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हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले जान लें...बदल गए हैं आपकी जरूरत से जुड़े ये 5 नियम

Health Insurance New Rules : अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस लेने का प्लान बना रहे हैं तो पहले नए नियमों को जान लें। हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कुछ नियमों में हाल ही में बदलाव हुआ है। ये बदलाव ग्राहक फायदे से जुड़े हैं। इनमें अप्रूवल से लेकर कैशलेस इलाज तक की सुविधा शामिल हैं। जानें, किन नियमों में बदलाव हुआ है:
01:30 PM Jul 01, 2024 IST | Rajesh Bharti
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले जान लें   बदल गए हैं आपकी जरूरत से जुड़े ये 5 नियम
हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कई नियम बदल गए हैं।

Health Insurance New Rules : हर शख्स को खुद और परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी इंश्योरेंस में से एक है। अस्पताल में भर्ती होने पर अस्पताल के बिल से काफी राहत मिलती है। अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस लेने का प्लान बना रहे हैं तो पहले नए नियम जान लें। दरअसल, पिछले कुछ महीनों में हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े कुछ नियम बदल गए हैं। ये नियम ग्राहक की सुविधा के जुड़े हुए हैं। इनमें क्लेम करने से लेकर प्रीमियम की रकम तक शामिल है।

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1. किसी भी अस्पताल में कैशलेस इलाज

अब आप किसी भी अस्पताल में कैशलेस इलाज करवा सकते हैं। इससे पहले था कि कैशलेस की सुविधा उसी अस्पताल में मिलती थी, जो इंश्योरेंस जारी करने वाली कंपनी के नेटवर्क में होता था। ऐसे में इंश्योरेंस होने के बावजूद काफी लोग कैशलेस इलाज की सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते थे। उन्हें बाद में रीइम्बर्स कराना होता था। अब ऐसा नहीं होगा। इंश्योरेंस जारी करने वाली कंपनी को अस्पताल का भुगतान करना होगा।

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नए नियमों के मुताबिक अब एक घंटे में मिलेगा अप्रूवल।

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2. एक घंटे में मिलेगा अप्रूवल

अब इंश्योरेंस कंपनी अप्रूवल के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करवा पाएंगी। अस्पताल से अप्रूवल की रिक्वेस्ट मिलने के एक घंटे के अंदर कंपनियों को अप्रूवल देना होगा। पहले अप्रूवल मिलने में 2-3 दिन तक का समय लग जाता था। वहीं मरीज के डिस्चार्ज होने की स्थिति में अस्पताल से रिक्वेस्ट मिलने के 3 घंटे के अंदर अप्रूवल देना होगा।

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3. कम हुआ वेटिंग पीरियड

अगर किसी शख्स को पहले से कोई बीमारी है या सर्जरी हुई है तो उस बीमारी से जुड़े इलाज के लिए वेटिंग पीरियड कम कर दिया गया है। ऐसी बीमारियां प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी कहलाती है। इसमें शुगर, बीपी आदि शामिल शामिल होते हैं। इसमें वेटिंग पीरियड को 4 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है।

4. मोरेटोरियम पीरियड में हुई कटौती

नए नियमों में मोरेटोरियम पीरियड में भी कटौती हो गई है। अगर आपके पास कोई इंश्योरेंस है और 5 साल तक क्लेम नहीं किया है तो इसके बाद कस्टमर के इलाज में किसी भी प्रकार का किंतु-परंतु नहीं हो सकता। इंश्योरेंस कंपनी को हर हालत में क्लेम देना होगा। हालांकि अगर कोई कस्टमर फ्रॉड करता है तो ऐसे में कोई छूट नहीं मिलेगी। पहले मोरेटोरियम पीरियड 8 साल का होता था। अब 5 साल का कर दिया गया है।

5. एक से ज्यादा इंश्योरेंस का एक ही अस्पताल में क्लेम

अगर किसी कस्टमर के पास एक से ज्यादा कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस हैं तो वह एक बार में इलाज के लिए इनका इस्तेमाल कर सकता है। मान लीजिए, किसी शख्स के पास A और B नाम की दो कंपनियों के अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस हैं। पहला हेल्थ इंश्योरेंस 5 लाख रुपये का है और दूसरा 10 लाख रुपये। वह शख्स अस्पताल में भर्ती होता है और इलाज में 13 लाख रुपये का खर्च आता है। ऐसे में वह दोनों कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस से क्लेम कर सकता है। इसके लिए अस्पताल मना नहीं कर सकते।

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