बिहार में कहां-कहां टूटा तटबंध, तबाही की कगार पर 16 जिले, अगले 48 घंटे अहम
Bihar Flood News: नेपाल में हुई तूफानी बारिश ने बिहार को संकट में धकेल दिया है। कोसी और उसकी सहायक नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। नतीजा ये हुआ है कि राज्य में कई जगहों पर तटबंध टूट गए हैं। तटबंध टूटने से कई इलाकों के गांवों में पानी भर गया है। लोग सड़कों पर रात बिताने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवहर और दरभंगा सहित बिहार के 4 जिलों में 6 जगहों पर कोसी, गंडक और बागमती के तटबंध टूट गए हैं। पश्चिम चंपारण के बगहा में चखनी रजवटिया और अगस्तिया के बीच गंडक का तटबंध 40 फीट में टूट गया। वहीं सीतामढ़ी के बेलसंड और रून्नीसैदपुर तथा शिवहर के तरियानी छपरा में बागमती का तटबंध चार जगहों पर टूट गया है।
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— Sumit Kumar (@skphotography68) September 29, 2024
बेलसंड में 100 फीट, रून्नीसैदपुर के तिलक ताजपुर और खरहुआ में 10 फीट में तटबंध टूटा है। तटबंधों के टूटने से दर्जनों गांवों में पानी फैल गया है। अस्पताल और सरकारी कार्यालयों में तीन से चार फीट पानी बह रहा है। दरभंगा के किरतपुर में रविवार को देर रात 15 फीट में तटबंध टूट गया। अचानक आई इस आपदा से उत्तर बिहार में हाहाकार की स्थिति है।
कोसी का पानी तटबंध के भीतर बसे गांवों में तेजी से फैल रहा है। सुपौल, सहरसा की करीब साढ़े पांच लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिम चंपारण, दरभंगा और मधुबनी में बाढ़ से ज्यादा तबाही मची है।
दरभंगा के किरतपुर में तटबंध टूटा
बिहार के अलग अलग जिलों में दर्जन भर के करीब तटबंधों में या तो रिसाव हो रहा है या फिर तटबंध का हिस्सा टूट गया है। सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर में बागमती और गंडक नदी से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।
बिहार में 13 नदियां लाल निशान के ऊपर बह रही हैं। कुल 16 जिलों की करीब 4.10 लाख आबादी पानी से घिर गई है। ज्यादातर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। अगले 24 से 48 घंटे में पानी का बहाव और तेज होने की आशंका है।
बिहार बाढ़ से जूझ रहा है , हजारों लोग आज बेघर हो रहे हैं । ये बहुत ही दुखद घटना है 🥹💔#Bihar #Bihar_Flood #BiharFlood #PrayForBihar #MondayMotivation #GrowGreen #SelflessServices #DeputyCM #RituRathee #छतरी_वही_बनाएंगे pic.twitter.com/Ig9XOUCY5D
— Vandana Sonkar (@Vndnason) September 30, 2024
बिहार के जल संसाधन विभाग के मुताबिक रविवार को कोसी और गंडक के अलावा गंगा, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, ललबकिया, परमान और पश्चिम कनकई नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं।
तटबंधों के टूटने से खतरा क्यों
कोसी, कमला, गंडक और बागमती का चरित्र है कि बाढ़ का पानी कम होने पर कटाव तेज होता है। उतरता पानी तटबंधों से टकराकर उसे कमजोर कर देता है और गांव के गांव बाढ़ में समा जाते हैं। कोसी में 56 साल बाद जबकि गंडक में 21 साल बाद इतना पानी आया है। कोसी में 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक पानी आया था, जबकि 2024 में रविवार सुबह तक 6.61 लाख क्यूसेक पानी का आंकड़ा पार हो गया है। गंडक नदी में शनिवार की रात 10 बजे तक 5.62 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया गया था।
हालांकि नेपाल में बारिश की रफ्तार कम होने से थोड़ी राहत की उम्मीद बंधी है। बिहार के लिए अगले 48 घंटे काफी अहम हैं, लेकिन प्रभावितों की जिंदगी की रफ्तार थम गई है।