वोडाफोन ने Indus Tower में हिस्सेदारी बेचकर जो कमाया, उससे इंडस की ही सेहत सुधरेगी, समझिए पूरा गणित
Indus Towers Block Deal: आमतौर पर जब किसी कंपनी के शेयर ब्लॉक डील के जरिए बड़े पैमाने पर बेचे जाते हैं, तो उनमें गिरावट की आशंका उत्पन्न हो जाती है। निवेशक कंपनी में पैसा लगाने को लेकर सतर्क हो जाते हैं और ब्रोकरेज की राय भी बदल जाती है। मोबाइल टावर कंपनी इंडस टावर्स (Indus Tower) के शेयरों में हाल ही में बड़ी ब्लॉक डील देखने को मिली। वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) की ब्रिटिश पैरेंट कंपनी वोडाफोन ने इंडस में अपनी तीन प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी।
अब कितनी है हिस्सेदारी?
इस ब्लॉक डील के बाद वोडाफोन की इंडस टावर्स में हिस्सेदारी अब एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। एक साथ इतने बड़े पैमाने पर शेयरों की बिक्री से इंडस टावर्स को बड़ा झटका लगना चाहिए था, लेकिन हुआ इसके एकदम उलट। यह डील आम निवेशकों के साथ-साथ ब्रोकरेज फर्म्स के रुझान को प्रभावित करने में नाकाम रही। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि कंपनी के शेयर आने वाले समय में अच्छा रिटर्न देंगे। अब सवाल उठता है कि आखिर कैसा क्यों?
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कर्ज के बोझ में कंपनी
दरअसल, वोडाफोन ने इंडस टावर्स के शेयर बेचकर जो पैसा कमाया है, वो लौट-घूमकर इंडस के पास ही आना है, इसलिए ब्लॉक डील से इंडस की आर्थिक सेहत ही मजबूत होगी। 5 दिसंबर को वोडाफोन ने ब्लॉक डील के जरिये इंडस टावर्स के 2,802 करोड़ रुपए के शेयर बेच दिए गए। उसने अपनी तीन प्रतिशत हिस्सेदारी 354 रुपए के औसत भाव पर बेचकर 2802 करोड़ रुपए कमाए। बता दें कि एक वोडा-आइडिया पर कर्ज का काफी बोझ है।
कहां निवेश होगा पैसा?
ब्रिटिश कंपनी वोडाग्रुप की तरफ से बताया गया है कि ब्लॉक डील से मिली रकम का कुछ हिस्सा यानी करीब 850 करोड़ रुपए वह अपना कर्ज चुकाने पर खर्च करेगी। जबकि शेष राशि वह अपने भारतीय वेंचर वोडाफोन आइडिया में बतौर इक्विटी निवेश करेगी। सरल शब्दों में कहें तो यह पैसा वोडाफोन आइडिया में डाला जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि वोडाफोन आइडिया के ऊपर इंडस टावर्स का भी काफी कर्जा है। ऐसे में कंपनी इस रकम का इस्तेमाल उस कर्ज को कम करने में करेगी। इस तरह, इंडस के शेयरों से मिला पैसा लौट घूमकर उसी के पास आने वाला है।
इतना पहुंच सकता है भाव
ऐसा नहीं है कि कंपनी पूरा का पूरा पैसा कर्जा चुकाने में लगा देगी, कुछ वह सेवाओं के विस्तार के लिए भी रखेगी लेकिन एक बड़ी राशि कर्ज चुकाने में जाएगी। यही वजह है कि ब्रोकरेज इंडस के शेयरों को लेकर बुलिश हैं। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म 'सिटी' की नज़र में यह इंडस टावर्स के लिए अच्छी खबर है। इस वजह से कंपनी के स्टॉक चढ़ सकते हैं। उसने कंपनी के शेयर के लिए 458 रुपए का टार्गेट प्राइस रखा है, जबकि फिलहाल यह 364.90 रुपए पर चल रहा है। यानी अच्छे-खासे रिटर्न की संभावना है।
एयरटेल का भी है स्टेक
इंडस टावर्स को कवर करने वाले 36 एनालिस्ट्स में से 12 ने इसे खरीदने की सलाह दी है। इंडस टावर्स दूरसंचार कंपनियों के लिए मोबाइल टावर प्रदान करती है। टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क विस्तार करने में लगी हैं, ऐसे में टावर की मांग में आगे भी इजाफे की संभावना है, जिससे इंडस का ऑर्डर फ्लो बढ़ सकता है। इस ब्लॉक डील से पहले वोडाफोन ने इंडस टावर्स में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर करीब 15,300 करोड़ रुपए में कमाए थे। इसके बाद भारती एयरटेल ने लगभग 2.69 करोड़ शेयरों के अधिग्रहण के साथ इंडस टावर्स में अपनी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत बढ़ा ली थी। कुछ समय पहले तक इंडस टावर्स में एयरटेल की कुल हिस्सेदारी 48.95 प्रतिशत थी।
(डिस्क्लेमर: यहां बताई गई जानकारी शेयर खरीदने की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश सोच-समझकर और अपने विवेक के आधार पर करें)।