Apple ने दी महिला कर्मचारियों को कम सैलरी, दो एम्प्लॉई ने किया केस
Two Woman Employee Of Apple Sued Company : दुनियाभर में सैलरी देने के मामले में एप्पल समेत गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि जैसी विदेशी कंपनियों को सबसे आगे माना जाता है। वहीं इन कंपनियों में महिला कर्मचारियों काे भी अच्छी खासी सैलरी दी जाती है। लेकिन दुनिया की काफी महिलाओं का मानना है कि आज भी उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलता है, जबकि काम और पद दोनों का एक जैसा होता है। ऐसे ही मामले में दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार एप्पल कानूनी पचड़े में फंस गई है। कंपनी के कैलिफोर्निया स्थित ऑफिस में काम करने वाली दो महिला कर्मचारियों ने यह कहकर कंपनी पर केस दर्ज कर दिया है कि उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम सैलरी दी जा रही है।
जानें- क्या है मामला
कंपनी पर आरोप है कि वह 12 हजार से ज्यादा महिला कर्मचारियों को साथी पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले कम सैलरी दे रही है। यह तब है जब महिलाएं और पुरुष समान पदों पर हैं। कंपनी पर जिन दो महिला कर्मचारियों ने केस किया है, उनका दावा है कि एप्पल अपने इंजीनियरिंग, मार्केटिंग और एप्पलकेयर डिपार्टमेंट में साथी पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले महिला कर्मचारियों को कम सैलरी दे रही है।
कम सैलरी को लेकर एप्पल पर महिला कर्मचारियों के किया केस।
केस में किया है इन बातों का जिक्र
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक एप्पल पर किए गए केस में लिखा है कि कंपनी महिला कर्मचारियों को जो सैलरी देती है, उसमें बेसिक हिस्सा पिछली कंपनी जितना होता है। ऐसे में महिला कर्मचारियों की शुरुआती सैलरी ही कम हो जाती है जो आगे तक पुरुषों के मुकाबले कम ही रहती है। यही नहीं, केस में यह भी दावा किया गया है कि महिलाओं के लिए कंपनी का सैलरी बढ़ाने या बोनस देने का जो तरीका है, वह सही नहीं है।
कंपनी ने कहा- सैलरी देने में हमारी पॉलिसी फेयर
केस दायर होने पर एप्पल कंपनी का भी बयान सामने आया है। कंपनी का कहना है कि वह समान वेतन और निष्पक्षता के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी का कहना है कि उसने साल 2017 से महिला और पुरुषों को समान वेतन देना सुनिश्चित किया है। हालांकि केस में जो बातें लिखी हैं, वह कंपनी के दावों के बिल्कुल उलट हैं।
राज्य में बैन है कर्मचारी से पिछली सैलरी पूछना
सैलरी के मामले में अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में काफी सख्त नियम हैं। यहां साल 2018 से एक नियम है कि कोई भी कंपनी कर्मचारियों की पिछली कंपनी की सैलरी नहीं पूछ सकती। इस कानून का उद्देश्य लिंग और नस्ल के आधार पर वेतन के अंतर को रोकना है।
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