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खुशखबरी! कारोबारी गतिविधियों ने पकड़ी रफ्तार, तीन महीने में आई सबसे ज्यादा तेजी

India's Business activity rose to 3 Months High: भारत की बिजनेस एक्टिविटी तीन महीने के उच्चतम स्तर पर है। नवंबर 2024 में PMI इंडेक्स 59.5 पहुंच गया है। सर्विस सेक्टर की परफॉर्मेंस शानदार देखने को मिली है।
03:59 PM Nov 24, 2024 IST | Sakshi Pandey
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India's Business activity rose to 3 Months High: वैश्विक उठा-पटक के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। इजराइल-हिजबुल्ला युद्ध और अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के कारण दुनिया भर में अस्थिरता का माहौल है। हालांकि भारत की कारोबारी गतिविधियां तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। ताजा आंकड़ों की मानें तो नवंबर में भारत की बिजनेस एक्टिविटी का PMI बढ़कर 59.5 हो गया है। S&P ग्लोबल ने HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) आउटपुट इंडेक्स अक्टूबर में 59.1 था, जो नवंबर में बढ़कर 59.5 हो गया है।

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सर्विस सेक्टर में बढ़ी नौकरियां

बता दें कि इस इंडेक्स में गुड्स और सर्विस को शामिल किया जाता है। इंडेक्स के अनुसार सर्विस और गुड्स ने बेहतर परफॉर्म किया है। उत्पादन और ऑर्डर में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं सर्विस सेक्टर में नौकरियों में इजाफा हुआ है। विनिर्माण उद्योग में वृद्धि कम रही, लेकिन सर्विस सेक्टर में काफी तेजी आई है।

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PMI के आंकड़े

नवंबर में HSBC फ्लैश इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI 57.3 रहा, जो अक्टूबर में 57.5 से थोड़ा ही कम है। तीसरी वित्तीय तिमाही के मध्य में नए ऑर्डर की वृद्धि जारी है। इसकी एक बड़ी वजह मांग का बने रहना है। लोगों की बढ़ती डिमांड के कारण ऑर्डर और उत्पादन भी अधिक हुआ है।

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कच्चे माल के दाम बढ़े

HSBC के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी का कहना है कि सर्विस सेक्टर में वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि विनिर्माण क्षेत्र ने अक्टूबर के आखिर में PMI रीडिंग थोड़ा सा कम हुआ है। हालांकि इसके बावजूद विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है। दिसंबर 2005 के बाद से सर्विस सेक्टर में नौकरियां अपने सबसे उच्चतम स्तर पर हैं। हालांकि विनिर्माण क्षेत्र पर भी रॉ मटेरियल के बढ़ते दाम का दबाव है। सर्विस सेक्टर में भी खाद्य और काम की लागत बढ़ रही है।

कॉस्ट प्रेशर ने बढ़ाई टेंशन

बता दें कि देश के प्राइवेट सेक्टर पर कॉस्ट प्रेशर का भार बढ़ रहा है। कई निर्माताओं ने इस पर टिप्पणी की है। उनका कहना है कि एल्युमीनियम, कपास, लेदर और रबड़ जैसे कच्चे माल की कीमतों में उछाल आया है, जिसका असर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी पड़ा है।

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