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'रिस्की' बोतलबंद पानी बिगाड़ेगा कंपनियों की आर्थिक सेहत, आपकी जेब भी हो सकती है ढीली!

Packaged Drinking Water: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा बोतल बंद पानी को हाई रिस्क फूड कैटेगरी में डाला गया है। FSSAI के इस निर्णय का असर आने वाले समय में पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वॉटर की डिमांड पर देखने को मिल सकता है।
11:43 AM Dec 04, 2024 IST | News24 हिंदी
 रिस्की  बोतलबंद पानी बिगाड़ेगा कंपनियों की आर्थिक सेहत  आपकी जेब भी हो सकती है ढीली

Packaged Drinking Water: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक कदम ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वॉटर (Packaged Drinking & Mineral Water) से जुड़ी कंपनियों की टेंशन बढ़ा दी है। FSSAI ने बोतलबंद पानी को हाई रिस्क कैटेगरी में डाला है। अब कंपनियों के लिए यह बिजनेस करना पहले जितना आसान नहीं रहेगा। उनके उत्पाद अब अनिवार्य निरीक्षण और थर्ड पार्टी ऑडिट के अधीन होंगे। इसके अलावा भी कंपनियों को कई तरह के काम करने होंगे।

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डिमांड में आ सकती है कमी

पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वॉटर की शुद्धता को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद इनकी डिमांड बनी हुई है। होटलों में बड़े पैमाने पर इतनी सप्लाई होती है। रेस्टोरेंट आदि में भी लोग बोतलबंद पानी को तवज्जो देते हैं। लेकिन अब जब FSSAI ने इसे हाई रिस्क फूड कैटेगरी में डाल दिया है, तो डिमांड में कमी देखने को मिल सकती है। FSSAI एक सरकारी संस्था है और इसकी बातों को लोग गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में बोतलबंद पानी के कारोबार से जुड़ी कंपनियों को आने वाले समय में मांग में कमी का सामना करना पड़ सकता है।

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एक पल में गायब हुई खुशी

बोतलबंद पानी और मिनरल वॉटर बनाने वाली कंपनियों को पहले भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के लाइसेंस के साथ-साथ भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का सर्टिफिकेट भी लेना होता था, लेकिन इसी साल अक्तूबर में सरकार ने BIS के सर्टिफिकेट वाली अनिवार्यता को खत्म कर दिया। कंपनियां सरकार के इस फैसले से खुश थीं, मगर अब उनकी खुशी एकदम से गायब हो गई है। FSSAI के नए नियमों के अनुसार अब सभी पैकेज्ड और मिनरल वॉटर कंपनियों को FSSAI द्वारा मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी एजेंसियों से सालाना ऑडिट कराना होगा।

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कीमतों में इजाफा संभव

FSSAI के नए नियमों से पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वॉटर कंपनियों की लागत बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, अगर आशंका के अनुसार मांग में कमी आती है, तो उन्हें दोहरा नुकसान उठाना होगा। लिहाजा, यह भी संभव है कि कंपनियां कीमतों में इजाफा कर दें। आमतौर पर जब कंपनियों की लागत बढ़ती है तो वो प्रोडक्ट महंगा करने की रणनीति ही अपनाती हैं। बीते कुछ समय में बोतलबंद पानी का बाजार काफी बड़ा हुआ है। इस वजह से कई कंपनियां इस सेक्टर में मौजूद हैं।

कितना बड़ा है बाजार

देश में पैकेज्ड वॉटर का मार्केट करीब 20,000 करोड़ रुपए का है। कुछ वक्त पहले तक इस बाजार में बिसलेरी की हिस्सेदारी 32% थी। 122 ऑपरेशनल प्लांट, 4500 डिस्ट्रीब्यूटर और करीब 5000 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रक के जरिये कंपनी एक बहुत मजबूत स्थिति में है। टाटा समूह भी इस सेक्टर में है। समूह Himalayan नेचुरल मिनरल वॉटर ब्रांड के नाम से बोतलबंद पानी बेचता है। पेप्सी और कोका कोला इस मार्केट की दिग्गज खिलाड़ी हैं। इनके अलावा, कई छोटी कंपनियां भी मौजूद हैं। बीते साल खबर आई थी कि बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) कंपनी बेच रहे हैं और टाटा इस डील को फाइनल करने वाली है। हालांकि, बात आगे नहीं बढ़ सकी।

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