प्लेन में दुर्घटना होने पर मिलता है कितना मुआवजा? कंपनी की होती है पूरी जिम्मेदारी
Airlines Is Liable If A Person Is Dead In Aeroplane : हवाई सफर को दुनिया का सबसे सुरक्षित सफर माना जाता है। कारण है कि इसमें दुर्घटनाएं काफी कम होती हैं। हालांकि एक सच यह भी है कि भीषण दुर्घटना में शायद ही कोई पैसेंजर सुरक्षित बच पाता है। ये दुर्घटनाएं कभी बीच हवा में हो जाती हैं तो कभी उड़ान भरने के बाद तो कभी लैंड करते समय। प्लेन की किसी भी दुर्घटना में अगर किसी यात्री की मौत हो जाती है या कोई घायल हो जाता है तो एयरलाइन कंपनी उसे मुआवजा देती है।
प्लेन का भी होता है इंश्योरेंस
जब भी कोई प्लेन उड़ता है तो उसका भी इंश्योरेंस होता है। किसी भी दुर्घटना में इंश्योरेंस की रकम घायल और मृतकों के बीच में बंट जाती है। वहीं मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली रकम इस बात पर भी निर्भर करती है कि प्लेन किस देश का और किस कंपनी का है। साथ ही दुर्घटना कहां हुई है। विदेशी कंपनियों के प्लेन का इंश्योरेंस ज्यादा होता है। ऐसे में इन प्लेन के साथ दुर्घटना होने पर यात्रियों को ज्यादा मुआवजा भी मिल सकता है।
Airlines Compensation
मृतक के परिजन को 10 लाख रुपये तक
अगर किसी शख्स की भारत में मौत हो जाती है तो उसे 10 लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है। इस बारे में मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इसमें बताया गया है कि प्लेन एक्सीडेंट में किसी यात्री की मौत होने पर उसके परिजन को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। वहीं अगर कोई शख्स स्थाई दिव्यांग (दोनों हाथ-पैर खो देना) हो जाता है तो भी उसे 10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। हालांकि अगर कोई शख्स स्थाई रूप से दिव्यांग नहीं होता है तो उसे 7 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है।
कोर्ट दे सकती है ज्यादा मुआवजे का आदेश
ऐसा नहीं है कि सरकार के मुताबिक ही मुआवजा दिया जाए। अगर स्थिति ज्यादा गंभीर होती है और मृतक परिवार में कमाने वाला अकेला शख्स था तो मृतक के परिजन कोर्ट जा सकते हैं। ऐसे में कोर्ट एयरलाइन को ज्यादा मुआवजा देने का आदेश दे सकती है।
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इंटरनेशनल मामलों में मुआवजे का अलग प्रावधान
अगर एयरलाइंस कंपनी विदेशी है और दुर्घटना विदेश में होती है तो मुआवजे की रकम ज्यादा भी हो सकती है। दरअसल, दुनिया के कई देशों में प्लेन एक्सीडेंट के मामले में मुआवजे को लेकर काफी सख्त नियम हैं। कई बार मुआवजे की रकम भारत में 10 लाख के मुकाबले इससे कहीं ज्यादा पहुंच जाती है।