'मुझे हमेशा लगता था वो जिंदा है...', सालों बाद घर से भागे बेटे को देख फूट-फूट कर रोई मां
Mother Cried After Seeing Her Son After 16 Years: आजकल के डिजिटल जमाने में जहां आए दिन सोशल मीडिया के जरिए धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं, वहीं इस बीच कुछ अच्छे किस्से भी सामने आते हैं। ऐसा ही एक किस्सा बिहार के पश्चिम चंपारण से सामने आया है। यहां एक युवक फेसबुक के जरिए 16 साल बाद परिवार से मिल पाया। वहीं, सालों बाद खोए बेटे को सामने देख परिवार की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। युवक को देखने के लिए पंचायत के मुखिया राजकुमार सहनी और बीडीसी नीरज शर्मा समेत ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। युवक ने बताया कि वह 8 साल की उम्र में परिवार से नाराज होकर घर छोड़कर चला गया था। अब 16 साल बाद उसने फेसबुक के जरिए माता-पिता और परिवार से दोबारा मिल पाया है।
16 साल पहले घर से भागा
यह मामला पश्चिम चंपारण के पिपरासी प्रखंड के पिपरासी पंचायत के परसौनी गांव का है। परसौनी गांव के रहने वाले उमेश गिरी और नीतू देवी बुधवार की शाम तब फूट-फूट कर रोने लगे, जब उन्होंने सामने 16 साल पहले गायब हुए अपने बेटे मनीष गिरी को जिंदा खड़ा देखा। उमेश गिरी और नीतू देवी की आंखों से गिरे ये आंसू खुशी के आंसू थे। बेटे को सामने देख माता-पिता सबसे पहले उसे गले लगाया और भगवान का शुक्रिया अदा किया कि उनका बेटा घर वापस आ गया।
जीत गया मां का विश्वास
मनीष गिरी की मां नीतू देवी ने बताया कि उसे हमेशा लगता था कि उसका बेटा कहीं न कहीं जिंदा है। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सोशल मीडिया ने बिछड़े परिवार को एक साथ मिला दिया। इस मौके पर मनीष गिरी ने बताया कि करीब एक महीने पहले उसने अपने फेसबुक फीड पर पंचायत की मुखिया और बीडीसी को देखा। इसी पर जब उसने आगे सर्च किया तो अंदेशा हुआ कि शायद ये मुखिया उसके गांव के हो सकते हैं। इसके बाद उसने फेसबुक के जरिए अपने यहां के जनप्रतिनिधियों का नंबर लिया। इनसे बात करते हुए उसने अपने पिता के बारे में जानकारी ली। जब उसे पता लगा कि उसके माता-पिता अभी भी जिंदा हैं, तो उसने घर वापस आने का सोचा। इसके बाद वह जनप्रतिनिधियों के नंबर से पता लेकर अपने घर पहुंच गया।
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8 साल की उम्र में छोड़ा था घर
वहीं इस मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों ने बताया कि युवक मनीष गिरी 8 साल की उम्र में 2008 में घर से नाराज होकर भाग गया था। उसके भाग जाने के बाद उसकी माता नीतू देवी और पिता उमेश गिरी ने काफी खोजबीन की, लेकिन वह नहीं मिला। हार थक कर परिजनों को यह लगा कि शायद उसकी मौत तो कहीं हो गई है। वहीं युवक ने बताया कि घर से नाराज होकर वह ट्रेन से किसी तरह बैंगलोर चला गया। वहां पर वह इधर-उधर घूमते हुए किसी तरह पेट भरता था। वह बाद में बिल्डिंग करने वालों के साथ लेबर का काम करते-करते बिल्डिंग का मिस्त्री हो गया। उसे केवल अपने पंचायत और पिता का नाम याद था, लेकिन वह कैसे घर जाए, किस जिले में है, यह सब मालूम नहीं था। घर से भागने वाला 8 साल का लड़का आज 24 साल का हो गया है।