किया जा सकता। आश्वासन के बाद अगर बीजेपी बहुमत के करीब सीटें ले गई तो जेडीयू के साथ खेल हो सकता है। बिहार में कुल 243 सीटें हैं। विधानसभा में जादुई आंकड़ा 122 है। अगर बीजेपी को इसके आसपास सीटें मिल गईं तो 'महाराष्ट्र' जैसा प्रयोग दोहराया जा सकता है। इसको लेकर जेडीयू चिंतित है।

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एकनाथ शिंदे ने 'बिहार गठबंधन' मॉडल की तर्ज पर सीटें बांटने का सुझाव रखा था। लेकिन बीजेपी नहीं मानी। यानी शिंदे कम सीटें आने के बाद भी बिहार में नीतीश कुमार की तरह सीएम बनना चाह रहे थे। उनको सत्ता में वापसी की उम्मीद थी। लेकिन सीएम की कुर्सी मिली देवेंद्र फडणवीस को। 2020 के चुनाव में बीजेपी को 74 सीटें मिली थीं। वहीं, जेडीयू को 31 सीटें कम 43 ही मिली थीं। इसके बाद भी नीतीश सीएम बने। एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि नीतीश को सीएम पद का लालच नहीं है। पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण नीतीश ने सीएम बनने से इनकार किया था। लेकिन भूपेंद्र यादव, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा के दबाव के कारण वे मान गए थे।

जेडीयू और शिवसेना में अंतर

एक अन्य नेता मानते हैं कि महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद उनकी पार्टी अस्थिरता का अनुभव कर रही है। शिंदे के पास विकल्प नहीं थे। शिवसेना के दोनों गुटों की छवि हिंदूवादी है। लेकिन बिहार का मैटर अलग है। जेडीयू का सामाजिक आधार शिवसेना से बेहतर है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 16.5 फीसदी रहा था। बिहार में NDA को 40 में से 30 सीटें मिलीं। जेडीयू प्रवक्ता नीरज मानते हैं कि नीतीश कुमार की राजनीतिक ताकत का अहसास एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों को है।

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हाल ही में गोमांस पर बैन को लेकर असम की बीजेपी सरकार ने आदेश जारी किए हैं। जेडीयू आदेशों से खुद को अलग कर चुकी है। पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद के अनुसार संविधान व्यक्तियों को अपना भोजन चुनने का अधिकार देता है, लेकिन ऐसे फैसलों से तनाव बढ़ता है। सूत्रों के मुताबिक बिहार में नीतीश कुमार को कम नहीं आंका जा सकता। बिहार में उनकी वोटरों पर सीधी पकड़ है। अगर नतीजे एनडीए के पक्ष में रहे तो बीजेपी के लिए सीएम बदलने का फैसला लेना आसान नहीं होगा। NBT की रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषक एनके चौधरी मानते हैं कि बीजेपी के पास बिहार में नीतीश कुमार के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

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Tags :
Bihar CM Nitish Kumarbihar politics news
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