whatsapp
For the best experience, open
https://mhindi.news24online.com
on your mobile browser.
Advertisement

क्या है Front Running Scam, कौन है Ketan Parekh? जानें SEBI के एक्शन की हर डिटेल

Front Running Scam: बाजार नियामक सेबी ने फ्रंट रनिंग घोटाला पकड़ा है। इस घोटाले में केतन पारेख का भी नाम सामने आया है, जो किसी जमाने में शेयर बाजार की दुनिया का बड़ा नाम था।
02:17 PM Jan 03, 2025 IST | News24 हिंदी
क्या है front running scam  कौन है ketan parekh  जानें sebi के एक्शन की हर डिटेल

SEBI Action Against Ketan Parekh: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने करोड़ों रुपये के फ्रंट-रनिंग घोटाले का पर्दाफाश किया है। सेबी ने इस मामले में केतन पारेख और सिंगापुर के ट्रेडर रोहित सलगांवकर को मुख्य आरोपी बताया गया है। इसी के साथ SEBI ने पारेख सहित तीन लोगों को तत्काल प्रभाव से बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है।

Advertisement

पहले भी हुई है कार्रवाई

केतन पारेख किसी जमाने में शेयर बाजार की दुनिया का बड़ा नाम था। उसने मार्केट से खूब पैसा कमाया, लेकिन बाद में पता चल कि उसके तरीके हर्षद मेहता से प्रेरित थे। साल 2000 में उसे एक घोटाले में जेल भी हुई और 14 सालों के लिए सिक्योरिटी मार्केट में उसकी एंट्री बैन कर दी गई. लेकिन सेबी के लेटेस्ट एक्शन से पता चलते है कि उस पर पिछली कार्रवाई का कोई असर नहीं हुआ।

65 करोड़ से ज्यादा का घोटाला

केतन पारेख के बारे में विस्तार से जानने से पहले यह समझते हैं कि आखिर सेबी पूरे मामले की जड़ तक कैसे पहुंचा और फ्रंट-रनिंग क्या होता है। बाजार नियामक का कहना है कि आरोपियों ने ‘फ्रंट-रनिंग’ के जरिये 65.77 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया। केतन पारेख एक बड़े विदेशी निवेशक के सौदों पर फ्रंट रनिंग करता था और फ्रंट-रनिंग को सिंगापुर से अंजाम दिया जाता था।

Advertisement

यह भी पढ़ें - 19 साल में कंपनी खड़ी करने वाले Aadit Palicha कौन? बिजनेस इनके लिए बच्चों का खेल

Advertisement

कौन है बिग क्लाइंट?

सेबी का कहना है कि 'बिग क्लाइंट' के नाम से पहचाने जाने वाले एक प्रमुख अमेरिकी फंड हाउस की ट्रेडिंग से जुड़ी गैर-सार्वजनिक जानकारी (NPI) का गलत इस्तेमाल करके इस घोटाले को अंजाम दिया गया। इस बिग क्लाइंट के फंड भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) के रूप में रजिस्टर्ड हैं। हालांकि, सेबी ने बिग क्लाइंट का नाम नहीं बताया है।

ऐसे चल रहा था खेल

जांच में पता चला कि केतन और सालगांवकर करीब ढाई साल से इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे। रोहित सलगांवकर 'बिग क्लाइंट' के ट्रेडर्स से जानकारी हासिल करके केतन पारेख को पहुंचाता था। इसके बाद पारेख अपने कोलकाता स्थित सहयोगियों के जरिए उस जानकारी के आधार पर शेयर बाजार से पैसा बनाता था। सलगांवकर को अपने कनेक्शनों के माध्यम से यह पता लगता था कि FPI कहां और कब ट्रेड करने वाले हैं। इस गैर-सार्वजनिक जानकारी (NPI) का इस्तेमाल करके आरोपी मोटी कमाई कर रहे थे।

यह भी पढ़ें – देश के सबसे अमीर CM कैसे बने Chandrababu Naidu, कहां से होती है कमाई?

ऐसे मिलती थी डिटेल

सेबी का कहना है कि सलगांवकर ने स्वीकार किया है कि बिग क्लाइंट का डीलर उसे उन स्टॉक का नाम देता है जिसमें वे रुचि रखते हैं। जांच में सामने आया है कि केतन पारेख, जैक, जैक न्यू, और बॉस जैसे नामों का इस्तेमाल करते हुए WhatsApp पर जानकारी प्राप्त करता था और अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से ट्रेडिंग के निर्देश देता था।

कैसे पकड़ा गया घोटाला?

सेबी ने इस घोटाले का पता लगाने के लिए कई मोबाइल नंबरों की जांच की। सेबी के अधिकारी केतन पारेख के तरीके से वाकिफ थे। उन्हें पता था कि पारेख पकड़े जाने से बचने के लिए अक्सर सिम कार्ड बदल लिया करता था, लेकिन हैंडसेट ज्यादा नहीं बदलता था। SEBI ने जांच में पाया कि फ्रंट-रनर्स को निर्देश देने के लिए कुछ खास IMEI नंबर वाले हैंडसेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। पारेख ने जांच के दौरान ऐसा मोबाइल नंबर सब्मिट किया जिसके अंतिम चार अंक 8243 थे। ये नंबर कहने को उसकी वाइफ के नाम पर था, लेकिन इसका इस्तेमाल वह खुद करता था। इसी तरह SEBI के अधिकारी कड़ी जोड़ते गए और पारेख की पूरी कहानी उनके सामने आ गई।

क्या है फ्रंट रनिंग?

अब जानते हैं कि आखिर फ्रंट रनिंग क्या है? फ़्रंट रनिंग एक प्रकार की अवैध प्रथा है जिसमें ब्रोकर या ट्रेडर किसी अपेक्षित बड़े लेन-देन की गैर-सार्वजनिक जानकारी पहले से हासिल कर लेते हैं और मुनाफा कमाने के लिए उसी के आधार पर अपनी पोजीशन बनाते हैं। कहने का मतलब है कि वह गुप्त जानकारी के आधार पर मार्केट में पैसा लगाकर लाभ कमाते हैं।

यह भी पढ़ें – सरकार से Fertilizer कंपनियों को मिला Package आपकी भी करा सकता है कमाई, समझिये पूरा गणित

केतन पारेख का इतिहास

अब बात करते हैं केतन पारेख के बारे में। केतन किसी जमाने में स्टॉक मार्केट का बेताज बादशाह था। वह जिस भी स्टॉक को खरीदता, वो रॉकेट बन जाता। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट केतन का संबंध ब्रोकरेज फैमिली से रहा है। बताया जाता है कि केतन ने हर्षद मेहता के साथ भी शुरुआत में काम किया था। हालांकि, केतन पारेख ने अपना असली खेला शुरू किया 1999-2000 के बीच।

मेहता का फॉर्मूला अपनाया

केतन ने हर्षद मेहता के 'पंप एंड डंप' फॉर्मूले को अपनाया और मार्केट से मोटा पैसा कमाया। पंप एंड डंप फर्जीवाड़ा है, जिसमें पहले कोई बड़ा या प्रभावशाली निवेशक  कमजोर कंपनियों के शेयरों के भाव को बढ़ाता है। जब भाव काफी ज्यादा बढ़ जाता है, तो वह शेयर बेचकर खुद निकल जाता है। लेकिन उन लोगों का पैसा अक्सर डूब जाता है जिन्होंने उस निवेशक पर भरोसा करके दांव लगाया था। SEBI लगातार ऐसा करने वालों पर कार्रवाई करता रहता है।

कोलकाता को बनाया बेस

केतन अपने कारोबार का संचालन कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज के जरिये करता था। क्योंकि वहां मुंबई के मुकाबले कम कठोर नियम-कानून थे। केतन ने शुरुआत में आईटी स्टॉक में निवेश किया और कंपनियों के प्रमोटरों के साथ सांठगांठ करके गेम खेलता रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार, केतन ने पेंटाफोर सॉफ्टवेयर नामक कंपनी का इस्तेमाल करके खूब पैसा कमाया था। पेंटाफोर चेन्नई की एक सॉफ्टवेयर कंपनी थी, जो भारी वित्तीय संकट से जूझ रही थी। कंपनी के शेयर सस्ते में उपलब्ध थे और केतन ने इसका लाभ उठाने के लिए प्रमोटरों के साथ मिलीभगत कर ली।

ये भी पढ़ें – 2025 में शुरू करें यह Food Business, लागत कम, प्रॉफिट ज्यादा

पेंटाफोर बुल था नाम

पेंटाफोर के प्रमोटर्स ने अपने शेयर केतन को दे दिए। इसके बाद केतन पारेख ने उन्हें बेचना और सहयोगियों के जरिए खरीदना शुरू किया। इस जालसाजी से पेंटाफोर के स्टॉक की कीमतों में उछाल आ गया। बताया जाता है कि केतन ने बाद में पेंटाफोर फॉर्मूला दूसरी कंपनियों के साथ भी आजमाया। इसी के चलते केतन का नाम पेंटाफोर बुल पड़ गया था। उस वक्त पेंटाफोर सॉफ्टवेयर की कीमत 175 रुपये से चढ़कर 2000 के पार निकल गई थी। लेकिन साल 2000 में केतन पारेख का चेहरा सबके सामने आया और उसे जेल भी हुई।

ये भी पढ़ें – 2025 में पैसों के साथ मजबूत होगा रिश्ता, अगर इन Tips पर करेंगे अमल

Open in App Tags :
Advertisement
tlbr_img1 दुनिया tlbr_img2 ट्रेंडिंग tlbr_img3 मनोरंजन tlbr_img4 वीडियो