IIT के स्टूडेंट्स को नहीं मिल रही नौकरी? कम हो रहा कैंपस प्लेसमेंट, RTI में हुआ खुलासा
Placement From IIT is Decreasing : IIT (Indian Institutes of Technology) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ाई करना काफी स्टूडेंट्स का सपना होता है। इसका कारण है कि यहां से पढ़ाई करने के बाद स्टूडेंट को काफी अच्छे पैकेज पर दुनियाभर की बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी मिल जाती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस समय IIT से पढ़े काफी स्टूडेंट अभी बेरोजगार घूम रहे हैं। यहां साल दर साल कैंपस प्लेसमेंट में गिरावट आ रही है। इस साल अभी तक 30 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट्स को जॉब नहीं मिल पाई है। यह जानकारी एक RTI में सामने आई है। यह RTI IIT कानपुर के पूर्व छात्र धीरज सिंह ने दायर की थी।
सभी कैंपस की हालत एक जैसी
RTI से मिली जानकारी के अनुसार देश के IIT के सभी 23 कैंपस में इस साल यानी 2024 में करीब 38 फीसदी स्टूडेंट्स को अभी तक जॉब नहीं मिली है। स्टूडेंट्स को जॉब देने के लिए IIT दिल्ली ने पूर्व छात्रों को ईमेल किया था। इसमें लिखा था कि वे IIT के वर्तमान बैच के स्टूडेंट्स या उन स्टूडेंट्स को जॉब दिलाने में मदद करें जिन्हें अभी तक कोई जॉब नहीं मिल पाई है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, IIT बॉम्बे और बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस ने भी अपने पूर्व छात्रों से इस तरह की अपील की है।
यह है स्थिति
IIT के स्टूडेंट्स को जॉब न मिलने के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) में खबर छपी है। इसमें बताया गया है कि IIT में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को जॉब न मिलने की संख्या पिछले 3 साल से लगातार बढ़ रही है। खबर के मुताबिक साल 2022 में रजिस्टर हुए कुल स्टूडेंट में से 19 फीसदी को अभी तक कोई जॉब नहीं मिली है। वहीं साल 2023 के कुल स्टूडेंट्स में से 21 फीसदी को जॉब नहीं मिली है। साल 2024 में 38 फीसदी स्टूडेंट अभी बेरोजगार हैं। वहीं इन 3 सालों में देश के सभी IIT में रजिस्टर होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। साल 2022 में 17,900 स्टूडेंट देश के सभी IIT में रजिस्टर हुए थे। साल 2023 में 20 हजार और साल 2024 में 21,500 स्टूडेंट रजिस्टर हुए।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पड़ रहा असर
जॉब में कमी को लेकर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। कह सकते हैं कि इसके कारण नौकरियों में कमी आ रही है। काफी कंपनियां कई तरह के काम AI पर शिफ्ट कर चुकी हैं, जिससे इनमें इंसानों की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं रह गई है। ToI ने BITS ग्रुप के वाइस चांसलर वी. रामगोपाल राव के हवाले से बताया है कि हर जगह प्लेसमेंट में 20 से 30 फीसदी की कमी आ रही है। देखा जाए तो ChatGPT और लार्ज लैंग्वेज मॉडल ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।