बारिश में पकौड़े बनाना हुआ महंगा, तेल समेत कई चीजों के बढ़ गए दाम, अभी और कमर तोड़ेगी महंगाई
Oil Price Hike : इन दिनों आम जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है। एक के बाद एक चीजें महंगी होती जा रही हैं। सब्जी, दाल, आटा आदि सभी के रेट बढ़ गए हैं। बारिश शुरू हो चुकी है। अगर आप बारिश में पकौड़े खाने का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो इस पर भी महंगाई की मार पड़ी है। प्याज, आलू, तेल आदि की भी कीमतें बढ़ गई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक तेल की कीमत पिछले एक साल में करीब 30 फीसदी बढ़ गई है। यानी 100 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला तेल अब 130 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है।
20 फीसदी महंगी हुई दालें
एक कहावत है- दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ। लेकिन महंगाई ने दाल-रोटी को भी नहीं छोड़ा है। पिछले महीने आई कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक साल में दाल 20 फीसदी महंगी हो गई है। आटे की भी कीमत बढ़ गई है। पिछले दो महीने में साबुन, हेयर ऑइल जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम 2 से 17 फीसदी तक बढ़ गए हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले समय में महंगाई की और मार पड़ सकती है।
3 महीने में 51 फीसदी तक बढ़ी कीमत
उपभोक्ता मामले विभाग के मुताबिक पिछले 3 महीने में कुछ जरूरी चीजों की कीमत 10 फीसदी तक बढ़ गई है। यानी हर महीने करीब तीन फीसदी। कह सकते हैं कि जिस चीज की कीमत 3 महीने पहले 100 रुपये थी, वह अब 150 रुपये से ज्यादा की मिल रही है। इनमें प्याज, टमाटर, आलू, दाल, सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, आटा आदि शामिल हैं। सबसे ज्यादा कीमत प्याज की बढ़ी है। 3 महीने में इसकी कीमत में 51.52 फीसदी का इजाफा हुआ है। मार्च के अंत में इसकी कीमत 33 रुपये प्रति किलो थी जो अब बढ़कर 50 रुपये प्रति किलो हो गई है।
यह रहा महंगाई का कारण
दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक एक्सपर्ट बताते हैं कि महंगाई की मार अभी और पड़ेगी। इसका कारण बढ़ती लागत, खराब मौसम और सरकारी हस्तक्षेप बताया गया है। तेल महंगा होने के पीछे घरेलू उत्पादन में कमी और वैश्विक कीमतों में वृद्धि रही है। वहीं मौसम में हुए बदलाव और सप्लाई चेन की चुनौतियों के कारण प्याज और टमाटर की कीमत बढ़ी है।
और बढ़ेगी महंगाई
आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है। इसका कारण है बढ़ती मांग और लागत में बढ़ोतरी। कुछ समय में दूध, डेयरी प्रोडक्ट, सीजनल फल और प्रोसेस्ड फूड की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। इनमें महंगाई का कारण प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन संबंधी लागत में बढ़ोतरी भी है।
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