बिहार की सियासत पलटी खाने वाली है? ये इवेंट्स दे रहे हैं संकेत, समझिए पूरा खेल

Bihar News: अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में कोटे में कोटा तय करने को लेकर अपना फैसला सुनाया। आरजेडी सहित तमाम पार्टियों ने इसका विरोध किया। बीजेपी के लिए दिल्ली की सत्ता में बने रहने के लिए जितनी नीतीश कुमार की जरूरत है, उतनी ही चिराग पासवान की भी जरूरत है।

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बिहार की राजनीति में चिराग, तेजस्वी और नीतीश पर सबकी निगाहें हैं।

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Bihar News: बिहार की राजनीति में अगस्त ने बहुत उठापटक देखी और सितंबर की बारी है। महीने की पहली तारीख को ही सीएम नीतीश कुमार के खासमखास केसी त्यागी ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया। वैसे तो जानकार बता रहे हैं कि केसी त्यागी के इस्तीफे के पीछे तमाम मुद्दों पर पार्टी से अलग राय रखना, एक वजह है, लेकिन केसी त्यागी ने इसके लिए निजी कारणों का हवाला दिया है।

केसी त्यागी और नीतीश कुमार के रिश्ते को देखें तो ये इस्तीफा सामान्य नहीं है। इसका असर देर से समझ आएगा, लेकिन पिछले तीन महीनों में बिहार में ऐसा बहुत कुछ घटा है, जो बता रहा है कि बिहार की सियासत में अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा है। आइए बिहार की सियासत के मुख्य खिलाड़ियों के जरिए समझते हैं कि आखिर चल क्या रहा है।

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नीतीश कुमार

बजट सत्र के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के लिए कई प्रोजेक्ट्स का ऐलान किया तो नीतीश कुमार ने खुलकर इसकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला तो प्रोजेक्ट्स के जरिए पैसा दिया जा रहा है।

नीतीश कुमार की पार्टी ने संसद में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ बोर्ड विधेयक का समर्थन किया। इसके बाद अगस्त महीने की नौ तारीख को नीतीश कुमार के बेहद करीबी और राज्य सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की। चौधरी की बेटी शुभांगी चौधरी, चिराग की पार्टी से लोजपा रामविलास की सांसद हैं।

अगस्त के दूसरे पखवाड़े में नीतीश कुमार के निर्देश पर संगठन में बड़े फेरबदल किए गए। प्रभारियों की नियुक्ति हुई और प्रदेश कमेटी का पुनर्गठन किया गया। महीने के अंत में अशोक चौधरी एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जहानाबाद पहुंचे और यहां भूमिहार समुदाय पर सीधे हमला बोला और कहा कि भूमिहार समाज ने लोकसभा चुनाव में जेडीयू को वोट नहीं दिया।

चौधरी के इस बयान से जेडीयू में दो फाड़ की स्थिति बन गई। पार्टी के नेता खुलकर अशोक चौधरी की मुखालफत करने लगे। 1 सितंबर को केसी त्यागी ने जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। अब निगाहें नीतीश कुमार पर हैं।

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चिराग पासवान

रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान एनडीए का हिस्सा हैं और उनके पास पांच सांसद हैं। बीजेपी के लिए दिल्ली की सत्ता में बने रहने के लिए जितनी नीतीश कुमार की जरूरत है, उतनी ही चिराग पासवान की भी जरूरत है। लेकिन चिराग पासवान लगातार कई मुद्दों पर बीजेपी का विरोध कर रहे हैं।

चिराग पासवान ने तो एक इंटरव्यू में राहुल गांधी की खुलकर तारीफ कर दी और कहा कि नेता विपक्ष एक दूरदर्शी नेता हैं। चिराग पासवान ने लेटरल एंट्री, कोटे में कोटा और वक्फ बोर्ड विधेयक पर बीजेपी का खुलकर विरोध किया है। चिराग ने जाति जनगणना का भी समर्थन किया है।
चिराग के विरोध से बीजेपी असहज है। ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह ने चिराग के चाचा पशुपति पारस से दिल्ली में अगस्त के आखिर में मुलाकात की और उन्हें एनडीए का हिस्सा बताया। जीतन राम मांझी ने भी पशुपति पारस के एनडीए का हिस्सा होने की बात कही।

पारस से अमित शाह की मुलाकात के बाद चिराग पासवान में बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की और दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की। चिराग की यह मुलाकात दिल्ली में पारस से शाह की मुलाकात के बाद हुई। और अगले दिन ही दिन चिराग ने खुलकर राहुल गांधी की तारीफ कर दी। चिराग के स्टैंड से मोदी सत्ता असहज है और पशुपति पारस से अमित शाह की मुलाकात इसकी पुष्टि करती है।

तेजस्वी यादव

2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने अपने दम पर बिहार में पीएम मोदी, नीतीश कुमार और चिराग पासवान को बैकफुट पर धकेल दिया था। आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। फिर 2024 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार, आरजेडी के साथ आए तो तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने।

बिहार में जातीय और आर्थिक जनगणना कराई गई। नीतीश कुमार ने ऐलान किया कि आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा। उन्होंने ऐसा किया भी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी। 2024 चुनाव से चंद महीने पहले नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी में चले गए।

अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में कोटे में कोटा तय करने को लेकर अपना फैसला सुनाया। आरजेडी सहित तमाम पार्टियों ने इसका विरोध किया। कोर्ट के फैसले के विरुद्ध तमाम सामाजिक संगठनों ने भारत बंद बुलाया, जिसे आरजेडी ने समर्थन दिया।

तेजस्वी ने बिहार में आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत बढ़ाए जाने के फैसले पर हाईकोर्ट की रोक को नीतीश कुमार की असफलता बताते हुए बिहार सरकार को लगातार निशाने पर रखा है। आरजेडी ने 1 सितंबर को आरक्षण के मुद्दे पर बिहार के हर जिले में प्रदर्शन किया। तेजस्वी का कहना है कि वह आरक्षण को नौंवी अनुसूची में शामिल कराने के लिए दिल्ली तक आंदोलन करेंगे।

 

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