Indigo Vs Mahindra: क्या है '6E' विवाद और महिंद्रा के लिए कैसे खड़ी कर सकता है मुश्किलें?
Indigo Vs Mahindra 6E Dispute: महिंद्रा ने हाल ही में अपनी इलेक्ट्रिक कारें पेश करके पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndoGo) भी उससे आकर्षित हुई है, लेकिन उसका आकर्षण कुछ अलग है। दरअसल, इंडिगो को महिंद्रा द्वारा '6E' के इस्तेमाल पर आपत्ति है। महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल की नई इलेक्ट्रिक कार 'BE 6e' को उसने ट्रेडमार्क उल्लंघन माना है और मामला अदालत में पहुंच गया है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर '6E' कैसे दो दिग्गज कंपनियों के बीच विवाद की वजह बन गया है?
Indigo ने दिया ये तर्क
इंडिगो की पैरेंट कंपनी InterGlobe Aviation का आरोप है कि महिंद्रा ने ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है। कंपनी का तर्क है कि 6E इंडिगो एयरलाइन का फ्लाइट कोड है, ऐसे में महिंद्रा द्वारा अपनी इलेक्ट्रिक कार के नाम में इसके इस्तेमाल से कन्फ्यूजन उत्पन्न होगा। कंपनी का कहना है कि 6E मार्क पिछले कई सालों से इंडिगो की पहचान है और एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है। 6E इंडिगो द्वारा अपनी सेवाओं आदि के लिए व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए 6E का कोई भी अनधिकृत उपयोग, चाहे अपने मूल रूप में हो या किसी अन्य रूप में, इंडिगो के अधिकारों और प्रतिष्ठा के खिलाफ है। ऐसी स्थिति में कंपनी अपनी ब्रांड आइडेंटिटी की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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Mahindra का आया जवाब
दूसरी तरफ, महिंद्रा इंडिगो के तर्क से सहमत नहीं है। कंपनी का कहना है कि उसका ट्रेडमार्क ‘BE 6e’ है न कि ‘6E’। इसलिए इसे ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता। महिंद्रा के अनुसार, ‘BE 6e’ इंडिगो के फ्लाइट कोड ‘6E’ के मूल रूप से अलग है। ऐसे में किसी भी तरह के कन्फ्यूजन की कोई संभावना नहीं है। कंपनी ने 'BE 6e' नाम के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर दिया है। महिंद्रा का कहना है कि वो सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए इंडिगो के साथ बातचीत कर रही है और उसका इरादा कभी भी किसी तरह के उल्लंघन का नहीं रहा।
अब क्या होगा आगे?
इंडिगो ने इस पूरे मामले को अदालत के समक्ष उठाया है। दिल्ली हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी है। जानकारी के अनुसार, जस्टिस अमित बंसल को मामले की सुनवाई करनी थी, लेकिन उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया। अब 9 दिसंबर को इस पर सुनवाई होगी। हालांकि, दोनों कंपनियों ने आपसी सहमति से मामले को सुलझाने की कोशिश शुरू कर दी है। महिंद्रा चाहती है कि यह मामला अदालत के बाहर ही सुलझ जाए, ताकि उसके EV प्रोजेक्ट में देरी न हो।
ऐसे बढ़ सकती है परेशानी
महिंद्रा ने हाल ही में अपनी नई इलेक्ट्रिक कारों से पर्दा उठाया है। इन्हें देशभर के शोरूम्स में अगले साल फरवरी से देखा जा सकेगा। कंपनी की योजना महिंद्रा XEV 9e और BE 6e की डिलीवरी फरवरी के आखिरी या मार्च 2025 में करने की है। ऐसे में यदि अदालत में मामला लंबा खिंचता है, तो कंपनी कारों की डिलीवरी नहीं कर पाएगी। क्योंकि फैसला इंडिगो के पक्ष में जाने से उसे व्यापक बदलाव करने होंगे और इसमें खर्चा भी काफी हो सकता है। लिहाजा, महिंद्रा के लिए इस मामले का जल्द से जल्द सुलझना बेहद आवश्यक है।