अस्पताल घर आएगा...और होगा इलाज! कई ऑपरेशन थियेटर, Lifeline Express इन लोगों को देती है सुविधा
Lifeline Express: अगर कहीं पर हादसा होता है उस जगह पर तुरंत एंबुलेंस को बुलाया जाता है। किसी बीमार शख्स को अस्पताल ले जाने के लिए भी एंबुलेंस को ही बुलाया जाता है। लेकिन कई जगह ऐसी होती हैं जहां पर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। इस स्थिति में मदद के लिए आती है पटरियों पर चलने वाली एंबुलेंस, यानी लाइफलाइन एक्सप्रेस ट्रेन (Lifeline Express)। जब ये ट्रेन ट्रैक पर होती है तब बाकी ट्रेनें इसको आगे निकलने का रास्ता देती हैं।
क्या है लाइफलाइन एक्सप्रेस का इतिहास?
लाइफलाइन एक्सप्रेस का संचालन 16 जुलाई 1991 को किया गया था। मरीजों को सुविधा देने के लिए ट्रेन में तीन कोच भारतीय रेलवे ने दान किए गए थे। इसके बाद इसमें इम्पैक्ट इंडिया फाउंडेशन ने कोचों को ऑपरेशन थियेटर के साथ एक अस्पताल ट्रेन में बदल दिया। इम्पैक्ट इंडिया अभी भी भारतीय रेलवे और कॉर्पोरेट और निजी दाताओं की मदद से ट्रेन का संचालन करता है।
ये भी पढ़ें: यात्रीगण कृपया ध्यान दें! ट्रेन टिकट कैंसिल करने पर कितना मिलता है रिफंड, यहां जानें डिटेल
कोविड में बनी लोगों का सहारा
एक छोटी सी पहल एक समय के बाद बढ़ती चली गई। लाइफलाइन एक्सप्रेस के काम को देखते हुए भारतीय रेलवे ने लाइफलाइन एक्सप्रेस को नई और बेहतर जीवन रेखा एक्सप्रेस के लिए 5 नए कोच दिए। जहां पुरानी ट्रेन में केवल एक ऑपरेशन थियेटर बनाया गया था, नई ट्रेन में ऑपरेशन थियेटर की संख्या बढ़कर दो हो गई। 2016 में एक बार फिर से इस ट्रेन में 2 कोच जोड़े गए, जिसके बाद उनकी कुल संख्या 7 हो गई। 7 कोच वाला ये अस्पताल अब ट्रैक पर दौड़ता है।
इस ट्रेन को कोविड-19 महामारी के दौरान मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया। भारतीय रेलवे ने भारत में कोविड के दौरान लाइफलाइन एक्सप्रेस के संचालन के अपने अनुभव को आगे बढ़ाया। इस दौरान रेलवे ने स्लीपर कारों को कोरोना वायरस मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया था।
Hospital on wheel!
Lifeline express inaugurated by GM/CR Shri. Naresh Lalwani today at CSMT station in presence of Dr. Rohini Chowgule of 'Impact India Foundation'.
Train is being run by this foundation in coordination with IR.7 Coach train is equipped with state-of-art… pic.twitter.com/PgtEKrm0vp
— Central Railway (@Central_Railway) September 29, 2023
क्या था ट्रेन के संचालन का उद्देश्य?
लाइफलाइन एक्सप्रेस की शुरुआत विकलांग वयस्कों और बच्चों के उपचार को देखते हुए की गई थी। इससे वहां पर मदद पहुंचाई जाती है जहां पर चिकित्सा के क्षेत्र में ज्यादा उन्नति नहीं हो पाई है। इस ट्रेन के जरिए भारतीय रेलवे लोगों की मदद करता है। जब विकलांग लोग बीमारी की हालत में अस्पताल तक नहीं जा पाते हैं उन लोगों तक ये ट्रेन पहुंचती है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार करना करना है।
किन रोगों का होता है इलाज?
इस ट्रेन में इलाज की शुरुआत मुख्य रूप से मोतियाबिंद, कटे होंठ और पोलियो के लिए की गई थी। इसके बाद इसमें प्लास्टिक सर्जरी, दंत शल्य चिकित्सा, मिर्गी सेवाएं, जलने के घाव, कैंसर उपचार और विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं (मुख्य रूप से आंख, कान, नाक, गले और अलग अलग अंगों के रोगों) से पीड़ित लोगों को उपचारात्मक सेवाएं देना भी शुरू कर दिया। इसके लिए ट्रेन में अस्पताल की तरह ही तमाम रोगों के डॉक्टर मौजूद रहते हैं।
कैसे देती है सेवा?
यह ट्रेन देश के कई हिस्सों में जाती है, इसमें ज्यादातर वो ग्रामीण इलाकें होते हैं जहां स्वास्थ्य सेवा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। इसके अलावा इसके दायरे में वह इलाके भी आते हैं जहां पर प्राकृतिक आपदाओं से तबाही मची हो। ऐसे इलाकों में यह ट्रेन करीब 21 से 25 दिनों तक रुकती है। जहां पर स्थानीय लोगों को चिकित्सा सेवा (नियमित और बड़ी सर्जरी दोनों) की सुविधा दी जाती है।
कैसे डिजाइन की गई है ट्रेन?
लाइफलाइन एक्सप्रेस ट्रेन को खास तरह से तैयार किया गया है। जो पूरी तरह से वातानुकूलित कोचों से बनी होती है। एक कोच में एक पावर कार है जिसमें एक स्टाफ कम्पार्टमेंट और पेंट्री एरिया भी बना है। 12 बर्थ वाला स्टाफ-क्वार्टर, किचन यूनिट, वाटर प्यूरीफायर, एक गैस स्टोव और इलेक्ट्रिक ओवन और रेफ्रिजरेटर मौजूद हैं। वहीं, दूसरे कोच में मेडिकल स्टोर के साथ-साथ दो ऑटोक्लेव यूनिट भी हैं। ट्रेन में तीन ऑपरेटिंग टेबल वाला एक मुख्य ऑपरेटिंग थिएटर और दो टेबल वाला एक दूसरा सेल्फ-कंटेन्ड ऑपरेटिंग थिएटर है। ट्रेन के लिए कहा जा सकता है कि इसमें वो सारी सुविधाएं हैं जो एक अस्पताल में होती हैं। इस ट्रेन को एक चलता फिरता अस्पताल कहा जाता है।
ये भी पढ़ें: करोड़ों रेल यात्रियों को IRCTC का बड़ा तोहफा! टिकट बुकिंग से लेकर सभी काम करेगा ये एक App